असम में काम कर रहे विदेशी पत्रकारों को राज्य छोड़ने की खबरों का गृह मंत्रालय ने खंडन किया है. मंत्रालय ने इसे भ्रामक और गलत बताया और कहा कि न तो गृह न ही विदेश मंत्रालय ने ऐसी कोई जानकारी दी है. गृह मंत्रालय ने कहा कि कोई भी विदेशी पत्रकार, जो पहले से ही भारत में है या बाद में आना चाहता है वह मंत्रालय की अनुमति लेने के बाद असम का दौरा कर सकता है.
Any foreign journalist,whether already based in India or not, can visit Assam after taking permission of MEA
MHA is consulted internally by MEA before issuing this permission. There is no PAP or RAP area in the state of Assam. Thus no PAP or RAP is needed by a foreign journalist
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) September 4, 2019
दरअसल 3 सितम्बर को ‘द असम ट्रिब्यून’ में एक खबर छपी थी. उस रिपोर्ट में कहा गया था कि “असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) की अंतिम सूची जारी होने के बाद सरकार की ओर से सभी विदेशी पत्रकारों को असम छोड़ने का आदेश हुआ है. उस रिपोर्ट के अनुसार के मुताबिक एनआरसी के प्रकाशन की पूरी प्रक्रिया के राजनीतिकरण पर सवाल उठने के बाद विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने असम को अचानक ‘संरक्षित क्षेत्र’ की श्रेणी के तहत रख दिया है. परिणामस्वरुप विदेशी पत्रकारों को राज्य छोड़ने के लिए कहा गया.” इस खबर के वायरल होने के बाद गृह मंत्रालय की तरफ से इसे झूठ करार दिया गया.
Ministry of Home Affairs (MHA): The information (all foreign journalists working in Assam have been asked to leave the State) is misleading and incorrect. Neither MHA nor MEA (Ministry of External Affairs) has given any such information. pic.twitter.com/AQSDrfWCw0
— ANI (@ANI) September 4, 2019
गौरतलब है कि असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) की अंतिम सूची शनिवार को जारी की गई थी. इस लिस्ट में करीब 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है. हालांकि इन लोगों को अभी एक अंतिम मौका और मिलेगा. उन्हें फॉरेन ट्रिब्यूनल जाकर ये अपनी नागरिकता साबित करनी होगी.
वहीं, यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने एनआरसी की अंतिम सूची से 1.9 मिलियन लोगों के राज्यविहीन होने के खतरे पर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने जिनेवा के एक बयान में कहा कि मैं भारत से यह सुनिश्चित करने की अपील करता हूं कि इस कार्रवाई में कोई भी राज्यविहीन न हो. इसमें लोगों को सूचना, कानूनी सहायता और उचित प्रक्रिया के उच्चतम मानकों के अनुसार कानूनी पहुंच सुनिश्चित की जाए.