अख़बारनामा:राहुल के दक्षिण से लड़ने की अटकल और स्मृति की घोषणा !


पके अखबार में यह खबर कैसे छपी है उसे भी देखकर आप खबरों के साथ चल रहे खेल का आनंद ले सकते हैं।




इंडियन एक्सप्रेस का शीर्षक, हिन्दुस्तान की लीड और टेलीग्राफ की सूचना – मौजा ही मौजा

संजय कुमार सिंह

आज के इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर एक खबर है जिसके शीर्षक का अनुवाद होगा, राहुल केरल की सीट चुन सकते हैं, अमेठी से भगा दिए गए : स्मृति। इस खबर के साथ “एक्सप्लेन्ड एक्सप्रेस” भी है जिसमें बताया गया है कि इसका उद्देश्य राहुल गांधी को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करना है जिसे उत्तर के साथ दक्षिण में भी स्वीकार किया जाता है। कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण में भाजपा की उपस्थिति कहीं नहीं है। कांग्रेस नहीं चाहती कि राहुल गांधी अमेठी में फंसे रहें इसलिए दक्षिण की एक पक्की सीट बैक अप है।

इस खबर में भी यही कहा गया है कि अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने रायबरेली और बेलारी से चुनाव लड़ा था। इसके बीस साल बाद मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो जगह से चुनाव लड़ने के बारे में सोच रहे हैं। अखबार ने पहले पन्ने पर खबर का जो अंश छापा है उसमें वह बात नहीं है जो शीर्षक में है। अगले पन्ने पर इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि राहुल के दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव पर समर्थकों और विरोधियों – दोनों को एतराज है। अखबार ने यह भी बताया है कि स्मृति ईरानी के मुताबिक राहुल को दक्षिण भारत से लड़ने के लिए कहना प्रायोजित है क्योंकि लोगों ने राहुल को खारिज कर दिया है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कहा है कि राहुल केरल से चुनाव लड़ेंगे तो गलत संदेश जाएगा और कांग्रेस का यह कदम राष्ट्रीय राजनीति के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दल जब भाजपा को हराने की बात कर रहे हैं तो राहुल का दक्षिण से लड़ना यह आभास कराएगा कि वामपंथ को नष्ट किया जाना है। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी उपस्थिति से केरल में चुनावी संघर्ष की स्थिति नहीं बदलने वाली है। एक्सप्रेस की खबर काफी लंबी और विस्तृत है। खबर सिर्फ वह नहीं है जो पहले पन्ने पर इस खबर का शीर्षक बताता है।

इसके अलावा, तथ्य यह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 2017 से राज्यसभा सदस्य हैं और 2023 तक इसके सदस्य रहेंगे और 2024 तक की लोकसभा के लिए गांधी नगर जैसी भाजपा के लिए सुरक्षित कही जा सकने वाली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अगर जीत गए तो उन्हें कोई एक सीट छोड़नी पड़ेगी। अगर राहुल का दक्षिण से लड़ना अमेठी से खदेड़ा जाना है तो अमित शाह का (और स्मृति ईरानी का भी) राज्य सभा सदस्य रहते हुए लोक सभा चुनाव लड़ना क्या है? जब स्मृति ने राहुल पर अमेठी से खदेड़े जाने जैसे आरोप लगाए और उसे खबर बनाने से पहले रिपोर्टर को ये बातें पूछनी चाहिए थी पर अब ऐसे सवाल नहीं पूछे जाते हैं और पूछ दो तो जवाब मिलना नहीं, नौकरी पर बन आती है सो अलग। इसलिए आइए, देखें आज के अखबारों और खबरों का जानें समझें।

हिन्दुस्तान ने इस खबर को लीड बनाया है। राहुल के केरल से भी लड़ने की संभावना। नई दिल्ली से विशेष संवाददाता की इस खबर में कुछ अतिरिक्त तथ्य हैं जो अमूमन हिन्दुस्तान की खबरों में नहीं होते हैं। इनमें दक्षिण भारत ही क्यों और दो राज्यों की सीमाओं से सटी लोकसभा सीट तथा भूगोल और भाजपा का बढ़ता जनाधार जैसा अंकगणित भी है। पर ये नहीं बताया गया है कि मकसद दक्षिण में कमजोर भाजपा को बढ़ने से रोकना है। खबर में स्मृति का निशाना भी है। और परंपरागत सीट के तहत बताया गया है कि पिछले चुनाव में राहुल ने स्मृति को यहां से हराया था और स्मृति पांच साल में अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं। भाजपा ने इस सीट पर राहुल को घेरने की रणनीति बनाई है। पर ये नहीं बताया कि स्मृति राज्य सभा की सदस्य भी हैं। या रणनीति का हिस्सा ये भी रहा है।

हिन्दुस्तान की खबर का फ्लैग शीर्षक है – रणनीति : (राहुल को) वायनाड से भी उतारने पर विचार कर रही कांग्रेस – मुख्य शीर्षक है, राहुल के केरल से भी लड़ने की संभावना। इसके मुकाबले द टेलीग्राफ में लीड बनी इस खबर का शीर्षक और शुरुआती हिस्से का अनुवाद पढ़कर तय कीजिए कि कैसे अमेठी से राहुल को खदेड़ दिया गया है जबकि अभी फैसला ही नहीं हुआ है और पार्टी अध्यक्ष भाजपा में पार्टी के भीष्म पितामह और लौहपुरुष कहे जाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी का टिकट काटकर खुद वहां की सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। राज्यसभा का सदस्य होने के बावजूद। उनकी पार्टी की नेता कैसे दूसरे प्रमुख दल के अध्यक्ष को खदेड़ दिए जाने की बात कर रही हैं (फैसला होने से पहले) जैसे कांग्रेस का टिकट वही बांट रही हों। यह हाल तब है जब अमेठी से राहुल की उम्मीदवारी की घोषणा हो चुकी है।

द टेलीग्राफ की लीड का शीर्षक है, केरल सीट का निमंत्रण राहुल की सहमति के इंतजार में। नई दिल्ली डेटलाइन से यह विशेष संवाददाता की खबर इस प्रकार है : दक्षिणी राज्यों की कांग्रेस इकाइयों के आग्रह के बाद राहुल गांधी केरल के वायनाड से आमसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं। इन इकाइयों का मानना है कि उनकी उम्मीदवारी से क्षेत्र में पार्टी की संभावना मजबूत होगी। (खबर में नहीं है पर, लगभग इसी उम्मीद में नरेन्द्र मोदी 2014 में बनारस से भी चुनाव लड़े थे और अब उसे क्योटो बना रहे हैं)। पार्टी का मानना है कि दक्षिण में भाजपा की स्थिति सबसे नाजुक है और कांग्रेस थोड़े परिश्रम से बड़ी संख्या में सीटें जीत सकती है।

राहुल की उम्मीदवारी की घोषणा उत्तर प्रदेश में अमेठी से पहले ही हो चुकी है। वे 2004 से यहां से जीतते रहे हैं। …. केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के तिमुहाने पर स्थित वायनाड एक सुरक्षित सीट है जहां से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार कभी नहीं हुई है। यहां अल्पसंख्यक, आदिवासी और दलित आबादी ज्यादा है। हालांकि, राहुल द्वारा दो सीटों पर लड़ने के किसी भी कदम को अमेठी में अच्छे भले खतरे को मान्यता देने के रूप में देखा जाएगा। वहां भाजपा ने स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया है और सपा-बसपा गठजोड़ यहां से चुनाव न लड़ने के अपने शुरुआती निर्णय पर पुनर्विचार कर रहा है। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ऐसे निर्णय रणनीतिक कारणों से लिए जाते हैं। खबर और भी है पर अनुवाद करने में समय लगेगा इसलिए इतना ही।

हिन्दुस्तान की खबर का वह अंश देखिए जो पहले पन्ने पर है – कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी के अलावा दक्षिणी राज्य केरल की वायनाड लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी ने शनिवार को इसका स्पष्ट संकेत दिया। पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा कि दक्षिण राज्यों की प्रदेश कांग्रेस कमेटी, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल के लाखों कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से अनुरोध किया है कि वे इन राज्यों से लोकसभा चुनाव लड़े। कांग्रेस इस प्यार के लिए ऋणी है। उनकी भावनाएं बहुत मूल्यवान और आदर योग्य हैं। पार्टी इस पर निर्णय करेगी। राहुल गांधी अभी अमेठी से सांसद हैं।

2008 में अस्तित्व में आई वायनाड सीटः पार्टी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी के वायनाड से लड़ने से चुनाव अभियान पर सकारात्मक असर होगा। वायनाड से कांग्रेस नेता एमएल शाहनवाज दो बार चुनाव जीत चुके हैं। यह सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। कांग्रेस का गढ़ः यह सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ मानी जाती है। प्रदेश में 16 सीटों पर लड़ रही कांग्रेस ने वायनाड एवं वडाकरासे प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथला ने भी कहा है कि उन्होंने हाल ही में राहुल से इस सीट पर लड़ने का आग्रह किया था जब वह केरल आए थे।

खबर के साथ बॉक्स में जो सूचनाएं हैं उन्हें तस्वीर में देख सकते है अब आप टेलीग्राफ की खबर और हिन्दुस्तान की प्रस्तुति की तुलना कीजिए, स्मृति ईरानी के दावे को समझिए और इंडियन एक्सप्रेस के शीर्षक का मतलब लगाइए। आपके अखबार में यह खबर कैसे छपी है उसे भी देखकर आप खबरों के साथ चल रहे खेल का आनंद ले सकते हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )


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