एल-जी ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में दाखिले की गिरती संख्या पर जाँच करने के आदेश दिए।

कपिल शर्मा कपिल शर्मा
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एक तरफ आम आदमी पार्टी की सरकार का पूरा प्रचार दिल्ली में शिक्षा के मॉडल को अभूतपूर्व, अनूठा और शानदार बताने को लेकर हो रहा है, वहीँ खिसियाये हुए भाजपाई इसे फ्रॉड करार देने का कोई मौका नहीं छोड़ती। हाल ही में भाजपा का ये हमला एल जी के नेतृत्व में कुछ यूँ हुआ कि एल-जी विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखकर पूछा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा पर पैसा खर्च करने के बावजूद पिछले कुछ वर्षों में नामांकन में गिरावट आई है। “राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में निवेश में वृद्धि के बावजूद, पूर्ण रूप से यह देखा गया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नामांकन 2014 में 15.42 लाख से घटकर 15.19 लाख हो गया था, 2019-20, में भी इसका स्तर गिरा है, “26 अगस्त को लिखे गए पत्र में कहा है।” कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में भाग लेने वाले छात्रों का प्रतिशत घट रहा है 55% और 61% 2016-17 के बीच रहा। जो की पिछले रिकॉर्ड के मुकाबले कम है।
पिछले कुछ दिनों में विदेशी अख़बारों में दिल्ली सरकार के शिक्षा के मॉडल को लेकर जो ख़बरें छपी हैं, जाहिर भाजपा को उनसे परेशानी है, हालाँकि आंकड़ों को देखें तो एल जी के दावों में सच्चाई दिखाई देती है, फिर भी दिल्ली सरकार इन आंकड़ों पर बात करने के जगह अपने शिक्षा के मॉडल को अभूतपूर्व ही बता रही है। माननीय उपराज्यपाल ने इच्छा व्यक्त की है कि इस मामलों को सार्वजनिक हित में जांच की जानी चाहिए माननीय उपराजय्पाल ने ये भी कहा है कि दिल्ली सरकार ने हर साल शिक्षा में सुधार के लिए अपने बजट का एक चौथाई हिस्सा अलग रखा है क्योंकि पिछले सात वर्षों से शिक्षा इसकी प्रमुख परियोजना रही है।


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