आज की सबसे दिलचस्प खबर है, राहुल गांधी को स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी और कोविड नियंत्रण की बातें तथा प्रोटोकोल पालन का सुझाव। टाइम्स ऑफ इंडिया ने विज्ञापन के बाद के अपने पहले पन्ने में आधा इसी खबर को दिया है पर आदेश की बात कम है और विवाद की खबर दी है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने अधपन्ने पर सरकारी खबर दी है और उसके पीछे बताया है कि भारत में चीन जैसी हालत क्यों नहीं हो सकती है। और इसके तीन कारण दिए हैं। राहुल गांधी को स्वास्थ्यमंत्री की चिट्ठी को प्रमुखता यहां नहीं मिली है। द हिन्दू ने सरकारी बैठक और चिन्ता की खबर को तो प्रमुखता दी है पर राहुल गांधी को नोटिस सिंगल कॉलम में निपटा दिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर तो पूरी गंभीरता दिखाई है। स्वास्थ्य मंत्री की चेतावनी को प्रमुखता दी है, राहुल गांधी को स्वास्थ्य मंत्री के ‘सुझाव‘ की खबर भी तीन कॉलम में पूरी गंभीरता से छापा है और चीन सीमा पर नजर की खबर भी छापी है हालांकि वह कोविड के लिए नहीं, हाल के झड़प के मद्देनजर है।
कुल मिलाकर, एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर कोविड का भौकाल पूरा है। सिर्फ एक खबर की कमी रह गई है कि चीन से आने वालों के मामले में भारत सरकार ने क्या निर्णय़ किया है। राहुल गांधी को सुझाव वाली खबर के साथ अंदर ‘एक्सप्लेन्ड’ होने की सूचना भी है। पहली नजर में लगता है कि यात्रा से संबंधित सुझाव क्यों गंभीर है, उस बारे में बताया गया होगा पर बताया यही गया है कि मामला वैसा नहीं है जैसा दिखाया या समझाया जा रहा है। अंदर की खबर का शीर्षक भी प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ है, क्या राहुल की भारत जोड़ो यात्रा कोविड-19 की नई तेजी का कारण हो सकती है?
इसके तीन उपशीर्षक है, भारत में कोविड 19 की स्थिति क्या है, कोविड उपयुक्त व्यवहार क्या है और क्या कोविड का नया दौर आ सकता है। इसमें दूसरे उपशीर्षक के तहत बताया गया है कि सरकार ने इसी एक अप्रैल से स्थिति पूरी तरह सामान्य होने का प्रभावी संकेत दिया। ऐसे में मास्क लगाने और ऐसे दूसरे आदेश कानूनन लागू नहीं किए जा सकते हैं और राहुल गांधी को यह सलाह भर ही है। दूसरे अखबारों ने यह सब पहले पन्ने पर नहीं छापा है, अंदर होने की सूचना भी पहले पन्ने पर नजर नहीं आई लेकिन इंडियन एकसप्रेस ने अंदर की अपनी खबर से बता दिया है कि कोविड पर हंगामा राहुल गांधी की यात्रा से संबंधित हो सकता है।
द टेलीग्राफ ने इसे स्पष्ट रूप से कहा है। तस्वीर और आंकड़े सब इसी खबर में छाप दिए हैं और सरकारी बैठक की खबर को कम महत्व दिया है। द टेलीग्राफ का शीर्षक है, “अहा! यात्रा को ढंकने (रोकने) का समय आ गया“। इसके साथ फ्लैग शीर्षक है, “कोविड नियमों का पालन कीजिए या यात्रा मुल्तवी कीजिए, मंत्री ने राहुल से कहा।“ अभी तक के आदेशों के अनुसार यात्रा को कानूनन रोका नहीं जा सकता है तो कहने का मतलब आप समझ सकते हैं। इसमें खास बात यह है कि यात्रा अब उत्तर भारत में है और कल हरियाणा में प्रवेश कर गई। दिल्ली आने वाली है। यात्रा को ढंकने का मतलब इसी से है। हालांकि, अंग्रेजी में टेलीग्राफ ने मास्क शब्द का ही उपयोग किया है और कोविड प्रोटोकोल का पालन करने का मतलब मास्क पहनना–पहनाना भी है।
द टेलीग्राफ ने अंदर के पन्ने पर एक अलग खबर में बताया है कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है और कांग्रेस का क्या कहना है। संजय के झा की बाईलाइन वाली खबर के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राहुल गांधी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने या यात्रा को रोकने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने बुधवार को कहा, “मैं संभावित कोविड को फैलने से रोकने के अपने कर्तव्य की उपेक्षा सिर्फ इसलिए नहीं कर सकता कि एक परिवार शायद मानता है कि वह नियमों से ऊपर है… कोई भी विशेष व्यवहार का हकदार नहीं है।” कहने की जरूरत नहीं है कि यहां “परिवार” का मतलब नेहरू–गांधी परिवार है। भले पिछले 105 दिनों में अनगिनत लोगों ने यात्रा में भाग लिया है और भाजपा ने उन्हें आरोपों, व्यंग्य और उपहास के साथ लक्षित किया है। मीडिया भी इसमें पीछे नहीं रहा और अर्थशास्त्री के यात्रा में शामिल होने पर सवाल उठा चुका है। हालांकि, यात्रा बुधवार को भी जारी रही, लेकिन 24 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करने से पहले राष्ट्रीय राजधानी अचानक समाप्त होने की अफवाहों से घिरी हुई थी।
इन कोशिशों के बीच द टेलीग्राफ की आज की खबर दूसरे अखबारों की खबरों से अलग है, हमेशा की तरह। पेश है नई दिल्ली डेटलाइन से जीएस मुदुर की बाइलाइन वाली खबर का अनुवाद – भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चलने वालों को छोड़कर अब देश में यात्रा के लिए मास्क और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राहुल गांधी को पत्र लिखा, जिसमें तीन सांसदों के एक अनुरोध का हवाला दिया गया है कि यात्रियों द्वारा मास्क पहनना सुनिश्चित किया जाए , केवल उन्हीं को चलने की अनुमति दी जाए जिन्हें कोविड -19 से बचाव का टीका लगा है और चलने वालों को पहले अलग कर दिया जाए और यात्रा में शामिल होने के बाद।
“सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल” के मद्देनजर मंत्री का पत्र सांसदों के अनुरोध का हवाला देते हुए जोड़ता है, यदि उपरोक्त “प्रोटोकॉल” का पालन करना संभव नहीं है, तो यात्रा स्थगित करें। मंडाविया के मंत्रालय द्वारा 21 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए जारी दिशा– निर्देशों में कहा गया है कि सभी यात्रियों को “अधिमानतः” पूरी तरह से टीका लगा होना चाहिए, मास्क का उपयोग “बेहतर” है और किसी भी यात्री को “कोविद -19 के लक्षण” होने पर अलग–थलग कर देना चाहिए।
कोविड समीक्षा बैठक की अध्यक्षता मंडाविया ने बुधवार को की और राहुल को पत्र लिखने के एक दिन बाद भी कोविड सावधानियों को अनिवार्य बनाने के लिए इन दिशानिर्देशों को नहीं बदला है। हालांकि, मंडाविया ने कहा: “मैं कोविड को फैलने से रोकने के अपने कर्तव्य की उपेक्षा नहीं कर सकता, क्योंकि एक परिवार शायद मानता है कि वह नियमों से ऊपर है…।” मंत्री किन नियमों की बात कर रहे थे, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। ….. (सब कुछ ठीक रहा तो) शनिवार को यात्रा नई दिल्ली पहुंचेगी।
कोविड समीक्षा बैठक के बाद नीति आयोग के सदस्य और देश के कोविड -19 टास्क फोर्स के प्रभारी वीके पॉल ने लोगों को न घबराने की सलाह दी। हालांकि, उन्होंने सावधानी बरतने की सलाह दी। पॉल ने कहा, “लोगों को भीड़–भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनना चाहिए। जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है या बुजुर्ग हैं, उन्हें विशेष रूप से इसका पालन करना चाहिए।” उन्होंने वैक्सीन की बूस्टर डोज नहीं लेने वाले लोगों से भी ऐसा करने का आह्वान किया। वैसे, गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों के दौरान, प्रधान मंत्री, वरिष्ठ मंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने बड़ी रैलियों को संबोधित किया, जहां कोई कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था।
बुधवार को भी मंत्रियों के साथ–साथ विपक्षी सांसद भी बिना मास्क के संसद में पहुंचे थे (अखबार ने स्मृति ईरानी और स्वास्थ्यमंत्री की मास्क में और बिना मास्क के तस्वीर छापी है। और बताया है कि कब मास्क लगा था और कब नहीं)। अन्य देशों के अलावा चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में नए कोविड -19 मामलों की संख्या में वृद्धि पिछले छह हफ्तों में वैश्विक मामलों में वृद्धि को बढ़ावा दे रही है, जो 19 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 590,000 दैनिक औसत तक पहुंच गया है।
मांडविया ने ट्वीट किया, “कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है।” केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2021 की शुरुआत में तब कदम नहीं उठाया था जब चुनावी रैलियों और कुंभ मेले में कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोविड -19 सावधानियों के लिए अपील की थी, जैसे कि भीड़ से बचने और फेस मास्क का उपयोग करना, लेकिन निर्णयकर्ताओं ने सावधानी के उन आह्वानों को हरिद्वार में चुनावी रैलियों या कुंभ मेले को अवरुद्ध नहीं होने दिया, दो स्वास्थ्य विशेषज्ञ जो भारत के सदस्य थे कोविड -19 टास्क फोर्स ने पिछले साल इस अखबार को बताया था।
नाम न छापने की शर्त पर एक सदस्य ने कहा, “कौन सुन रहा था? निर्णय लेने वाला तंत्र कहीं और था।” “टास्क फोर्स कई बार एक डमी एजेंसी की तरह एक इको चैम्बर था, जिसमें नीतियों या कदमों पर बहुत कम या कोई चर्चा नहीं की जा सकती थी।” इसी तरह, अशोका विश्वविद्यालय, सोनीपत (हरियाणा) में बायोसाइंसेज और स्वास्थ्य अनुसंधान के डीन अनुराग अग्रवाल ने कहा, “2021 के शुरू में, हमारे पास स्थिति के भयानक होने के लिए आवश्यक सब कुछ था,”। बाजारों में भीड़, चुनावी रैलियों में भीड़, कुंभ मेले में भीड़, तेजी से फैलता डेल्टा और कम टीकाकरण। भारत की आबादी अब बेहतर तरीके से सुरक्षित है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की तीन कोविड -19 लहरें और इसका 23 महीने लंबा कोविड -19 टीकाकरण अभियान, जिसने 90 प्रतिशत से अधिक वयस्कों को कवर किया है , ने क्रूर डेल्टा लहर से पहले, 2021 की शुरुआत की तुलना में अब अपनी आबादी को बेहतर ढंग से संरक्षित किया है।
कोच्चि में एक चिकित्सक और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सह–अध्यक्ष, राजीव जयदेवन ने कहा, “व्यापक टीका कवरेज के कारण भारत प्रतिरक्षा सुरक्षा के दृष्टिकोण से अच्छी स्थिति में है और जो लोग कोविड -19 से बच गए हैं, उन्होंने प्रतिरक्षा हासिल कर ली है।” भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से में भी प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण के परिणामस्वरूप संकर प्रतिरक्षा है, जो, जयदेवन ने कहा, केवल टीकाकरण से प्रतिरक्षा की तुलना में अधिक टिकाऊ है। द टेलीग्राफ की यह रिपोर्ट पूरी नहीं है लेकिन सरकारी चालों से लग रहा है कि यह दिल्ली में राहुल गांधी की यात्रा को रोकने या रोकने के परिणामओं का आकलन करने की कोशिश हो।
इन दिनों जब यह कोशिश चल रही है कि पत्रकारिता का आदर्श सरकार के अच्छे कामों की तारीफ करना भी बना दिया जाए तो टेलीग्राफ खुलकर सरकार की आलोचना करता है और मेरा मानना है कि वह कर सकता है इसीलिए कर पा रहा है वरना सबकी धार अलग–अलग तरह से कुंद की जा चुकी है। जब सरकार कोविड के बहाने राहुल गांधी की यात्रा को साधने की कोशिश कर रही है तो एक खबर में कहा गया है कि यात्रा अपने राजनीतिक उद्देश्य पूरी कर चुकी है और अब बंद करा देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन दिलचस्प यह है कि द हिन्दू में पहले पन्ने पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता आज स्थिति की समीक्षा करेंगे और खबर है कि बैठक शुरू हो चुकी है। इसलिए कल के अखबार भी दिलचस्प होने की उम्मीद है। मिलता हूं, कुछ खास हुआ तो। बी टीम हो या नहीं, काम का इंतजार तो रहेगा ही। हालांकि, मुझे लगता है कि यात्रा रोक दी जाए तो राहुल गांधी को फायदा होगा। जो भी हो, कल की खबर का इंतजार है। वह आज टेलीविजन चैनलों पर भी दिख सकता है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।