पीएम के अमेरिकी दौरे पर कांग्रेस का सवाल- PM ने कोवैक्सीन ली थी तो अमेरिका जाने की अनुमति कैसे?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए इन दिनों अमेरिका में हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे को लेकर कुछ सवाल उठाए जा रहे है। यह सवाल कोरोना वैक्सीन से जुड़े है। यह सभी जानते है कि पीएम ने भारत में बनी कोवैक्सीन की डोज़ ली है। जिससे अब तक विश्व स्वासथ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने मान्यता नहीं दी है। ऐसे में सोशल मीडिया पर विपक्ष और लोग यह सवाल उठा रहे है की नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे पर कैसे चले गए? उन्हे अमेरिका में एंट्री कैसे मिल गई? जब उन्होंने कोवैक्सीन ली है।

कोवैक्सीन वैक्सीन को अमेरिका ने अपनी लिस्ट में शामिल नहीं किया है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी पर इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि “अगर मुझे ठीक से याद है तो मोदी जी ने कोवैक्सिन लिया था जो अभी तक अमेरिका में स्वीकृत नहीं है। या उन्होंने कोई अन्य टीका भी लिया है? या उन्हें अमेरिकी प्रशासन द्वारा छूट दी गई है? देश यह जानना चाहता है।”

इस मामले पर कांग्रेस की सीनियर नेता मारग्रेट अल्वा के बेटे मशहूर रियलिटी टीवी शो इंडियन आयडल के निर्माता निखिल अल्वा ने भी इस पर सवाल उठाया है। निखिल अल्वा ने ट्वीट किया, ”प्रधानमंत्री की तरह मैंने भी आत्मनिर्भर कोवैक्सीन लगवाई है। अब ईरान, नेपाल और कुछ अन्य देशों को छोड़ दें, तो मैं किसी और देश की यात्रा नहीं कर सकता। लेकिन मुझे यह जानकर हैरानी हो रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी को अमेरिका जाने की अनुमति मिल गई है, जहाँ कोवैक्सीन की मान्यता तक नहीं है। उन्होंने वास्तव में कौन-सी वैक्सीन ली थी?”

पीएम के अमेरिकी दौरे पर जाने के बाद पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी यह सवाल पूछा था। उन्हीं कहा की “क्या आत्मनिर्भर COVAXIN को अमेरिका ने मान्यता दे दी? या फिर PM मोदी ने दरअसल कोई और वैक्सीन लगवाई? PM मोदी अमेरिका रवाना हुए, इसलिए यह प्रश्न आया।

आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल में भारत में ही बनी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। इसके बाद अप्रैल महीने में उन्होंने इस वैक्सीन की दूसरी डोज़ ली थी। हालांकि, कोवैक्सीन को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रे्लिया समेत दुनिया के कई बड़े देशों की ओर से मान्यता नहीं दी गई है। वहीं कोविशील्ड को इस सूची में शामिल किया गया है।


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