कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में मंगलवार को Media Vigil के एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यूपी समेत अन्य राज्यों में श्रम क़ानूनों में ढील देने के बहाने से श्रमिकों के अधिकारों के भयानक हनन के मामले पर कांग्रेस, क़ानूनी तरीका भी अपना सकती है। कपिल सिब्बल ने ये बात, मीडिया विजिल की ओर से प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद हमारे साथी मयंक सक्सेना के सवाल के जवाब में कही।
मीडिया विजिल की ओर से इस प्रेस कांफ्रेंस में कपिल सिब्बल से सवाल पूछा गया था कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाल ही में ट्वीट कर के, बीजेपी शासित राज्यों, खासकर यूपी में श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध करते हुए ट्वीट किया था। कांग्रेस पार्टी सरकारों के इन फैसलों को लेकर किस तरह की रणनीति पर विचार कर रही है? क्या कोई क़ानूनी रास्ता अपनाने पर भी पार्टी विचार कर रही है? इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि दरअसल भाजपा शासित राज्यों में श्रम क़ानूनों को लेकर जो बदलाव किए जा रहे हैं, वे भयानक गरीब और कामगार विरोधी हैं और इसके बारे में सोच कर भी हैरानी होती है। उन्होंने कहा, “ऐसा कामगार विरोधी फैसला कभी लिया ही नहीं गया। सरकार ने बांडेड लेबर एक्ट भी हटा दिया गया है। 38 में से 34 एक्ट ही लागू नहीं रहे। इस बारे में मैं विस्तार से अलग से प्रेस कांफ्रेंस करूंगा। भारत में 93 फीसदी लोग अनौपचारिक सेक्टर में काम करते हैं, आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? जबकि वैसे ही इतने कम लोग अनौपचारिक सेक्टर में हैं।”
कपिल सिब्बल ने चीन से निवेश भारत में आने को लेकर भी श्रम क़ानूनों को लेकर तंज़ किया और कहा, “आप ये सोच रहे हैं कि चीन से जो निवेश जाएगा वो भारत में आएगा और अपने ही लोगों के साथ आप ऐसा बर्ताव कर रहे हैं?” इस सवाल पर कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में कांग्रेस सड़क पर नहीं आ सकती है – तो क्या वो क़ानूनी रास्ता अपनाएगी?, कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस लीगल रास्ता भी अपनाने के बारे में सोच सकती है। चूंकि हम सड़क पर आकर अभी इसका विरोध नहीं कर सकते हैं, तो मीडिया के ज़रिए भी इसका विरोध करेंगे।
इस पर कपिल सिब्बल से ये भी सवाल किया गया कि कांग्रेस की राज्य सरकारें भी श्रम क़ानूनों में बदलाव कर रही हैं, कपिल सिब्बल ने पहले ये कहा, “मैं एक नागरिक के तौर पर भी अपनी राय रख रहा हूं..लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। संसदीय कमेटी से बातचीत के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। निश्चित रूप से श्रम क़ानूनों में बदलाव करना पड़ेगा लेकिन ये कैसा फैसला है कि 12 घंटे काम करने के बाद भी कामगार को कोई ओवरटाइम नहीं मिलेगा? आप न्यूनतम मज़दूरी क़ानून कैसे ख़त्म कर सकते हैं?”
कपिल सिब्बल ने अंत में फिर कहा कि श्रम क़ानूनों को लेकर, वे एक-दो दिन में विस्तारपूर्वक एक और प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। इसके अलावा इस प्रेस कांफ्रेंस में सरकार की प्रवासी कामगारों और गरीबों को लेकर नीतियों पर सवाल किए गए। कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री के मंगलवार की शाम प्रसारित होने वाले संदेश के लिए कहा कि अभी तक प्रधानमंत्री ने अपने किसी संदेश में कोई काम की बात नहीं की है और उनको उम्मीद नहीं है कि पीएम इस संदेश में भी कोई काम की बात करेंगे।
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