कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसोम के राज्य विधानसभा द्वारा पारित ऐतिहासिक जाति-विरोधी भेदभाव विधेयक को वीटो करने का फ़ैसला किया है। इस फैसले पर आईएएमसी समेत तमाम मानवाधिकार संगठनों ने गहरी निराशा और चिंता जतायी है। न्याय, बहुलतावाद और भारतीय अमेरिकियों के नागरिक अधिकारों के हक़ में सक्रिय प्रमुख एडवोकेसी संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने कहा है कि जातिभेद विरोधी विधेयक SB403 को वीटो करने के गवर्नर के फ़ैसले से कैलीफ़ोर्निया इतिहास बनाने से चूक गया है। इस विधेयक के पास होने से जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य बन सकता था।
मानवाधिकार संगठनों ने इस महत्वपूर्ण कानून के पारित होने से बड़ी आशा लगायी थी। यह विधेयक जातिगत भेदभाव को स्वीकार करने और खत्म करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। यह कानून दक्षिण एशियाई प्रवासी समुदायों के भीतर मौजूद जाति-उत्पीड़ित समुदायों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण होता। आईएएमसी के मुताबिक यह अफसोस की बात है कि गवर्नर न्यूसोम ने उस विधेयक को वीटो करने का फैसला किया जिसमें लंबे समय से चले आ रहे इस अन्याय पर रोक लगा सकता था। एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज में जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं है और इसका उन्मूलन किसी भी जिम्मेदार प्रशासन के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा, “भारतीय अमेरिकी मुसलमानों के रूप में, हम यह देखकर स्तब्ध, निराश और बहुत निराश हैं कि गवर्नर न्यूसम ने सभी कैलिफ़ोर्नियावासियों के नागरिक अधिकारों को बनाए रखने और पूरे राज्य में जाति-उत्पीड़ित लोगों के लिए इतिहास बनाने से इनकार कर दिया।”
IAMC के अध्यक्ष मोहम्मद जवाद ने कहा, “अगर गवर्नर न्यूसोम इस बात पर करीब से नज़र डालें कि इस वीटो के लिए किसने दबाव डाला, तो उन्हें पता चलेगा कि वे एक गहरे भेदभावपूर्ण, कट्टर और घृणित वर्चस्ववादी आंदोलन के समर्थक हैं।” “यह अकेले ही पर्याप्त सबूत होना चाहिए कि यह बिल ‘अनावश्यक’ होने से बहुत दूर है, और भेदभाव से प्रभावित लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता था जिसे अधिकांश अमेरिकियों द्वारा अच्छी तरह से समझा या स्वीकार नहीं किया गया है।”
अहमद ने कहा, “इस झटके के बावजूद कि अमेरिका में जाति उत्पीड़न की वास्तविकताओं को नकारने की कोशिश हुई है, हम इंसाफ़ की तलाश में जुटे जाति-उत्पीड़ित समुदायों के साथ खड़े रहने से नहीं रुकेंगे।…हम अमेरिका और दुनिया भर में जातिगत भेदभाव को ख़त्म करने पर ज़ोर देना जारी रखेंगे।”