भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अवमानना केस का जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो हलफनामा पेश किया है, उसे लेकर पूरे मीडिया और सोशल मीडिया में गलत रिपोर्टिंग हो रही है। अवमानना के केस में लेखी ने राफेल सौदे के संदर्भ में ‘’चौकीदार चोर है’’ को सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहे जाने पर शिकायत की थी और राहुल गांधी ने इसी संदर्भ में सर्वोच्च अदालत से माफी मांगी है। पूरा मीडिया हालांकि यह दिखाने में जुटा है कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रयुक्त उक्त जुमले के संदर्भ में माफी मांगी है।
राहुल गांधी के जिस बयान पर लेखी ने अवमानना याचिका दायर की थी वह था, ‘’सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है, चौकीदार चोर है।‘’ यह बयान कथित रूप से राफेल मामले की समीक्षा को जारी रखने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में दिया गया था।
बीते 15 अप्रैल को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व संजीव खन्ना की खंडपीठ के समक्ष उपरोक्त मामला आने पर अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी से उनका पक्ष मांगा था, ‘’अदालत के कभी भी ऐसी बात नहीं कही।‘’
इसके जवाब में गांधी ने एक हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि उनका संक्षिप्त वक्तव्य व्यस्त चुनाव प्रचार के बीच दिया गया था और उसकी मंशा कोर्ट के हवाले से ऐसी कोई बात कहने की नहीं थी जो कोर्ट ने नहीं कही।
Rahul Gandhi had meant to convey that the Judgement of December 14, 2018 (https://t.co/8GdQ24xKkU) was neither final or binding. By directing the #RafaleDeal to be heard on merits, the Supreme Court had found sufficient material to have a relook at the matter @M_Lekhi @INCIndia
— Bar and Bench (@barandbench) April 22, 2019
उन्होंने कहा है कि उक्त बयान उन्होंने ‘’हीट ऑफ द मोमेंट’’ (जल्दबाजी में दी गई प्रतिक्रिया) में दे दिया था जब अमेठी में नामांकन करा कर वे बाहर आए थे और पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा था।
राहुल गांधी के हलफनामे में लिखा है:
‘’उक्त वक्तव्य प्रतिवादी द्वारा हिंदी में जल्दबाजी की प्रतिक्रिया में बतौर जुमले के दिया गया। ऐसा राजनीतिक प्रचार के दौरान हुआ जबकि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उसके फैसले की प्रति उपलब्ध नहीं थी और इसीलिए बिना उक्त फैसले को देखे या पढ़े व इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया की रिपोर्टिंग के आधार पर तथा कार्यकर्ताओं की कही बात के आधार पर यह बयान दिया गया।‘’
ऐसा कहने से प्रतिवादी का आशय यह था कि 14.12.2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला न तो आखिरी है और न ही बाध्यकारी है।
दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी ने उलटे बीजेपी के कुछ नेताओं, जैसे नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद के एकाधिक बयानों का हवाला दिया है जिसमें वे सुप्रीम कोर्ट के 14.12.2018 वाले फैसले के ही हवाले से राफेल मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट देते आ रहे हैं।
उन्होंने अपने हलफनामे में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एबीपी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू का संदर्भ दिया है जिसमें वे सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर कह रहे हैं कि कोर्ट ने उन्हें राफेल मामले में क्लीन चिट दे दी है। एबीपी न्यूज़ के उक्त इंटरव्यू का वह हिस्सा नीचे देखा जा सकता है।
सवाल उठता है कि राहुल गांधी ने एक बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट से उसका संदर्भ देने के लिए तो माफी मांग ली लेकिन प्रधानमंत्री समेत अन्य भाजपा नेताओं का क्या हो जो लगातार यह दुष्प्रचार किए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राफेल मामले में बरी कर दिया है?