कानपुर: बच्चों की भर्ती का 10 साल का रिकॉर्ड टूटा, स्वाइन फ्लू या नये कोरोना वैरिएंट की आशंका!

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उत्तर प्रदेश में बुखार कितने बच्चों की मौत की वजह बन चुका है पहले फिरोज़ाबाद में और अब कानपुर में छोटे बच्चों पर बुखार और निमोनिया ने हमला कर दिया है। दो-तीन दिनों से हैलट के बाल चिकित्सा अस्पताल में प्रतिदिन 40-50 बच्चे भर्ती हो रहे हैं। तेज़ी से फैल रहे संक्रमण को देखते हुए स्वाइन फ्लू की आशंका जताई जा रही है। बाल रोगियों की संख्या किस हद तक बढ़ रही है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बच्चों के लिए दो नए वार्ड खोले गए हैं और तीसरा खुलने वाला है।

बाल रोगियों की संख्या बढ़ने से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के फूलें हाथ-पांव

स्थिति को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बाल रोग एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग (Department of Microbiology) के विशेषज्ञों के साथ बैठक कर इसकी समीक्षा की. बाल रोगियों की संख्या अचानक बढ़ने से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गए हैं। समझ में नहीं आ रहा है कि किसी बीमारी ने हमला कर दिया है, जिससे इतनी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं।

बच्चों की भर्ती का 10 साल का रिकॉर्ड टूटा..

अमर उजाला की एक रिर्पोट के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला का कहना है कि बच्चों की भर्ती का 10 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। इससे पहले एक बार में अधिकतम 186 बच्चों को भर्ती किया गया है। अस्पताल में इस वक्त भर्ती 255 बच्चों में 76 बच्चे एनआईसीयू और 38 बच्चे पीआईसीयू के भी शामिल हैं। बाल रोग एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों की बैठक में भी स्वाइन फ्लू के संक्रमण का संदेह व्यक्त किया गया है। प्राचार्य ने बताया कि सभी बच्चों का कोरोना टेस्ट कराया जाएगा। क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के बीमार होने के पीछे कोरोना के एक नए वैरिएंट की भी आशंका जताई गई है।

टाइप ए इन्फ्लूएंजा के चार रोगी मिले..

स्वाइन फ्लू परिवार के टाइप ए इन्फ्लूएंजा वायरस के चार मरीज मिले हैं। एक निजी पैथोलॉजी में कराए गए पीसीआर टेस्ट में इसकी पुष्टि हुई है। इन मरीजों का इलाज वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजतिलक ने किया है। बता दें कि टाइप इन्फ्लुएंजा H1N1 के समान एक वायरस है। इस संक्रमण से ग्रसित मरीज की हालत नाजुक हो जाती है।

वायरल फीवर से दो बच्चों की मौत..

डॉक्टरों का कहना है कि बाल चिकित्सा अस्पताल में आने वाले वायरल फीवर के मरीजों में निमोनिया, वायरल डायरिया भी पाया जा रहा है। वहीं, बुखार के बाद वायरल इन्सेफेलाइटिस, मेनिनजाइटिस आदि जैसी समस्याएं भी होती हैं। बता दें कि वायरल फीवर से दो बच्चों की मौत हो गई है। बाल चिकित्सा अस्पताल में रविवार को एक बच्चे की और लालबांग्ला अस्पताल में एक बच्चे की मौत हो गई।

 


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