मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन पर महिला की मृत्यु पर, पटना हाईकोर्ट का रेलवे-बिहार सरकार को नोटिस

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कोरोना महामारी की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन में ग़रीब और प्रवासी मजदूरों को होने वाली समस्याओं की तस्वीरों और वीडियो ने विकास की दौड़ में अंधे देश की असलियत सामने ला दी है। ऐसी ही एक तस्वीर बिहार के मुज्ज़फरपुर से आई थी। जिसमें एक बच्चा अपनी माँ के ऊपर पड़े चादर को हटा रहा है, उसे उठाने की कोशिश कर रहा है, खेल रहा है। इस बात से अनजान कि उसकी माँ की मौत हो गयी है, अब उसकी माँ कभी नहीं उठेगी। सोशल मीडिया और मीडिया में बात सामने आने के बाद पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और केंद्र सरकार, भारतीय रेलवे और बिहार गवर्नमेंट को प्रतिवादी के तौर पर जोड़ा है।

घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की आवश्यकता महसूस करते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि एक अख़बार में मृत माँ को जगाते बच्चे की वीडियो से संबंधित ख़बर हमारे सामने आयी है। उस दुर्भाग्यपूर्ण ख़बर पर हम स्वतः संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर रहे हैं। इसके साथ ही बिहार सरकार, केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे से घटना से संबंधित सवाल पूछे हैं।

https://twitter.com/Himansh91694280/status/1265613859911540736

पटना हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने आर्डर जारी करते हुए किये ये सवाल-

1-क्या शव का पोस्टमार्टम किया गया ? अगर किया गया तो मौत का क्या कारण सामने आया है ?

2-क्या महिला अपने भाई-बहनों के साथ यात्रा कर रही थी ? अगर नहीं, तो उसके साथ उसके सहयात्री कौन थे ?

3-क़ानूनी स्तर पर इस घटना में क्या किया गया ?

4-क्या मृतक महिला के रिश्तेदारों को सूचित किया गया था ?

5-क्या मृतक महिला का अंतिम संस्कार उसकी परंपरा और सरकारी दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किया गया ? और इस संकट के समय में अपनी माँ को खोने वाले बच्चे/भाई-बहन की देखभाल कौन कर रहा है ?

इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने अधिवक्ता आशीष गिरी को अपने सहयोगी के तौर पर नियुक्त किया है। साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासियों से संबंधित मामलों में संज्ञान लिया है। इसलिए बिहार सरकार के काउंसिल श्री यादव में पता लगाएं कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है ?

आदेश की कॉपी (लाइव लॉ से साभार)

 

आपको बता दें कि मुज़फ्फ़रपुर से इस मार्मिक वीडियो के आने के बाद ये बताया गया था कि महिला की मौत भूख और प्यास से हुई थी। लेकिन उसके बाद से ही इस मामले में सरकारी तंत्र के जवाब कुछ अलग ही आ रहे हैं। पीआईबी बिहार ने फैक्ट चेक किया और लिखा कि ये ख़बर गलत और भ्रामक है। परिवार ने महिला के बीमार होने की पुष्टि की है

 

लेकिन पीआईबी बिहार की इस ट्वीट के बाद, कुछ मीडिया संस्थानों ने मृतका के परिवार से बात की और परिवार ने साफ कहा है कि वह महिला पहले से बीमार नहीं थी। ज़ाहिर है कि मामले में कुछ ऐसा है, जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है। अब कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है तो फ़ैसला आने तक इंतजार किया जाना चाहिए और साथ ही असल तथ्य निकाले जाने चाहिए – जिससे न्याय का रास्ता आसान हो।


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