दक्षिण अफ्रीका में हुए अध्ययन का दावा: ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमण का खतरा डेल्टा से तीन गुना ज़्यादा!

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कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन दुनिया भर में लोगो की टेंशन की वजह बन गया। वैज्ञानिक भी इसे लेकर चिंता में है क्योंकि रिसर्च में ओमिक्रॉन के बारे में ज़्यादा कुछ पता नही चल पा रहा है। कई देशों में इसे लेकर अध्ययन चल रहें है। इन्हीं देशों में से एक साउथ अफ्रीका है जहां से यह नया वैरिएंट आया है। साउथ अफ्रीका में स्वास्थ्य संगठनों के एक समूह द्वारा एक अध्ययन किया गया है। समूह ने नए अध्ययन में दावा किया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से दोबारा संक्रमण का जोखिम डेल्टा या बीटा वैरिएंट की तुलना में तीन गुना अधिक है। यानी जो लोग कोरोना से संक्रमित हैं उनमें संक्रमण फैलने का खतरा ज़्याद हो सकता है।

ओमिक्रॉन के संक्रमण से बचने की क्षमता में महामारी विज्ञान का पहला प्रमाण..

साउथ अफ्रीकन सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस (SACEMA) और नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) के अनुसार, यह खोज ओमिक्रॉन की पूर्व संक्रमण से प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता का प्रमाण प्रदान करती है। यह परिणाम साउथ अफ्रीका की स्वास्थ्य प्रणाली द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है। यह ओमिक्रॉन के संक्रमण से बचने की क्षमता के बारे में महामारी विज्ञान का पहला प्रमाण पेश करता है। नए अध्ययन में मार्च 2020 से 27 नवंबर तक नियमित निगरानी डेटा का इस्तेमाल किया गया। 27 नवंबर तक सकारात्मक परीक्षण वाले 28 लाख लोगों में से 35,670 संदिग्ध को फिर से संक्रमण था। यदि किसी व्यक्ति के कोरोना से संक्रमित होने का मामला 90 दिनों के भीतर आता है, तो इसे पुन: संक्रमण माना जाता है।

भारत के एक संक्रमित डॉक्टर ने बताए ओमिक्रॉन के लक्षण..

आपको बता दें कि अब तक 38 देशों में यह नया वैरिएंट मिल चुका है जिसमे भारत भी एक है। हालांकि इस वैरिएंट को लेकर एक्सपर्ट्स साफ कर चुके हैं कि अभी इसके असर पर कुछ भी कहना मुश्किल है। लेकिन भारत में ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले पहले कुछ लोगों में शामिल एक डॉक्टर ने अपने हालचाल पर जानकारी दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया से की गई बातचीत में ओमिक्रॉन से संक्रमित डॉक्टर ने लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें शरीर दर्द, ठंड लगने और बुखार की शिकायत हुई है, लेकिन अब तक सांस लेने से जुड़ी कोई समस्या नहीं हुई है।

उन्होंने बताया 21 नवंबर की रात में हल्का बुखार आने के बाद अधिकतम बुखार 100 डिग्री फारहेनहाइट तक गया। पर जुकाम, कफ जैसी परेशानियां नहीं हुई। बुखार आने के बाद आरटी-पीसीआर जांच में पता चला कि कोरोना संक्रमित है। जिसके बाद वे तीन दिनों तक होम आइसोलेशन में रहें। हालत में सुधार नहीं होने पर वह एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। संक्रमित डॉक्टर के मुताबिक एचआरसीटी स्कैन के नतीजे में भी फेफड़ों पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। यह बदलाव वैसा ही है जैसा आम कोरोना मरीजों में 3-4 दिन के अंदर देखने को मिलता है।


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