देश दिल्ली और तमाशा

कपिल शर्मा कपिल शर्मा
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दोस्तों, दिल्ली यूं तो देश की राजधानी है, और जाहिर है देश के सभी बड़े कामों की शुरुआत यहीं हुआ करती है। लेकिन पिछले दिनों कुछ ऐसी चीजें इस राजधानी में हुई जिनकी तरफ ध्यान दिया जाना लाजिमी है। हालांकि जिन घटनाओं का मैं ज़िक्र आगे करने वाला हूं वो ठीक दिल्ली में तो नहीं, अलबत्ता दिल्ली-एन सी आर में हुई हैं। ट्विन-टाॅवर का डिमाॅलिशन कम से कम एक दिन तो पूरे देश में चर्चा का मुद्दा रहा, खासतौर पर देश, राजधानी और राजधानी के आस-पास के इलाके वालों के लिए ये दिन एक उत्सव से कम नहीं रहा, लोग सुबह से ही नहा-धोकर, नए कपड़े पहन कर, और जो आस-पास के इलाके में थे, चाहे 5 किलोमीटर दूर भी हों, अपने घर के सभी फर्नीचर और बाकी सामानों को ढंक कर बैठ गए। ट्विन-टाॅवर का डिमाॅलिशन भारत के इतिहास में किसी ऐसी बिल्डिंग के कंट्रोल्ड डिमाॅलिशन का ऐसा वाकया था जो इससे पहले कम से कम भारत में नहीं हुआ था। इसलिए जब मैं कहता हूं कि बड़े कामों की शुरुआत यहीं से, यानी राजधानी और आस-पास के इलाकों से होना चाहिए तो इसमें इस अदद को भी जोड़ लेना चाहिए। दो ऐसी इमारतें जिनमें 61 फ्लोर थे, और अगर इनकी तामीर को रोका नहीं गया होता तो इनमें कुल मिलाकर 80 फ्लोर होते, दोनो में चालीस के हिसाब से, उन्हें पांच मिनट में, यकीन मानिए पांच मिनट में मलबे का ढे़र बना दिया गया। भई मेरी समझ नहीं आता कि ये डिमाॅलिशन जो सबको दिखा, उन सबको इनकी तामीर यानी कंस्ट्रक्षन क्यों नहीं दिखा था। आखिर वो सभी कोर्ट, जिनमें इलाहाबाद हाई कोर्ट और देश का सुप्रीम कोट शामिल है, उन्होंने ये क्यों ना कहा कि, आखिर ये कैसे संभव है कि तमाम अनियमितताओं और नियमों को धता बताने वाले ये 32 और 29 मंजिल के टाॅवर खड़े हो गए और मुस्तैद सरकारों की नाक पे जूं ना रेंगी। माफ कीजिएगा, मुहावरा कान पे जूं रेंगना है, लेकिन हम सच बताएं तो बायस्ड मुहावरा है, उनके लिए है, जिनके सिर पर बाल होते हैं, जो सफाचट होते हैं जूं उनकी नाक पर रेंगा करती है।

खैर जनाब, लोगों ने कहा कि टाॅवर आफ करप्शन था, हालांकि करप्शन के खाते में सिर्फ बिल्डर ही आया, कोई सरकारी अधिकारी, मंत्री, नेता का नाम तक इसमें नहीं आया। कैसा अजीबो-गरीब करप्शन है जो सिर्फ बिल्डर ने किया, ऐसा एकांगी करप्शन करने वाले बिल्डर का तो लाइसेंस कैंसिल कर देना चाहिए। लोगों का ये भी कहना है कि यार डिमाॅलिशन की जगह इन टाॅवरों में स्कूल या अस्पताल या ऐसी ही कोई सोशल काॅज वाली सुविधा या सेवा चला देनी चाहिए थी। यहां प्राॅब्लम ये है भाई लोगों की जिन सरकारी जमीनों को ये कहके अस्पताल या स्कूल बने हैं कि उनमें गरीब-गुरबा को मुफ्त सेवा-सुविधा दी जाएगी, उनमें तो गरीबों को कुछ मिलता नहीं, तो इन्हीं टाॅवरों में क्या मिल जाता। फिर याद रखिए कि इन टाॅवर्स को इसलिए डिमाॅलिश किया गया है कि तकनीकी कानूनों की अनदेखी करके इन्हें जो बनाया गया था, वो सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक था। ऐसी खतरनाक बिल्डिंग में कौन अपने बच्चों या मरीजों को भेजेगा? वैसे अगर इसमें हाई-एंड बार, रेस्तरां, या होटल खुलता तो ठीक ही था। ऐसे पाॅश इलाके में, ऐसे पाॅश टाॅवर में जिसमें सबसे सस्ते फ्लैट की कीमत सवा करोड़ या उससे ज्यादा हो, वहां इस्कूल-फिस्कूल खोलने की बातें बेमानी हैं। चलिए पांच मिनट में किस्सा खत्म हुआ, टी वी न्यूज़ एंकरों को मसाला मिला, आपके लिए आधे दिन ही सही कुछ एक्साइटमेंट तो रहा….अब इस किस्से को यहीं खत्म करते हैं।

भ्रष्टाचार की दूसरी राजधानी से निकलने वाली खबरों में एल जी और दिल्ली की आ आ पा सरकार के बीच चली भ्रष्टाचार के आरोपों की एक्साइटमेंट रही। एल जी ने आ आ पा सरकार की एक्साज पाॅलिसी को भ्रष्ट बताया और ई डी और सी बी आई जो वर्तमान सरकार में सदैव घोड़े पर सवार रहते हैं, ने कुछ लोगों से पूछताछ की, शायद कुछ लोगों को डिटेन भी किया, मंत्रियों के घर छापा भी मारा, इतना हो-हल्ला हुआ कि घबरा कर आ आ पा सरकार को अपने विधायकों की गिनती करनी पड़ी कि भैया कुछ उधर पाले में ना चले गए हों। इतने सब ड्रामें के बाद नतीजा वही रहा, ढाक के तीन पात। ये भी देसी मुहावरा है, इसका अंग्रेजी में तर्जुमा मौजूद नहीं है। खैर आ आ पा सरकार के लीडर का कहना है कि भई ये जो एल जी हैं, वो जब खादी भण्डार के चैयरमैन थे तो उन्होने 1400 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। गांधी के तो ये सुन कर ही होश फाख्ता हो गए होंगे, हमारे देश में होश फाख्ता ही हुआ करते हैं। और माइंड यू, ये वो वाली बुलबुल जमात का फाख्ता नहीं है जो सावरकर को पीठ पर बिठा कर ”मातृभूमि” की सैर कराने ले जाती थी। वैसे गरीब खादी के विभाग में इतने सारे रुपयों का घोटाला हो सकता है, इसी से साबित होता है कि भारत इस मामले में बहुत आगे बढ़ चुका है। इस मामले में सबसे दिलचस्प बात ये रही कि एक तरफ दिल्ली के भाजपा विधायक विधानसभा में एक्साइज पाॅलिसी और एजुकेशन पाॅलिसी पर चर्चा करना चाह रहे थे, और केजरीवाल नहीं चाह रहे थे। इतने में मार्शल आए और भाजपा के इन विधायकों को स-विपक्षी-सम्मान सदन से बाहर ले गए। 62 विधायकों वाली केजरीवाल सरकार ने सदन में विश्वास मत रख दिया। जो कि जाहिर है पारित होना ही है। एक्साइज पाॅलिसी की इतनी चर्चा हो रही है, और मैं सूफी में बैठा ये लेख लिख रहा हूं, शायद इसी को आयरनी कहते हैं। अब केजरीवाल का कहना है कि वो चाहते हैं कि एल जी के खिलाफ सी बी आई और ई डी जांच करें। और इस मांग को लेकर वो गांधी की मूर्ति के पास एक दिन और एक रात का धरना देंगे। दूसरी और एल जी का कहना है की भ्रष्टाचार केजरीवाल सरकार ने किया है। हमें क्या पता, हो सकता है दोनों ने किया हो, या किसी ने भी न किया हो।

हालांकि धरना केजरीवाल को पहले से ही देना चाहिए था, लेकिन चलो, ”देर आयद – दुरुस्त आयद” ये फारसी की कहावत है, जिसका अंगे्रजी में तर्जुमा मौजूद है, लेकिन रिपीट करने का कोई फायदा नहीं। तो बात का लब्बो-लुबाबा ये है दोस्तों की दिल्ली में अभी बहुत कुछ हो रहा है, आगे भी होते रहने की उम्मीद है। और हां, जाते-जाते एन सी आर बी के डाटा का जिक्र करना बहुत जरूरी है, जिसके मुताबिक पूरे देश में महिलाओं पर हिंसा की वारदातों में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है, और दिल्ली एक बार फिर से वुमेन हैरेसमेंट कैपिटल बन चुकी है। चलिए जब देश बरबादी में नंबर वन बनने के रास्ते दौड़ रहा हो तो राजधानी क्यों पीछे रहे। इसे कहते हैं, बिना चुपड़ी और तीन-तीन, ये कहावत समय के हिसाब से हमने बदल दी है। ग़ालिब याद होंगे आपको, उनका कहना था, एक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है। बिरहमनों के लिए तो सारे साल अच्छे ही होते हैं जनाब आप देखिए आपका क्या हाल है।