धर्म संसद पर मोहन भागवत बोले- इसका हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं!

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कुछ दिनों पहले हरिद्वार और छत्तीसगढ़ में हुई धर्म संसद विवादों का एक बड़ा मुद्दा बनी थी। इस मामले में वसीम रिजवी उर्म जितेंद्र त्यागी की गिरफ्तारी भी हुई। हालांकि, कई अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी आज तक नही हुई है। धर्म संसद में धर्म गुरुओं द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ दिए गए विवादित बयानों ने हिंदुत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया। इन धर्म संसदों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि इस तरह की धर्म संसदों का आयोजन हिंदुत्व की विचारधारा से अलग है। इसका हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है। भागवत ने घटना पर दुख भी व्यक्त किया।

दरअसल, वह लोकमत मीडिया समूह द्वारा अपने लोकमत नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित एक लेक्चर सीरीज में ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता’ विषय पर बोल रहे थे। नागपुर में एक अखबार के 50 साल पूरे होने के मौके पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भागवत ने कहा, “धर्म संसद से निकले बयान हिंदू शब्द, काम या दिल नहीं हैं। अगर मैं कभी-कभी गुस्से में कुछ कहता हूं, तो वह हिंदुत्व नहीं है। आरएसएस या हिंदुत्व का पालन करने वाले इस पर विश्वास नहीं करते हैं।”

“निजी फायदे के लिए बयान देना हिंदुत्व नहीं”

उन्होंने कहा कि हिंदुत्व कोई मुद्दा नहीं है। इसका अंग्रेजी अनुवाद भी हिंदूनेस है। रामायण और महाभारत में कहीं भी हिंदू नहीं लिखा है। इसका उल्लेख गुरु नानक देव ने किया था। यह बहुत लचीला है और अनुभव के आधार पर बदलता है। उन्होंने कहा कि निजी फायदे या फिर शत्रुता के लिए कोई बयान दे देना हिंदुत्व नहीं है।

आऱएसएस प्रमुख ने कहा, “यहां तक ​​कि वीर सावरकर ने भी कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है, तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के बारे में।” उन्होंने कहा, “RSS या फिर जो लोग भी सही रूप में हिंदुत्व को मानते हैं वे इसके बिगड़े हुए अर्थों पर ध्यान नहीं देते। वे विचार करते हैं औऱ समाज में बैलेंस बनाने का काम करते हैं।”