आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को मैच जिताने वाला छक्का बताया।
यह पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने किसी अदालती विवाद में खुद को उसके एक पक्ष का पैरोकार बना लिया
तनख्वाह देने जैसी जरूरतों के लिए उसे करीब 1000 करोड़ रुपए उधार लेने पड़े हैं।
'संघ बोलता नहीं बुलवाता है। और कौन बोल रहा है, और आने वाले वक्त में कौन -कौन बोलेगा....इंतजार कीजिये, फरवरी तक बहुत कुछ होगा।
अमित शाह ने कहा, 'युति होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।
औसतन हर बरस बीस लाख करोड़ से ज्यादा का चूना, खनन माफिया देश को लगाते हैं।
धारा-66 ए निरस्त किए जाने के बावजूद अब तक 22 से ज्यादा मुकदमे चलाए गए हैं
देश में बेरोज़गारी दर 8-9 फ़ीसदी जा पहुँची है, और शिक्षित बेरोज़गारी दर 16 फ़ीसदी के आसपास है. साल 2018 में ही एक करोड़ से अधिक रोज़गार कम हुआ है.
आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है। इसका मक़सद सदियों से वंचित समुदायों को शासन-प्रशासन में हिस्सेदारी देकर उन्हें राष्ट्र का अंग होने का अहसास दिलाना है।
चीन ने चन्द्रमा के दूरस्थ हिस्से पर कदम रख दिये हैं
इस तरह आप जिसपर काम कर रही हैं वह सही है और दूसरे जिसपर काम कर रहे थे वह?"
क्या 57 महीने की सत्ता भोगने के बाद कोई शर्म, कोई अपराधबोध नहीं है?
उज्ज्वल भट्टाचार्य के साप्ताहिक स्तंभ का सोलहवां अध्याय
अभी हिंदी बोलने, पढ़ने वाले युवा में रीढ़ की वह हड्डी विकसित नहीं हुई है कि वह अपने लेखकों के औचित्य पर सवाल उठा सके
बीजेपी नेता ने ही कंपनी (अगस्ता वेस्टलैंड) का नाम ब्लैकलिस्ट की सूची से हटाने के लिए सिफारिश की थी।
राफेल मामले में सवाल प्रधानमंत्री से पूछा जा रहा है। जवाब वित्त मंत्री दे रहे थे, कल रक्षा मंत्री ने दिया और दस्तावेज पूर्व रक्षा मंत्री के पास गोवा में होने का दावा…
कांग्रेस सांसदों ने अपनी बांह पर काले पट्टे बांधने की कोशिश की जिसे पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाकाम कर दिया.
इस शिया प्रधान इस्लामी देश में हिन्दू युवक और शिया युवती वैवाहिक सूत्र में बंधे मिले।
स साल पुरस्कार पाने वालों में एक, द टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार अक्षय मुकुल भी थे और उन्होंने यह पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेने से मना कर दिया था।
आप का अपना सकारात्मक एजेंडा सामने नहीं आ सका और पंजाब में सरकार बनाने की हसरत धूल में मिल गई।
अगर कल टेलीविजन पर यह इंटरव्यू आ ही गया तो आज के अखबारों में नया क्या है
ममता बनर्जी ने इस फ्रंट के बारे में चुप्पी साध ली।
जितने किसान खुदकुशी करते हैं उससे दोगुना युवा-छात्र-बेरोजगार खुदकुशी करते हैं पर कहेगा कौन ?
जो नहीं जानते उन्हें बेवकूफ बनाने का खेल चल रहा है और किसने क्या कहा के नाम पर अखबार भी यही काम कर रहे हैं
आज ज्यादा खबरें नहीं है। इसके बावजूद यह खबर लीड नहीं बनी है।