केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान [Central Drug Research Institute (CDRI)], लखनऊ ने कोरोना की स्वदेशी दवा उमीफेनोविर बनाने का दावा किया है। कहा गया है कि उमीफेनोविर पांच दिनों में वायरल लोड को पूरी तरह से खत्म कर देता है। संस्थान के मुताबिक, इस एंटीवायरल दवा के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा है।
बता दें कि अनुसंधान संस्थान ने इस दवा से वायरल लोड को पूरी तरह से खत्म होने के साथ ही यह दावा भी किया है कि उमीफेनोविर कोरोना के हल्के और बिना लक्षण वाले मरीज़ों के इलाज में बहुत प्रभावी है और उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए रोगनिरोधी के रूप में उपयोगी है।
डेल्टा वैरिएंट पर भी उपयोगी हो सकती है उमीफेनोविर..
CSIR के डायरेक्टर प्रो. कुंडू ने उमीफेनोविर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, यह वर्तमान में केवल टैबलेट के रूप में है। इसे सिरप और इनहेलर के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने डेल्टा वैरिएंट पर इस दवा के उपयोगी हाई के बारे में बताते हुए कहा कि 132 मरीज़ों के क्लिनिकल परीक्षण में ऐसे मरीज़ भी शामिल थे, जिनमें वायरस का डेल्टा वैरिएंट पाया गया था। ऐसे में या माना जा सकता है कि यह दवा डेल्टा वैरिएंट पर भी उपयोगी हो सकती है।
16 दवाओं में से उमीफेनोविर का हुए था ट्रॉयल के लिए चयन..
डायरेक्टर प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि CSIR को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने पिछले साल जून में केजीएमयू, एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, के सहयोग से बिना लक्षण, हल्के और मध्यम कोविड-19 रोगियों पर तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की इजाज़त दी थी। CSIR ने तकरीबन 16 दवाओं का सुझाव दिया था।, जिनमें से ट्रॉयल के लिए उमीफेनोविर (आर्बिडोल) का चयन किया गया था।
दवा का खर्च करीब 600, काम- वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश से रोकना..
प्रो. तपस कुंडू के अनुसार, उमीफेनोविर दवा का पांच दिन का खर्च करीब 600 रुपये के आस पास तक आता है। उमीफेनोविर सार्स COVID-19 की सेल कल्चर को प्रभावी ढंग से नष्ट कर देता है। यह इस वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है। एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉ. एमएमए फरीदी के अनुसार दवा के इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद इसे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भी दिया जा सकता है।
यह दुनिया में अपनी तरह का पहला अध्ययन..
सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ कोरोना की नई दवा उमीफेनोविर का पेटेंट कराने में जुटा है। संस्थान के निदेशक प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि डबल ब्लाइंड प्लेसीबो नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल कर इस दवा का अध्ययन किया गया है। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला अध्ययन है। इसमें इस्तेमाल होने वाली दवा की डोज को सार्स कोविड 2 के खिलाफ पहले कभी टेस्ट नहीं किया गया है।
रूस व चीन में इन रोगों के लिए होता है इसका इस्तेमाल..
टीम समन्वयक डॉ. आर. रविशंकर ने कहा कि उमीफेनोविर एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीवायरल है। यह रूस, चीन और अन्य देशों में 20 से अधिक वर्षों से इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के लिए एक सुरक्षित और गैर-पर्चे वाली दवा के रूप में उपयोग की जाती रही है।