जनसुनवाई पोर्टल पर गर्भवती औरत का ई-पास आवेदन पेंडिंग, बिचौलिए ने 2 मिनट में पास बनवाया

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सोचिए कि आपके-हमारे घर की कोई महिला गर्भवती हो और उसको इस नाज़ुक वक़्त में घर जाने के लिए ई-पास समय पर न मिले और वही पास कोई दलाल – कमीशन लेकर बनवा दे? दरअसल भ्रष्टाचार का संस्थानीकरण इस कदर हो गया है कि कोरोना संकट के समय भी इसको पैसे कमाने का ज़रिया बना लिया गया है।

भ्रष्टाचार के कितने चेहरे?

उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में ई पास जारी करने में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता का एक गंभीर मामला सामने आया है। फेसबुक पर एक पोस्ट के मुताबिक एक गर्भवती महिला को घर जाने के लिए ई पास की आवश्यकता थी। जिसके लिए सरकारी पोर्टल जनसुनवाई पर ई-पास के लिए आवेदन किया गया। सरकारी आवेदन आज भी पेंडिंग है लेकिन एक ट्रेवल एजेंट ने 2 हज़ार रुपये एक्स्ट्रा लेकर 5 मिनट में पास की व्यवस्था कर दी।

ट्रेवल एजेंट ने 2 हज़ार रुपए में पास तुरंत उपलब्ध करा दिया

दरअसल 3 मई 2020 को रजनीश सिंह ने अपनी प्रेग्नेंट बहन को घर भेजने के लिए जनसुनवाई पोर्टल पर अल्ट्रासाउंड और दवाइयों के पर्चों के साथ अन्य सभी ज़रूरी कागज़ अपलोड कर दिए। 3 मई से आज 12 मई की तारीख हो चुकी है और ख़बर लिखे जाने तक एप्लीकेशन स्टेटस पेंडिंग ही दिखा रहा है। रजनीश के द्वारा की गयी फेसबुक पोस्ट के मुताबिक उनकी बहन दूसरे लॉकडाउन तक तो हालात सामान्य होने का इंतजार करती रहीं लेकिन उसके बाद उनके सामने देखभाल की समस्या खड़ी हो गयी। रजनीश की बहन और उनके पति गाज़ियाबाद में किराये के घर में रहते हैं। उनका सारा इलाज इलाहाबाद से ही चल रहा है। यहां लॉकडाउन की वजह से न ही ज़रूरी देखभाल हो पा रही थी और न ही ज़रूरी टीके लग पा रहे थे। जिसकी वजह से वो घर जाने को लेकर परेशान रहने लगीं। घर जाने के लिए ट्रेवल एजेंट से संपर्क किया गया। उसने दोगुनी कीमत पर जाने के लिए हामी भर दी लेकिन ई-पास के न होने स्थिति में अब भी जाना संभव नहीं था। 3 मई 2020 से 7 मई 2020 तक पास का इंतजार करने के बाद ट्रेवल एजेंट ने पास का इंतजाम खुद कर देने की बात कही और 2000 रुपए उसके लिए और मांगे । जो परिस्थितियों को देखते हुए दिए गए। ट्रेवल एजेंट ने कुछ ही समय में पास उपलब्ध करा दिया और 8 मई 2020 को रजनीश की बहन अपने घर इलाहाबाद चली गयीं। फ़िलहाल रजनीश की बहन अपने घर पहुंच चुकी हैं लेकिन रजनीश का एक सवाल है कि इतने दिन इंतजार करने पर उनकी बहन को यदि कोई समस्या हो जाती तो उसका ज़िम्मेदार कौन होता ?

उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 मई 2020 को एक ट्वीट किया था। जिसमें उत्तर प्रदेश के निवासियों के कहीं फंसे होने या फ़िर राज्य में आने और जाने के लिए जनसुनवाई पोर्टल का लिंक दिया गया है। इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए रजनीश ने 11 मई 2020 को प्रशासन को सूचित भी किया था।

रजनीश के इसी मामले के एक अन्य ट्वीट को नवभारत टाइम्स के नरेंद्र नाथ मिश्रा ने रिट्वीट करके गाज़ियाबाद के डीएम से इस विषय पर जानना चाहा। जिसके जवाब में गाज़ियाबाद के डीएम ने एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया। जिसमें रजिस्ट्रेशन नंबर इनवैलिड/गलत  बता रहा है। लेकिन उस नंबर को जब हमने भी जनसुनवाई के पोर्टल पर जाकर स्टेटस जानना चाहा तो अभी भी स्टेटस पेंडिंग ही बता रहा है।

ई पास एप्लीकेशन स्टेटस, जब हमने जांच की

बिचौलियों की घुसपैठ

ट्रेन टिकट, आरटीओ ऑफिस और अन्य कई सरकारी दफ्तरों में आये दिन एजेंट और अन्य बाहरी लोगों को अधिक पैसा देकर काम करवाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। सरकार और प्रशासन द्वारा इन घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक क़दम भी उठाये जाते हैं लेकिन दरअसल लगभग हर ऐसी जगह पर बिचौलियों का राज जारी है।

क्या अंदर की मिलीभगत के बिना हो सकता है ये गोरखधंधा?

इस मामले को आप अगर संजीदगी और कार्यप्रणाली के ज़रिए समझें, तो आपको समझ में आएगा कि ये सारा काम – अंदर के किसी शख़्स की मिलीभगत के बिना नामुमकिन के जितना ही मुश्किल है। क्योंकि पहले ही पास हासिल करने की प्रक्रिया आसान नहीं है, एक-एक जानकारी और एक-एक क़ाग़ज़ मांग कर, उसकी जांच के बाद ही किसी को भी इस संकट के समय में पास देने की प्रक्रिया है। इसके अलावा प्रक्रिया ऑनलाइन है और संवेदनशील होने के कारण किसी भी ग़लत व्यक्ति को पास जारी करने के ख़ामियाज़े बुरे हो सकते हैं। ऐसे में माना ये ही जाना चाहिए कि प्रशासन इसको गंभीरता से ही डील कर रहा होगा। ऐसे में किसी बिचौलिए के द्वारा 5 मिनट में ये पास बन जाना, इस शक़ को पुख्ता करता है कि बिना अंदर के लोगों की मिलीभगत के ये संभव ही नहीं है।

अब डीएम के ऊपर है कि वे इसकी जांच कितनी गंभीरता से करते हैं। रजनीश वाले मामले की तरह यदि ऑनलाइन सरकारी सुविधाओं में भी इतनी लेट-लतीफ़ी और लापरवाही की समस्याएं होंगी तो यहां भी दलाल और एजेंट सरकारी कामों में बिचौलिए बने रहेंगे। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार और सभी ज़िला प्रशासन अपने स्तर पर इस समय लोगों की मदद करने का दावा कर रहे हैं लेकिन इस तरह की घटनाएं उन दावों पर सवालिया निशान खड़े करेंगी।


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