डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 4 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
पंकज श्रीवास्तव बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जीत के जश्न में त्रिपुरा में रूसी क्रांति के नायक लेनिन की मूर्ति ढहा दी। कुछ लोग सोशल मीडिया में तर्क दे रहे हैं कि कम्युनिस्टों ने…
डॉ.आंबेडकर के आंदोलन की कहानी, अख़बारों की ज़़ुबानी – 3 पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक…
जितेन्द्र कुमार ‘है’ की जगह ‘था’ लिख देना बहुत मुश्किल नहीं है अगर वह शब्द किसी वाक्य विन्यास में इस्तेमाल करना हो, लेकिन अगर आपकी किसी खास व्यक्ति से आत्मीयता हो और उनके…
पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक सांविधानिक स्वरूप देने में डॉ.आंबेडकर का योगदान अब एक स्थापित…
388वें जन्मदिवस पर विशेष शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली की केंद्रीय सत्ता के ख़िलाफ़ क्षेत्रीय आकांक्षा का झंडा बुलंद करते हुए अपने राज्य की स्थापना की…
ठीक 418 वर्ष पहले, 17 फ़रवरी, सन् 1600 को, अपने विश्वासों के लिए क़ुर्बान होने वाले महान वैज्ञानिक, साहसी क्रान्तिकारी, गियोर्दानो ब्रूनो को रोम में प्राणदण्ड दिया गया था। प्राणदण्ड देने का…
वैलेंटाइन डे पर विशेष सुखदेव और भगतसिह में काफ़ी निकटता थी लेकिन बमकाण्ड में जाने वाले व्यक्ति को लेकर दोनों में कुछ ग़लतफ़हमी हुई। (सुखदेव को लगता था कि भगत सिंह को…
चन्द्र प्रकाश झा 1977 के बाद से चुनाव के अंतराल और उसके तौर-तरीकों के साथ-साथ चुनावी ख़बरों का रंग-रूप भी काफी बदल गया है. पहले चुनावी ख़बरों की दशा-दिशा निर्धारित करने में संवाद…
पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में डॉ.आंबेडकर को महात्मा गाँधी के बाद सबसे महान भारतीय चुना गया। भारत के लोकतंत्र को एक आधुनिक सांविधानिक स्वरूप देने में डॉ.अांबेडकर का योगदान अब एक स्थापित…
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के देवी प्रसाद त्रिपाठी (डीपीटी) की गणना विद्वान सासंदों में होती है। वे जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं और इमरजेंसी के दौरान उन्होंने 14 महीने की जेल भी काटी…
विकाश सिंह मौर्य उत्तर भारत में ‘सामाजिक-सांस्कृतिक क्रान्ति’ के जनक बाबू जगदेव प्रसाद (2 फरवरी 1922 से 5 सितम्बर 1974) ने आधुनिक भारतीय इतिहास में भारतीय समाज की एक ऐसी नींव को…
नरेश बारिया स्वदेशी गांधीजी अखंड भारत चाहते थे । वे दुनिया के सामने ऐसी मिसाल पेश करना चाहते थे कि भारत में सभी वर्ण -जाति के लोग शांति से रहते हैं । इसलिए …
हम हिंदी के लेखक, कलाकार, संस्कृतिकर्मी कासगंज में हुई साम्प्रदायिक हिंसा से बेहद व्यथित और चिंतित है. गणतंत्र दिवस के दिन ऐसी घटना होना भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. पिछले कुछ समय…
सोशल मीडिया की बढ़ती धमक के साथ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की वल्दियत को लेकर सवाल उठाए जाने लगे। विकीपीडिया में संपादन की खुली सुविधा का लाभ यह हुआ कि उनके पितामहों में किसी…
अमनदीप संधू बीसवीं सदी की शुरुआत के योरप को कलात्मक शैलियों में आए कुछ चौंकाने वाले बदलावों से पहचाना जा सकता है। दृश्य कलाओं में क्यूबिज़्म, डाडा आंदोलन और सर्रियलिज़्म (अतियथार्थवाद) जैसी प्रवृत्तियों…
प्रतिबद्ध वामपंथी लेखक सुभाष गाताडे की दीनदयाल उपाध्याय पर बहुप्रतीक्षित किताब बाज़ार में छप कर आ गयी है. किताब में गाताडे ने बहुत शोध कर के यह समझने की कोशिश की है कि…
नेताजी जयंती पर विशेष नेताजी सुभाषचंद्र बोस, इलाज के लिए 1934 में आस्ट्रिया की राजधानी विएना में थे जहाँ वे खाली वक्त का इस्तेमाल अपनी किताब ‘द इंडियन स्ट्रगल’ लिखने में कर रहे…
नेता जी सुभाषचंद्र बोस ने यह भाषण 4 जुलाई 1944 को बर्मा में भारतीयों के सामने दिया था। इसी भाषण में उन्होंने ” तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” का उद्घोष…
रामचंद्र गुहा मई 2014 के चुनाव से पहले भाजपा समर्थकों ने जवाहरलाल नेहरू पर हमला करने के लिए वल्लभभाई पटेल के नाम का उपयोग किया था। इसी मंशा के साथ हाल ही…
गिरिराज किशोर दो बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित हुए बादशाह खान की जिंदगी और कहानी के बारे में लोग कितना कम जानते हैं। 98 साल की जिंदगी में 35 साल उन्होंने…
पंकज चतुर्वेदी आखिर राहुल गांधी इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेटयन्नहाऊ से क्यों नहीं मिले? आखिर आरएसएस के लोगों को इस्राइल पर इतना प्यार क्यों आता है? असल में इसके मूल में पंडित…
रोहित वेमुला ने दो साल पहले 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद युनिवर्सिटी के हॉस्टल में ख़ुदकुशी कर ली थी। मरने के पहले रोहित ने जो अंतिम पत्र छोड़ा था, उसका अब दस्तावेज़ी महत्व है। …
डॉ. ए.के. अरुण यह दौर इतिहास से छेड़छाड़ और उसकी गलत प्रस्तुति की वजह से युवा पीढ़ी के लिये जरा मुश्किल दौर है। ऐसे में युवाओं के प्रतीक पुरुष स्वामी विवेकानन्द को याद…
यह गुरुवार रात दिवंगत हुए हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक दूधनाथ सिंह की डायरी का एक पन्ना है जिसे कविमित्र विवेक निराला ने उपलब्ध कराया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी के शिक्षक रहे दूधनाथ सिंह…