The Tribune के प्रधान सम्पादक हरीश खरे का इस्तीफ़ा, सरकारी दबाव की चर्चा ज़ोरों पर

खबर है कि अंग्रेज़ी दैनिक ‘द ट्रिब्‍यून’ के प्रधान संपादक हरीश खरे से इस्‍तीफ़ा ले लिया गया है। कुछ दिनों पहले ही अखबार ने आधार डेटाबेस में सुरक्षा चूक से जुड़ी एक बड़ी ख़बर की थी जिसे विदेशी मीडिया में भी फॉलो किया गया था। इस खबर पर खरे और रिपोर्टर रचना खैरा को चारों ओर से काफी सराहना मिली थी लेकिन आधार अधिकरण यूआइडीएआइ ने खैरा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवा दी थी।

हरीश खरे का अखबार से जाना इसी घटना के आलोक में देखा जा रहा है।

‘द वायर’ के मुताबिक आधार वाली स्‍टोरी के बाद सरकार ने अपनी नापसंदगी अखबार चलाने वाले ट्रस्‍ट को जाहिर कर दी थी। द ट्रिब्‍यून को जो ट्रस्‍ट संचालित करता है, उसके प्रमुख एन.एन. वोहरा हैं जो जम्‍मू और कश्‍मीर के राज्‍यपाल हुआ करते थे। वोहरा से पहले ट्रस्‍ट के प्रमुख जस्टिस एस.एस. सोढ़ी थे जिन्‍हें ट्रस्‍ट में आंतरिक मतभेदों के चलते पद छोड़ना पड़ा था।

हरीश खरे तीन साल के अनुबंध पर जून 2015 में अखबार में आए थे। ‘द वायर’ के मुताबिक उन्‍होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इसी हफ्ते के आरंभ में अपना इस्‍तीफा सौंप दिया है। इस्‍तीफ़े में उन्‍होंने कोई कारण नहीं बताया है।

सोशल मीडिया पर हरीश खरे की विदाई को लेकर वॉशिंगटन पोस्‍ट की भारत में ब्‍यूरो प्रमुख एनी गोवेन ने लिखा है:

”हमने मोदी सरकार को चुनौती देने वाले अखबार ट्रिब्‍यून के बारे में लिखा था। अब उसके संपादक को दबाव में इस्‍तीफा देना पड़ा है।”

https://twitter.com/anniegowen/status/974483761466404864

एक और ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है, ”ट्रिब्‍यून के संपादक हरीश खरे- जिन्‍हें प्रेस की आज़ादी पर वॉशिंगटन पोस्‍ट की स्‍टोरी में प्रमुखता दी गई थी- सरकार के दबाव में उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया है।”

https://twitter.com/anniegowen/status/974480440370266113

कई प्रतिष्ठित पत्रकारों और शख्सियतों ने इस घटना पर रोष जताया है।

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