चरणागत मीडिया: कांग्रेस के नौ सवालों पर नौ लाइन नहीं, भाजपा का प्रचार खुलेआम

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
मीडिया Published On :


 

खबरों और हेडलाइन मैनेजमेंट से दक्षिण भारत को साधने की कोशिश 

 

आज के सभी अखबारों में लीड अलग है। कल नए संसद भवन का उद्घाटन है,  तथाकथित सेंगोल और उसका महत्व विवाद में है और इसे दक्षिण भारत में पैर जमाने की कोशिश के आरोपों के बीच तमिलनाडु के सेंगोल बनाने वाले जौहरियों को पुरस्कार देने की खबर है उसके बावजूद। सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने से संबंधित याचिका को स्वीकार नहीं किया, सरकार के नौ साल पूरे होने पर कांग्रेस ने नौ सवाल पूछे हैं, भाजपा ने उसपर एतराज किया है इन सबके बावजूद। आज के अखबारों और खबरों को समझने के लिए आइए आज की लीड और दूसरी प्रमुख खबरें देख लें। इससे अंदाजा लगेगा कि कौन सी खबर छोड़ कर किसे महत्व दया गया है। हालांकि जो खबर पहले पन्ने पर नहीं है वह छूट गई या छोड़ी गई या अंदर है वह अलग बात है।

1.अमर उजाला 

सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन के उद्घाटन में दखल से किया इनकार

उपशीर्षक है, पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, कोर्ट समझता है क्यों और कैसे दायर की गई है याचिका। इस खबर के बराबर में टॉप पर तीन कॉलम का शीर्षक है, “हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा नया संसद भवन : पीएम मोदी”। अमर उजाला में पहले पन्ने पर एक और खबर है जिसका संबंध मेरी कल की चर्चा से है। इसका शीर्षक है, “दिल्ली की सभी सीमाएं कल सील, राज्यों से वाहन रोकने के लिए कहा”। उपशीर्षक है, “26 जनवरी और 15 अगस्त की तरह होगी देश की राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था”। कहने की जरूरत नहीं है कि यह कल के उद्घाटन से संबंधित विवाद और इस कारण हो सकने वाले विरोध-प्रदर्शन को रोकने के लिए की गई व्यवस्था है। लेकिन मणिपुर के मामले में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा दिया कि वह अदालत के फैसले के कारण था।

2.नवोदय टाइम्स 

राजदंड के राजधर्म पर विवाद 

उपशीर्षक है, “सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताने का कोई साक्ष्य नहीं : जयराम”। दूसरी लाइन है, “भारतीय परंपरा और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है कांग्रेस: शाह” 

चार कॉलम के इस लीड के साथ अखबार ने दो-दो कॉलम में दो खबरें छापी हैं, एक का फ्लैग शीर्षक है, “मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर कार्यक्रम”। मुख्य शीर्षक है, “विपक्षी एकता से डर नहीं : भाजपा”। इसके बराबर में जो दूसरी खबर है उसका शीर्षक है, “9 सवाल पूछे कांग्रेस ने”। इंट्रो है, “कहा, पीएम ने वादों को पूरा नहीं कर किया विश्वासघात”। अखबार के पहले पन्ने पर इन खबरों के साथ लीड के नीचे चार कॉलम में प्रधानमंत्री की फोटो के साथ एक खबर का शीर्षक है, “हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा नया संसद भवन : मोदी”। ट्वीट से बनाई गई इस खबर को दोनों अखबारों ने लीड क्यों नहीं बनाया यह मैं नहीं समझ पा रहा हूं। 

3.हिन्दुस्तान टाइम्स   

आज सुबह गाजियाबाद में खूब बारिश हुई और यहां मौसम की खबर चार कॉलम में लीड है। शीर्षक है, “मौसम विभाग ने कहीं ज्यादा कहीं कम पर सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की”। लीड के साथ की खबर का शीर्षक है, सेंगोल की प्रतीकात्मकता पर राजनीतिक विवाद गर्माया। दोनों के बीच में सिंगल कॉलम की खबर से बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने की अपील नहीं मानी। पहले पन्ने की एक खबर में बताया गया है कि भाजपा ने कांग्रेस के नौ सवालों पर जवाबी कार्रवाई की। खबर यह है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर उनसे नौ सवाल पूछे हैं और यह योजनाबद्ध तरीके से देश के कई प्रमुख शहरों में कायदे से प्रेस कांफ्रेंस करके किया गया है। लेकिन यहां खबर नहीं उसपर भाजपा की प्रतिक्रिया खबर है। 

नई दिल्ली डेटलाइन की इस खबर पर स्मृति काक रामचंद्रण और सपतर्शी दास की  बाइलाइन है जो इस प्रकार है : “भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने नौ साल सत्ता में रहने के दौरान भिन्न क्षेत्रों में बड़े बदलाव की शुरुआत के दावे किए हैं और इसपर कांग्रेस ने शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया की। इसमें दावों पर सवाल उठाया गया है और माफी की मांग की गई है क्योंकि उसने आरोप लगाया कि यह तो उसकी “नाकामी” है। भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को “झूठ का पुलिंदा और धोखे का पहाड़” करार देते हुए पलटवार किया।” इस खबर का दूसरा पैरा है, “कांग्रेस ने एक दस्तावेज़ जारी किया, “9 साल, 9 सवाल” जिसमें केंद्र सरकार की नौ “विफलताओं” पर प्रकाश डाला गया और सत्तारूढ़ दल के विकास के दावों पर सवाल उठाया गया।” मुझे लगता है यह दो खबरों को एक साथ पेश करने की कोशिश में हुआ है। रक्षा में हत्या का मामला भी हो सकता है। 

वैसे भी, बाईलाइन सीनियॉरिटी के अनुसार लगे यह तो हो सकता है पर इंट्रो सीनियर रिपोर्टर का ही हो यह जरूरी नहीं है। इंट्रो नया लिखा जाना चाहिए या फिर यह सब वही करे जो खबरों के खेल को समझता जानता और करता है। पर वह अलग मुद्दा है। अखबार ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र जैन को एक साल बाद स्वास्थ्य कारणों से, मोटे तौर पर इलाज कराने के लिए, जमानत मिलने की खबर को फोटो के साथ लीड बनाया है। मुझे भी लगता है कि यह पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम से ज्यादा की खबर है।   

4.इंडियन एक्सप्रेस 

लीड का शीर्षक है, नई संसद कल। इंट्रो में बताया गया है, प्रधानमंत्री ने नए कांपलेक्स का वीडियो ट्वीट किया : हरेक भारतीय को गौरवान्वित करेगा। यहां लीड के साथ टॉप पर भाजपा के दावे हैं (कांग्रेस के सवाल नहीं)। शीर्षक है, उज्ज्वला से वैक्सीन से वंदे भारत भाजपा ने सरकार के नौ साल प्रदर्शित किए। इस खबर के साथ एक खबर का शीर्षक है, नौ साल, नौ सवाल कांग्रेस ने पूछे। वैसे खबर तो नौ साल, नो प्रेस कांफ्रेंस है लेकिन अखबारों में उसकी चर्चा कहां होती है। राणा अयूब ने ट्वीट किया है कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में नरेन्द्र मोदी से सवाल पूछने की इजाजत नहीं थी। यहां मैं इंडियन एक्सप्रेस की जिन दो खबरों की चर्चा करना चाहता हूं उनमें एक का शीर्षक है, “सेंगोल बनाने वाले तमिलनाडु क जौहरियों को सम्मानित किया जाएगा”। और मैं इसी के आधार पर कह सकता हूं कि पूरा मामला भारतीय संस्कार के बहाने दक्षिण भारत को साधने का है। 

इंडियन एक्सप्रेस की जो दूसरी खबर चर्चा करने योग्य है और दूसरे अखबारों में नहीं दिखी वह है, परेशान की जाने वाली एफआईआर का सामना कर रहा हूं, बृजभूषण: महिला सुरक्षा कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। मुझे लगता है कि यह खबर और ये स्थिति निश्चित रूप से नामुमकिन मुमकिन होना है और महिला सशक्तिकरण तो छोड़िये सांसद सशक्तिकरण है पर विकास भी तो हुआ है और यह भी है जो अच्छे दिन में संभव हुआ और अच्छे दिन लाने वाले के राज में पढ़ने, सुनने, देखने और झेलने को मिला। इस खबर के अनुसार अयोध्या की संत सभा ने कहा है कि पॉस्को अधिनियम एक कैंसर बन गया है और इसे संशोधित किया जाना चाहिए।

5.द हिन्दू 

यहां लीड बिल्कुल अलग है और यह यहीं दिखी। इसके अनुसार अगले जनगणना के फॉर्म में सिर्फ छह धर्मों का विकल्प रहेगा। इसमें बताया गया है कि कई धर्मों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोड को अब खत्म कर दिया गया है। फॉर्म में एक सवाल पेय जल के स्रोत के बारे में भी होगा। यहां मौसम विभाग की खबर सिंगल कॉलम में है और सुप्रीम कोर्ट ने संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने के खिलाफ अपील को सुनने से इनकार किया, लीड के बराबर टॉप पर है।

6.टाइम्स ऑफ इंडिया 

“सेंगोल से संबंधित दावे बोगस हैं : कांग्रेस, भाजपा ने संस्कृति से घृणा करने वालों की आलोचना की”। इस मुख्य शीर्षक के नीचे कांग्रेस की तरफ से जयराम रमेश ने जो कहा है उसका शीर्षक है, “इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अंग्रेजों ने सेंगोल को नेहरू को सौंपा था” तो दूसरी तरफ सरकार की ओर से अमित शाह ने जो कहा उसका शीर्षक है, “राजदंड को चलने में सहारा देने वाली छड़ी बना दिया गया था”। यहां उल्लेखनीय है कि राजदंड के पक्ष में भी खबर है और इसे नवोदय टाइम्स ने छापा है। भविष्य में यह काम  व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सटी के जरिए होता रहेगा। नवोदय टाइम्स की  नौ सवाल वाली खबर का शीर्षक है, “गलत दावों से हो रही है तकलीफ : मठ प्रमुख”। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सेंगोल पर दावे और विवाद से संबंधित खबर के साथ सेकेंड लीड मौसम की खबर को बनाया है।

7.द टेलीग्राफ 

द टेलीग्राफ ने आज लीड के साथ नए संसद भवन के अंदर के दृश्य को छापा है और इसके साथ छपी लीड का शीर्षक है, “नौ साल का अप्रेजल और सवाल”। इसका फ्लैग शीर्षक है, “कांग्रेस ने कीमतों, रोजगार और घृणा के बारे में पूछा”। नौ सवाल सिर्फ नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर है। द टेलीग्राफ में एक और खबर का शीर्षक है, “राजदंड पर सत्ता के हस्तांतरण का दावा एक ‘बुरी कहानी’। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा भले प्रेस कांफ्रेंस न करे पर उससे सवाल भी नहीं पूछे जा सकते हैं। वह बचाव की व्यवस्था तो करती ही है आक्रामक भी हो जाती है और पूरा मामला छपने की बजाय सिर्फ विवाद छपता है। हांलांकि जहां जरूरत होती है, विवाद हो या मुद्दा कुछ भी गायब हो सकता है। 

हिन्दी वालों के लिए द टेलीग्राफ में आज एक और दिलचस्प खबर है, जो हिन्दी अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं दिखी। केंद्र सरकार ने हिन्दी में लिखने के लिए दिया जाने वाला 60 साल पुराना पुरस्कार खत्म या रद्द कर दिया। इसके अनुसार, हिन्दी की प्रचारक और समर्थक मानी जाने वाली सरकार ने गैर हिन्दी भाषियों के बीच हिन्दी को बढ़ावा देने वाला छह दशक पुराना पुरस्कार खत्म कर दिया है। “हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखक पुरस्कार” केंद्रीय हिन्दी निदेशालय देता था और यह हिन्दी में गैर फिक्शन लिखने के लिए भी 30 साल से शिक्षा पुरस्कार दे रहा था। हिन्दीतर भाषी पुरस्कार एक लाख रुपये का है और हर साल 19 लेखकों को रचनात्मक लेखन, गैर फिक्सन और अनुवाद के लिए दिया जाता था। शिक्षा पुरस्कार प्राकृतिक विज्ञान, समाज विज्ञान और दर्शन पर किताबों के लिए दिया जाता है। खबर में पुरस्कार बंद करने का कोई कारण नहीं बताया गया है बल्कि कहा गया है कि इससे लोगों को आश्चर्य हुआ है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और मशहूर अनुवादक हैं।