आज दैनिक भास्कर पर छापे की खबर पांचों अखबारों में पहले पन्ने पर है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह सिंगल कॉलम में है। सीधा-सरल शीर्षक है, दैनिक भास्कर, भारत समाचार पर आयकर का छापा। इंडियन एक्सप्रेस में यह टॉप पर दो कॉलम में है। अखबार ने शीर्षक में छापे की सूचना के साथ यह भी बताया है अखबार ने इसका कारण कोविड रिपोर्टिंग को बताया। इंडियन एक्सप्रेस में आज आधे पेज से ज्यादा विज्ञापन है और पहले पन्ने पर जगह बहुत कम है। फिर भी छापे पर विपक्ष की प्रतिक्रिया भी पहले पन्ने पर दो कॉलम में है। दूसरी तरफ, टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर तीन कॉलम में छपी है। विपक्ष का आरोप भी है। एक नई बात लाल स्याही में बताई गई है, सरकार ने कहा कि कार्रवाई पनामा लीक मामले में है। हो सकता है हो, पर मुझे मालूम नहीं था कि पनामा लीक मामले में भास्कर का भी नाम था। आपको मालूम था? मुझे याद आता है कि उसमें भाजपा के एक सासंद, रवीन्द्र किशोर सिन्हा का भी नाम था। यह 2017 का मामला है और कांग्रेस ने इस मामले में उस समय के राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के इस्तीफे की भी मांग की थी। उनका नाम लिस्ट में नहीं था पर चुनाव आयोग को दी जाने वाली जानकारी छिपाने के आरोप में उनसे इस्तीफा मांगा गया था। अब चार साल बाद दैनिक भास्कर पर छापा क्यों पड़ा सबको पता है, हर कोई समझ रहा फिर भी सरकार झूठ बोल रही है और टाइम्स ऑफ इंडिया ने प्रमुखता से छापा है।
दैनिक भास्कर पर छापे की खबर द हिन्दू में भी प्रमुखता से है। शीर्षक है। इसका इंट्रो है, विपक्ष ने कहा, मीडिया को डराने की एक कोशिश। ऐसे में टाइम्स ऑफ इंडिया की सेवा समझ में आती है। अलग से चमक रही है। द टेलीग्राफ ने इस खबर को सबसे सही ढंग से छापा है। सात कॉलम की इस खबर के साथ भास्कर की पुरानी खबरों और कल के नारे का भी हवाला है। शीर्षक है, शासक जो छापा मारता है। इसके साथ उपशीर्षक है, इस सरकार के लिए अनजाना, रीढ़ वाला अखबार छापों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है। इसके साथ भास्कर का नारा हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में है। हिन्दी में यह, मैं स्वतंत्र हूं क्योंकि मैं भास्कर हूं और भास्कर में चलेगी पाठकों की मर्जी कल सोशल मीडिया पर भी चल रहा था। अखबार की पूरी खबर का शीर्षक दैनिक भास्कर के संपादक के हवाले से है और इसमें संपादक का परिचय है, जिन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखा था। इस खबर के साथ दैनिक भास्कर की प्रशंसा भी है जो ममता बनर्जी ने की है। अखबार ने इसे उनकी तस्वीर के साथ छापा है। कहने की जरूरत नहीं है कि टाइम्स ऑफ इंडिया में सरकारी पक्ष को प्रमुखता देना आज की सबसे अनूठी खबर है और अखबार ने पनामा लीक के दूसरे मामलों की चर्चा नहीं करके केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकर का बयान तो छापा ही है अनाम सूत्रों के हवाले से लिखा है, बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी के आरोप हैं …. परिवार के सदस्यों के नाम पनामा लीक केस में भी थे, विभागीय डाटा बेस, बैंकिंग पूछताछ और गुप्त पूछताछ का विश्लेषण करने के बाद तलाशी का सहारा लिया गया है।
संसद में हंगामा तो कई दिनों से चल रहा था लेकिन सभी अखबारों में एक साथ लीड बन जाए यह नहीं हो रहा था। आज द टेलीग्राफ को छोड़कर बाकी चार अखबारों में संसद में हंगामे की खबर लीड है। संभव है यह छापे की खबर के बीच सबसे निर्विवाद खबर मानी गई हो या अखबारों को लगा हो कि सच बताना कितना जरूरी है। ऐसा क्यूं हुआ – यह समझना मुश्किल है और आज इसपर अटकल ही लगाई जा सकती है। अगर कुछ परिवर्तन आएगा तो दो-चार दिन में समझ में आएगा। आज के लीड का शीर्षक भी देख लीजिए
1. द हिन्दू
पेगासुस, कृषि कानूनों को लेकर संसद स्थगित
उपशीर्षक है, तृणमूल सांसद ने स्पाईवेयर पर सूचना तकनालाजी मंत्री के बयान को फाड़ दिया
2.टाइम्स ऑफ इंडिया
पेगासस विवाद : सांसद ने संसद में आईटी मंत्री के कागज छीने, फाड़ दिया इस खबर का इंट्रो हैं, सनसनी फैलाने के पीछे कोई आधार नहीं है। इसके बराबर में टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक खबर छापी है जिसका शीर्षक है, अनिल अंबानी, सीबीआई के पूर्व प्रमुख दो वरिष्ठ अधिकारी भी पेगासुस सूची में : रिपोर्ट
3.इंडियन एक्सप्रेस
पेगासुस ने संसद को फिर रोका, टीएमसी सांसद ने आईटी मंत्री के इनकार वाले बयान को फाड़ दिया।
4. हिन्दुस्तान टाइम्स
पेगासुस, कृषि कानून पर लोकसभा में हंगामा
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।