टीएमसी-बीजेपी की जंग में वाम और कांग्रेस दरकिनार, बांग्‍ला पुनर्जागरण का प्रतीक ध्‍वस्‍त

Mediavigil Desk
लोकसभा चुनाव 2019 Published On :


मंगलवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान जमकर हंगामा हुआ. विद्यासागर कॉलेज में बनी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई. रोड शो के दौरान हुई पत्थरबाजी में टीएमसी और बीजेपी के कई समर्थकों के अलावा पत्रकारों को भी चोटें आईं. जगह-जगह पुलिस और बीजेपी समर्थकों में झड़प भी हुई, जिसके चलते पुलिस ने लाठीचार्ज भी कर दिया.

मंगलवार को कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान टीएमसी और भाजपा के बीच हुई भयंकर हिंसा में बंगाल नवजागरण के समाज सुधारक और आधुनिक बांग्ला भाषा के सृजक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की मूर्ति टूट गई.

उपद्रवियों ने कोलकाता स्थित विद्यासागर कॉलेज में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को भी तोड़ दिया. इस घटना के लिए टीएमसी और भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.टीएमसी कार्यकर्ताओं ने रोड शो के दौरान अमित शाह को काले झंडे दिखाए, जिसके बाद मचे हंगामे में बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. इसके बाद जमकर तोड़फोड़ हुई, कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया.

इस हिंसा के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने अमित शाह और भाजपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार बताया वहीं अमित शाह ने इस हिंसा के पीछे ममता और टीएमसी का हाथ बताया है.

मूर्ति टूटने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विद्यासागर कॉलेज पहुंची उन्होंने यहां पर अपने हाथ से मूर्ति के टुकड़े उठाए. साथ ही टीएमसी ने मूर्ति तोड़े जाने को लेकर बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.

ईश्वरचंद्र विद्यासागर बंगाल पुनर्जागरण के एक प्रमुख व्यक्ति थे, जो राजा राम मोहन रॉय के साथ मिलकर समाज के पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देने वाले पहले भारतीयों में से एक थे. उन्हें महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं के साथ किए गए अन्यायों के खिलाफ लड़ने के अपने अथक प्रयासों के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है.

बाल विधवाओं की दुर्दशा से प्रेरित होने के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया और हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 को पारित करने के लिए उन्होंने दवाब दिया. संस्कृत और दर्शनशास्त्र में अपने गहन ज्ञान के कारण, उन्होंने संस्कृत कॉलेज से “विद्यासागर” शीर्षक प्राप्त किया. उनका जन्म 26 सितम्बर 1820 को ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रेसिडेंसी में हुआ था और 29 जुलाई 1891 में उनकी मृत्यु हो गई थी.
याद रहें कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में माणिक सरकार की हार और भाजपा की जीत के बाद वहां भाजपा और आरएसएस के गुण्डों ने लेनिन की मूर्ति को भी तोड़ दिया था.

बंगाल में भाजपा राज्य में हिन्दू और राम के नाम पर लोगों से वोट मांग रही है और कोलकाता रोड शो से पहले जयनगर के एक सभा में अमित शाह ने जय श्री राम के नारे लगाये थे और उसी मंच से ममता बेनर्जी को चुनौती देते हुए कहा था कि वह कोलकाता जा रहे हैं और ममता में हिम्मत हों तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाएं.

वहीं ममता बेनर्जी का कहना है कि वह बंगाल में धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिकता फ़ैलाने की इजाज़त नहीं देगी. जिसके चलते राज्य में भाजपा के रथ यात्रा को भी इजाज़त नहीं दी और इसके लिए दोनों दलों को अदालत तक जाना पड़ा.

कोलकाता से पहले आसनसोल में भी जमकर हिंसा हुई थी जहाँ से भाजपा के बाबुल सुप्रिय सांसद हैं और वहां तृणमूल से अभिनेत्री मुनमुन सेन मैदान में हैं.

कोलकाता की ताज़ा हिंसा के बाद बीजेपी के की निर्मला सीतारमण और मुख़्तार अब्बास नकवी की अगुवाई में एक टीम ने  चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए ममता बेनर्जी के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग की है वहीं योगी आदित्यनाथ ने राज्य को बर्खास्त करने की मांग की है.

बता दें कि योगी आदित्यनाथ को राज्य के दक्षिण 24 परगना जिले में कई सभाओं को संबोधित करना था किन्तु ममता सरकार ने इसकी इजाज़त नहीं दी है.

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सबसे ज्यादा हिंसा की घटनाएँ पश्चिम बंगाल में हो रही है. इससे पहले वहां बीते वर्ष मई में हुए पंचायत चुनावों के दौरान भी खूब हिंसा हुई थी जिनमें कई दर्जन लोग मारे गये थे.

पश्चिम बंगाल में वाम सरकार के पतन के बाद ममता बेनर्जी की तृणमूल काँग्रेस के सत्तासीन होने के बाद से भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में तेजी से अपनी पकड़ बनाते हुए दूसरे नम्बर पर पहुँच गई है. यहाँ न केवल भाजपा की उपस्थिति बढ़ी है बल्कि उसको मिलने वाले वोट प्रतिशत में भी इजाफ़ा हुआ है. अब भाजपा वहां दूसरे नम्बर पर पहुँच गई है.जिसका परिणाम है कि अब वहां भाजपा और तृणमूल के बीच सीधा मुकाबला है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार और ममता के बीच अच्छे सम्बन्ध नहीं है. हाल ही में ममता सरकार ने राज्य में सीबीआई के प्रवेश में रोक लगा दी है.
लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण से वहां हिंसा की घटनाएं लगातर जारी है.

हर घटना के बाद तृणमूल और भाजपा एक दूसरे पर हिंसा के लिए आरोप लगा रहे हैं. इस हिंसा के चलते इस चुनाव में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. पांचवे और छठे चरण में भी राज्य में तृणमूल, भाजपा और सीपीएम कार्यकर्ताओं के बीच जमकर हिंसा हुई. जिनमें कई लोग घायल हुए यहाँ तक कि चुनाव कवर कर रहे कई पत्रकार भी घायल हुए.

गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्र और राज्य सरकार के बीच कड़वाहट इतनी बड़ी कि फाणी तूफान के बाद ममता सरकार ने केंद्र से कोई मदद लेने से इंकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी का फोन तक नहीं उठाया था और एक सभा में कहा था कि वह उनको लोकतंत्र का तमाचा लगाएगी जिसे बाद में मोदी ने अपने पक्ष में प्रचार के रूप में इस्तेमाल करते हुए कहते रहें कि ममता दीदी ने उनको थप्पड़ मारने की बात कही है.

दिलचस्प बात यह है कि बंगाल के निकाय चुनावों के बाद इस लोकसभा चुनाव में भी राज्य से वाम दल और कांग्रेस ख़बरों से नदारद हैं.

 


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