कोरोना और इसके नए-नए दुष्प्रभाव ने लोगो के जीवन पर संकट खड़ा कर दिया है। कोरोना के कई प्रभाव व दुष्प्रभाव से बचाओ के लिए वैक्सीन ही एक मात्र सहारा बचा है, लेकिन अगर वैक्सीन लगवाने के बाद आपके शरीर में खून के थक्के जमने लगे तो….. दरअसल अभी तक ऐसे मामले भारत के बाहर ही सुनाई दे रहे थे, मगर अब या संकट भारत पर भी मंडरा रहा हैं। अब भारत में भी वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जमने के मामले सामने आए हैं।
थक्के जमने से एक मरीज की मौत की पुष्टि..
आपको बता दें कि अभी तक ऐसे मामले केवल यूके और यूएस में दर्ज किए जा रहे थे, लेकिन सोमवार को नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल ने वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जमने से एक मरीज की मौत की पुष्टि की है।जबकि छह मरीज़ों का अभी इलाज चल रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो, अस्पताल के मुताबिक, कोविड वैक्सीन के जरिए इन मरीज़ों में थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (वीआईटीटी) नाम की समस्या देखी गई, जो खून के थक्के जमने के बाद नज़र आती है। फिलहाल छह मरीज़ जीवित हैं और एक की मौत हो गई है।
सात में से पांच मामले केरल से जुड़े..
डॉक्टरों के मुताबिक, इन सात में से पांच मामले केरल से जुड़े हैं और वहां से सैंपल कूरियर के जरिए जांच के लिए दिल्ली आए थे। वहीं, दिल्ली निवासी एक मरीज़ को धौलाकुआं स्थित सैन्य अस्पताल से रेफर कर दिया गया लेकिन मरीज़ की हालत गंभीर होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका।
इन सभी मरीज़ों पर हुई है क्लिनिकल स्टडी..
अस्पताल की सीनियर डॉ. ज्योति कोतवाल ने इन सभी मरीज़ों पर क्लिनिकल स्टडी भी की है, जो इंडियन जर्नल ऑफ हेमटोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन में 29 सितंबर को प्रकाशित हुई थी। डॉ. कोतवाल ने बताया कि कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जमने और प्लेटलेट्स कम होने के दुर्लभ मामले हैं। इन्हें चिकित्सीय विज्ञान में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ VITT या थ्रोम्बोसिस के रूप में जाना जाता है।
एक लाख में से एक व्यक्ति में ही इस तरह की समस्या..
डॉक्टरों के मुताबिक, वैक्सीन लेने के तीन से 30 दिनों के अंदर लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा, यदि डी-डिमर बढ़ा हुआ है और पीएफ हेपरिन एंटीबॉडी मौजूद हैं, तो चिकित्सीय विज्ञान के माध्यम से एक अनुमानित निदान किया जा सकता है। बता दें कि अब तक डेनमार्क, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में ऐसे मामले पाए गए हैं और 11 अगस्त को अमेरिका में भी इसके लिए इलाज के दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। डॉक्टरों के अनुसार, टीकाकरण पर नज़र डालें तो एक लाख में से एक या 1.27 लाख में से एक व्यक्ति ही इस तरह की समस्या का सामनाा करता है।