शीर्ष अदालत हरिद्वार ‘धर्म संसद’ में भड़काऊ भाषणों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए राज़ी हो गई है। कोर्ट ने 10 जनवरी को एक जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई है, जिसमें कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नरसंहार का आह्वान कर हिंसा को उकसाया गया था।
सत्यमेव जयते की जगह अब शास्त्रमेव जयते की बात हो रही..
पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने यह जनहित याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि देश में सत्यमेव जयते की जगह अब शास्त्रमेव जयते की बात हो रही है। प्राथमिकी दर्ज की गई लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। जिसके बाद चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने मामले पर सुनवाई का आश्वासन दिया है। आपको बता दें कि 26 दिसंबर को कोर्ट के कई वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने को भी कहा था।
यह है मामला..
दरअसल, हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषण का एक वीडियो सामने आया था। इसके बाद से ही इस मामले को लेकर बवाल चल रहा है। धर्म संसद में मौजूद धर्मगुरुओं ने विवादित भाषण देते हुए कहा था कि धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने की जरूरत है। साथ ही कहा गया था कि किसी भी सूरत में मुसलमान देश का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए। इसके साथ ही मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक और नरसंहार जैसी बातें कहीं गई थी।