विपक्षी दलों का EC पर सामूहिक हमला, मोदी-शाह को ठहराया बंगाल में प्रचार पर रोक का दोषी

Mediavigil Desk
लोकसभा चुनाव 2019 Published On :


पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने बुधवार को चुनाव प्रचार पर दो दिन पहले ही रोकने की घोषणा कर दी है. चुनाव आयोग ने गुरुवार रात 10 बजे से चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी है.

बीते 14 मई को कोलकाता में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई भयंकर हिंसा और आगजनी के बाद जिसमें कई लोग घायल हुए और कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज में बनी बंगाल नवजागरण के प्रतीक व आधुनिक बांग्ला भाषा के सृजक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की मूर्ति को भगवा गुंडों ने ध्‍वस्‍त कर दिए जाने के बाद केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा दो दिन पहले ही 9 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर रोक लगाने के फैसले पर टीएमसी सहित तमाम विपक्षी दलों ने नाराज़गी जताई है.

इस फैसले से नाराज़ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने कहा कि यह फैसला चुनाव आयोग का नहीं बल्कि मोदी-शाह का फैसला है.उन्होनें कहा कि कल अमित शाह दंगा कराने के मूड में बंगाल आए थे और उनके खिलाफ एक्शन होना चाहिए. इसके अलावा ममता बनर्जी ने अमित शाह पर चुनाव आयोग को धमकी देने का भी आरोप लगाया. ममता बेनर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि कोलकाता में हुई हिंसा के लिए आयोग ने अमित शाह को नोटिस क्यों नहीं दिया ?

उन्होंने कहा कि अमित शाह ने आज सुबह चुनाव आयोग को धमकी दी थी. उन्होनें सवाल उठया कि क्या चुनाव आयोग का ये आदेश अमित शाह की ही धमकी का नतीजा है? उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता बहुत गुस्से में हैं और इस अपमान का जवाब जरूर देगी. ममता बनर्जी ने कहा कि फैसला आज से ही लागू क्यों नही किया गया. क्यों ये फैसला पीएम की कल होने वाली रैली के बाद से लागू किया जाएगा?’ ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के इशारे पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग में आरएसएस के लोग बैठे हैं और भाजपा के इशारों पर काम हो रहा है.

ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर समर्थन देने के लिए मायावती, अखिलेश यादव और कांग्रेस के प्रति आभार व्यक्त किया है.

 

बता दें कि आयोग के इस फैसले के बाद अब पश्चिम बंगाल के 9 संसदीय क्षेत्रों- दम दम, बारासात, बसीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, जादवपुर, डायमंड हार्बर, दक्षिण और उत्तरी कोलकाता में चुनाव संपन्न होने तक गुरुवार से चुनाव प्रचार नहीं होगा. चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालने पर भी पाबंदी लगा दी है.

आयोग के इस फैसले पर टीएमसी और कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी ने आयोग पर निशाना साधते हुए कहा है कि बंगाल में पीएम मोदी की दो रैलियां हैं, प्रचार पर सुबह से क्यों नहीं बैन लगाया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है. मायावती ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में प्रचार पर गुरुवार रात 10 बजे से प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि प्रधानमंत्री की दिन के वक्त दो रैलियां हैं. अगर उन्हें प्रतिबंध लगाना ही था, तो आज सुबह से ही क्यों नहीं? यह पक्षपातपूर्ण है, और चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है.”

साथ ही मायावती ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा प्रमुख अमित शाह तथा उनके नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को निशाना बना रहे हैं, योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. यह बेहद खतरनाक और अन्यायपूर्ण ढर्रा है, जो देश के प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता.’

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में 16 मई की रात को ही चुनाव प्रचार रोकने के फैसले को लोकतंत्र के लिए काला दिवस करार दिया है.

कांग्रेस के नेता सुरजेवाला ने कहा कि आज लगता है कि चुनाव आयोग जैसी निर्भीक और निष्पक्ष संस्था मोदी दरबार में असहज, असहाय, भयभीत नजर आ रही है. प्रजातंत्र पर हमला हो रहा है, संविधान की परिपाटी तोड़ी जा रही है और चुनाव आयोग मूकदर्शक बना बैठा है.

सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग ने 16 मई की रात से बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगाई है, क्योंकि आज शाम को मथुरापुर और दमदम में पीएम मोदी दो रैलियां हैं.

सुरजेवाला ने कहा, “ऐसा लगता है कि चुनाव आचार संहिता अब मोदी जी की चुनाव प्रचार संहिता बन गई है. चुनाव आयोग आज अपनी विश्वनीयता खो चुका है. उन्होंने एक प्रेस वार्ता में कहा कि पश्चिम बंगाल पर चुनाव आयोग के आदेश में अनुच्छेद 14 और 21 के अंतर्गत जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ है तथा आयोग ने सबको समान अवसर देने के संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन भी नहीं किया. यह संविधान के साथ किया अक्षम्य विश्वासघात है.’सुरजेाला ने यह भी कहा कि “ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग का यह आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक गिफ्ट है.

रणदीप सुरजेवाला ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे, उन्होंने कहा -चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक सम्बन्धी अपने आदेश को 24 घंटे बाद ही क्यों लागू किया? क्या यह मोदी जी की दो रैलियों को ध्यान में रखकर किया गया? कांग्रेस पार्टी ने सबूतों के साथ 11 शिकायतें दर्ज कराई थीं, जिसमें मोदी जी और अमित शाह द्वारा चुनाव आचार संहिता का घोर उल्लंघन किया गया था. बावजूद इसके, चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

‘नमो टीवी’ के दुरुपयोग को लेकर कई शिकायतों के बावजूद चुनाव आयोग मौन रहा. बीजेपी द्वारा धनबल-बाहुबल का प्रयोग किया गया। क्या यह मान लिया जाए कि चुनाव आयोग अब सवैंधानिक पहरेदार नहीं रहा?

बंगाल में हिंसा का तांडव खेला गया, जिसका नेतृत्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह स्वयं कर रहे थे. स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को जिस तरह बीजेपी के गुंडों द्वारा तोड़ा गया. इन सबके बावजूद चुनाव आयोग ने अमित शाह पर कार्रवाई क्यों नहीं की?

बता दें, भारत के चुनावी इतिहास में इस तरह की पहली कार्रवाई में चुनाव आयोग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के नौ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार गुरुवार को रात 10 बजे समाप्त करने का आदेश दिया है.निर्धारित समयानुसार प्रचार एक दिन बाद शुक्रवार शाम को समाप्त होना था.

गौरतलब है कि 2017 गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के समय भी आयोग पर ऐसे आरोप लगे थे.क्योंकि पहले चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी, लेकिन गुजरात के लिए तारीखों का एलान नहीं किया था.जबकि हिमाचल प्रदेश और गुजरात की मौजूदा विधानसभाओं का कार्यकाल लगभग साथ ही खत्म हो रहा था. तब विपक्षी दलों ने आयोग पर संदेह करते हुए कहा था कि मोदी के आगामी गुजरात दौरे को ध्यान में रखते हुए आयोग ने गुजरात चुनावों की तारीखों का ऐलान एक साथ नहीं किया.

बता दें कि पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार सहिंता के उल्लंघन के तमाम शिकायतों को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने इन दोनों को क्लीन चिट दी है.


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