समान नागरिक संहिता की बात और ईद की छुट्टी रद्द होने की खबर भी नहीं!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


 

अपने अखबारों की खबरें देखिये, प्राथमिकता जानिये

 

कर्नाटक सरकार अपनी चुनावी गारंटी को पूरा करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। योजना के लिए बड़ी मात्रा में चावल खरीदने की जरूरत है लेकिन राज्य सरकार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम राज्यों और केंद्र सरकार से मदद न मिलने के बाद अब कर्नाटक सरकार ने ‘अन्न भाग्य’ योजना के तहत पांच किलो अतिरिक्त फ्री चावल देने की जगह लोगों को नकद देने का फैसला लिया है। सरकार अब 34 रुपये प्रति किलो की दर से पांच किलो की कीमत का भुगतान करेगी। राज्य सरकार ने कहा कि इसके लिए एक जुलाई से धन वितरण शुरू होगा। यह खबर आज मुझे किसी अखबार में पहले पन्ने पर नहीं दिखी। द टेलीग्राफ ने इसे लीड बनाया है और इसका संबंध प्रधानमंत्री के सम्मान में अमेरिका में हुए रात्रि भोज से भी जोड़ा है। मुख्य खबर को फ्लैग शीर्षक में बताते हुए मुख्य शीर्षक लगाया है, “चावल को लेकर कराहिये मत। उन्हें व्हाइट हाउस में भोजन करने दीजिये”। इस खबर के साथ प्रधानमंत्री और व्हाइट हाउस के मेन्यु की तस्वीर भी है। 

आज की दूसरी दिलचस्प खबर इंडियन एक्सप्रेस में लीड है। इसके अनुसार, विदेश में क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर लगाया गया टीसीएस अब नहीं लिया जाएगा। फ्लैग शीर्षक के अनुसार सरकार ने कहा है कि बैंक इसके लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए निर्णय को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और उपशीर्षक के अनुसार अन्य प्रस्तावित उच्च दरों को लागू करने की समय सीमा तीन महीने बढ़ा दी गई है। मुझे नहीं पता काले धन से जीने वाले के रूप में प्रचारित भारत के कितने अमीर विदेश जाते हैं और वहां क्रेडिट कार्ड से खर्च करते हैं। और ऐसे लोगों पर टैक्स लगाना कितना जायज है और लगा ही दिया जाता तो भारत सरकार को कितने पैसे मिल जाते और इतने पैसे से क्या हो जाता। कुल मिलाकर आम नागरिक का जीवन मुश्किल होता तथा उसकी एक जिम्मेदारी और बढ़ जाती। इससे पहले जब मूल सूचना का विरोध हुआ तो बाद में खबर आई थी कि एक निश्चित राशि से ज्यादा के भुगतान पर यह टैक्स लगेगा। आज टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर से याद आया वह राशि सात लाख थी। सरकार ने यह निर्णय लेने, सात लाख की सीम तय करने और उसे वापस लेने या टालने में जो समय खराब किया वह अपनी जगह है। हालांकि इससे इस सरकार की कार्यशैली और प्राथमिकता का पता चलता है। 

यह खबर आज टाइम्स ऑफ इंडिया में भी पहले पन्ने पर है और दोनों खबरें बुनियादी रूप से अलग बातें कहती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर कहती है कि सात लाख रुपये से ऊपर के खर्च पर टीसीएस लगेगा। लेकिन यह संशोधन पहले ही आया था और आज इंडियन एक्सप्रेस की खबर से लगता है कि क्रेडिट कार्ड से खर्च पर टीसीए नहीं लगेगा जबकि टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर से लगता है कि सात लाख से ऊपर के खर्च पर ही लगेगा। यह पुरानी खबर है। जो भी हो यह दो बड़े अखबारों में सरकारी खबरों का हाल है जो प्रेस विज्ञप्ति के रूप में लिखित जारी होती है (होनी चाहिए)। संभावना है कि मुझे ही कुछ भ्रम हो पर इंडियन एक्सप्रेस की खबर भी जो कह रही है वह साफ है। इसके अनुसार यह टैक्स (सात लाख रुपये से ऊपर के खर्च पर) एक जुलाई से लगना था जो अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और एक अक्तूबर से लगेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर कहती है कि सात लाख तक नहीं लगेगा मतलब ऊपर पर लगेगा। 

आज की तीसरी प्रमुख खबर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को गोली मारने की है। वैसे तो हमले में वे बाल-बाल बच गए पर उत्तर प्रदेश में देवबंद से गुजरते हुए उनपर हमला हुआ यह बड़ी बात है। इतनी कि इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर तीन कॉलम में फोटो के साथ पहले पन्ने पर है। बाकी सभी अखबारों में भी पहले पन्ने पर प्रमुखता से है। सिर्फ हिन्दू में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है वरना कोलकाता के द टेलीग्राफ में भी पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम में है। नवोदय टाइम्स में यह दो कॉलम में टॉप पर है लेकिन अमर उजाला में सिंगल कॉलम में है वह भी अपने कॉलम की आखिरी खबर और उसमें आधे कॉलम की फोटो है। यानी जितनी खबर उससे छोटी फोटो। जो भी हो यह अखबारों में खबरों का चयन है। सरकार के खिलाफ खबरें पचा जाने का उदाहरण भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख (जिन्हें झूठ की फैक्ट्री चलाने वाला भी कहा जाता है) के खिलाफ कर्नाटक में एफआईआर होने की खबरें आज लगभग नहीं दिखी। द टेलीग्राफ में यह पहले पन्ने पर दो कॉलम में है। 

द टेलीग्राफ में एक और दिलचस्प खबर है जो दिल्ली की है। इसका शीर्षक है, “दिल्ली विश्वविद्यालय ने ईद नहीं कहा है पर आज की छुट्टी खत्म कर दी है”।  आप जानते हैं कि आज ईद है और ईद की छुट्टी होती रही है। ईद या क्रिसमस की छुट्टी खत्म करने का मतलब है हमारे-आपके जैसे किसी व्यक्ति से होली या दीवाली के दिन दफ्तर आकर काम करने के लिए कहना। भारत में अब यह आम हो गया है और दिलचस्प यह कि खबर भी नहीं छपती है और जैसा टेलीग्राफ ने लिखा है सूचना या आदेश में त्यौहार का नाम भी नहीं लिया जाता है। नई दिल्ली डेटलाइन से बसंत कुमार मोहंती की खबर इस प्रकार है, दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने सभी कर्मचारियों को अगले दिन शताब्दी समारोह की तैयारियों को पूरा करने के लिए गुरुवार को काम पर बुलाया है। इस समारोह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने वाले हैं।

गुरुवार को बकरीद या ईद उल जोहा है, जो सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी त्योहारों में से एक है। यह विश्वविद्यालय कैलेंडर में एक अवकाश है और सरकारी कैलेंडर में राजपत्रित अवकाश है। राजपत्रित अवकाश का मतलब है कि सभी कर्मचारियों के लिए अवकाश अनिवार्य है। नाम के साथ ईद का उल्लेख किए बिना, विश्वविद्यालय ने यह कहकर उस दिन को वस्तुतः प्रतिबंधित अवकाश बना दिया है, “जो कर्मचारी 29 जून, 2023 को त्योहार मनाना चाहते हैं, उन्हें कार्यालय में उपस्थित होने से छूट दी गई है। यह सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के साथ जारी किया गया है।”

आदेश की शुरुआत यह कहते हुए की गई है, “शताब्दी समारोह शुक्रवार, 30 जून, 2023 को निर्धारित है। समारोह से पहले सभी व्यवस्थाएं पूरी करने की दृष्टि से, विश्वविद्यालय गुरुवार, 29 जून, 2023 को विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों के लिए एक कार्य दिवस के रूप में मनाएगा।” डीयू में हिंदी संकाय सदस्य प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा कि कर्मचारियों को ईद पर काम करने के लिए बुलाना छुट्टी रद्द करने जैसा है। उन्होंने कहा, “यह आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन की सांस्कृतिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है। यह त्योहार की सामूहिक प्रकृति को नष्ट कर देता है, जिसे समाज के सभी वर्गों के लोग मनाते हैं।” उन्होंने इस आदेश पर निराशा जताई जिसमें ईद का जिक्र तक नहीं है। 

डीयू की पूर्व कार्यकारी परिषद सदस्य आभा देव हबीब ने कहा कि किसी भी त्योहार के लिए राजपत्रित अवकाश सभी समुदायों के लोगों को इसे एक साथ मनाने की अनुमति देता है और सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है। “त्योहार मनाने की इच्छा रखने वालों को छूट के साथ सभी कर्मचारियों को काम पर बुलाने का विश्वविद्यालय का निर्णय मुसलमानों के त्योहारों के प्रति पूर्वाग्रह को दर्शाता है। हबीब ने भी इस आदेश की आलोचना की जो ईद का संदर्भ उसका उल्लेख किये बिना लेता है। जो भी हो, और चाहे जिसने जिसे खुश करने के लिए किया हो तथ्य है कि यह यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा के मौके पर हुआ है और आज जब ईद की छुट्टी रद्द होना खबर नहीं है या खबर के रूप में महत्वपूर्ण नहीं है तो यूसीसी की खबर लीड है। 

शीर्षक इस प्रकार है – 

  1. यूसीसी : 8.5 लाख मिले सुझाव। उपशीर्षक है, विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, पैरवी की तैयारी में जुटा। (नवोदय टाइम्स) 
  2. समान नागरिक संहिता को आप और जदयू का समर्थन, कहा – आम सहमति बनाए केंद्र सरकार (अमर उजाला) 
  3. आप ने यूसीसी का ‘सिद्धांत रूप में’ समर्थन किया, कांग्रेस अकालियों ने इसका विरोध किया, (एनसीपी ने कहा) निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए (टाइम्स ऑफ इंडिया)  
  4. यूसीसी पर मोदी की टिप्पणी पर मिश्रित राजनीतिक प्रतिक्रिया (हिन्दुस्तान टाइम्स) 

 

कहने की जरूरत नहीं है कि अगर आज ईद की छुट्टी रद्द हो सकती है, पहले क्रिसमस की रद्द हुई हो तो कल होली दीवाली की छुट्टी भी रदद हो सकती है और करने वाली सरकार ही होगी – यह हो या वह। मुद्दा है कि क्या सरकार को ऐसा करना चाहिए? वह भी तब जब समान नागरिक संहिता की वकालत चल रही है (हालांकि वह चुनावी मुद्दा ज्यादा है)।   

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं.


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