माले का देशव्यापी प्रतिवाद: लॉकडाउन की आड़ में देश बेच रही है सरकार

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राहत पैकेज के नाम पर निजीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने व लोकतंत्र का गला घोंटने, मोदी सरकार की क्रूर मजदूर विरोधी नीतियों के कारण प्रवासी मजदूरों की लगातार हो रही मौतों और क्वारंटाइन सेंटर के नाम पर यातनागृह चलाने की मानव विरोधी कार्रवाइयों के खिलाफ भाकपा-माले ने 19 मई को देशव्यापी प्रतिवाद आयोजित किया.  इस मौके पर घरों और पार्टी कार्यालयों में धरना दिया गया और प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगा गया.

भाकपा-माले नेताओं ने कहा कि अपने 12 मई के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट को अवसर में बदल देने का आह्वान किया था. मोदी के उस आह्वान की हकीकत अब सामने आ रही है. पिछले चार दिनों से वित्तमंत्री द्वारा जारी किए जा रहे विभिन्न सेक्शन के लिए आर्थिक पैकेज छलावा के अलावा कुछ नहीं है. विभिन्न प्रकार के संकटों से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों व अन्य कामकाजी तबकों के अधिकारों पर सरकार ने हमला कर दिया है.

नेताओं ने कहा कि बात तो सरकार राहत पैकेज की करती है लेकिन काम वह कुछ और ही कर रही है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारे का मतलब निजीकरण की प्रक्रिया को खुलकर बढ़ावा देना और सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का गला घोंट देना है. डिफेंस में एफडीआई बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है और कोल माइंनिंग में लागू करने की मंजूरी मिल चुकी है. और एयरपोर्ट्स बेचे जाने के निर्णय हो चुके हैं और ये सारी चीजें राहत पैकेज के नाम पर किया जा रहा है.

माले नेताओं ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के इस अभियान में न जाने कितने मजदूरों की और जान जाएगी! अब तक 150 से अधिक प्रवासी मजदूर बेमौत मार दिए गए हैं. लाखों प्रवासी मजदूर अभी भी लगातार पैदल चल रहे हैं, लेकिन लगता है कि सरकारें अपनी जिम्मेवारियों से पूरी तरह मुक्त हो चुकी हैं. प्रवासी मजदूरों की हो रही दर्दनाक मौतों को देश कभी नहीं भूलेगा और न ही मौतों के इस अंतहीन सिलसिले की परिस्थितियां पैदा करने वाली मोदी सरकार को कभी माफ करेगा.

माले नेताओं ने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर किसी यातनागृह से कम नहीं है. भारी कुव्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब तक कम से कम 3 लोगों की मौत बिहार के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में हो चुकी है. इन सेंटरों में भेड़-बकरियों की तरह लोगों को ठूंस दिया गया है. क्षमता से बहुत अधिक संख्या में लोगों को रखा जा रहा है. न तो ठीक से भोजन की व्यवस्था है और न ही सोने की. यहां तक कि पीने के पानी के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करना पड़ता है.

भाकपा-माले ने आज के विरोध के माध्‍यम से केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा जारी इन छलावों के खिलाफ ग्रामीण मजदूरों, किसानों, लघु उद्यमियों और अन्य कामकाजी तबके के लिए तत्काल राहत उपलब्ध करवाने, सभी को तत्काल 10 हजार रुपया लॉकडाउन भत्ता देने, मनरेगा में 200 दिन काम व 500 रु. न्यूनतम मजदूरी देने, सभी लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने, किसानों के सभी प्रकार के कर्जे को माफ करने, किसानों को फसल क्षति का मुआवजा देने तथा लॉकडाउन के कारण मारे गए सभी मजदूर परिजनों को 20-20 लाख रु. मुआवजे की राशि तत्काल देने की मांग की.

बिहार की राजधानी पटना में राज्य कार्यालय के साथ-साथ चितकोहरा, राजेन्द्रनगर, आशियाना नगर, पटना सिटी, कुर्जी, मंदिरी आदि इलाकों में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए माले कार्यकर्ताओं ने प्रतिरोध किया. पटना के अलावा आरा, जहानाबाद, सिवान, रोहतास, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया, गया, अरवल, बेतिया, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, नवादा, बिहारशरीफ आदि जिला केंद्रों, प्रखंड केंद्रों और गांवों में भी धरना दिया गया.

बिहार राज्य कार्यालय में भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे और अपने आवास पर किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव ने धरना दिया.

इस मौके पर माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि राहत पैकेज के नाम पर केंद्र सरकार ने देश के संसाधनों को बेचने के पैकेज की घोषणा की है. कोरोना व लॉकडाउन के नाम पर एक ओर मजदूरों को मरने-खपने के लिए छोड़ दिया गया है और दूसरी ओर हरेक क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देकर हमारे अधिकारों पर हमला किया जा रहा है.

विधायक महबूब आलम ने कहा कि मजदूरों की इस दुर्दशा के लिए देश मोदी को कभी माफ नहीं करेगा. बिहार में चल रहे क्वारंटाइन सेंटर यातनागृह में तब्दील हो गए हैं. इस प्रकार के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. ये सेंटर धीरे-धीरे लूट के अड्डे बनते जा रहे हैं. सरकार के दावों के विपरीत अब तक कई लोगों की मौत इन सेंटरों में हो चुकी है. भूख का दायरा भी बढ़ता जा रहा है. राज्य के बाहर कई दूरस्थ स्थानों पर मजदूर फंसे हुए हैं, सरकार उनकी बात भी नहीं सुनती. हम लगातार ज्ञापन दे रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.


विज्ञप्ति पर आधारित


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