UPTET पर सरकार से सवाल, छोटी मछलियों पर नहीं, रसूखदारों पर कब होगी कार्रवाई: वरुण गांधी

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यूपी टीईटी 2021 का पेपर रविवार, 28 नवंबर को लीक हो गया। यह परीक्षा दो पालियों में होनी थी, जिसमें कुल मिलाकर 21 लाख से ज्यादा परीक्षार्थीयों को शामिल होना था। पेपर लीक कांड में कई लोगों को गिरफ्तार तो किया गया है, लेकिन इस कांड से प्रदेश में युवाओं के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इसे लेकर अब भाजपा सांसद वरुण गांधी ने UPTET के रद्द होने पर छात्रों के हित में आवाज उठाई है। बता दें कि परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसे लेकर वरुण गांधी ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, सरकार मामले में छोटे-छोटे लोगों को गिरफ्तार करने की बजाय शिक्षा संस्थाओं के माफियाओं पर कार्रवाई की जानी चाहिए जो इस शर्मनाक खेल के असली खिलाड़ी हैं। आखिर राजनैतिक रसूख दार पर कार्यवाही कब होगी?

राजनैतिक संरक्षक शिक्षा माफियाओं पर कठोर कार्यवाही करे सरकार: वरूण गांधी

वरूण गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर सवाल खड़े करते हुए लिखा, “UPTET परीक्षा पेपर लीक होना लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। इस दलदल की छोटी मछलियों पर कार्यवाही से काम नहीं चलेगा, उनके राजनैतिक संरक्षक शिक्षा माफियाओं पर कठोर कार्यवाही करे सरकार। क्योंकि अधिकांश शिक्षण संस्थानों के मालिक राजनैतिक रसूख दार हैं, इनपर कार्यवाही कब होगी?”

सरकार की नाकामियों का खामियाजा कब तक आम जनता भुगतेगी?

बता दें कि टीचर बनने की तैयारी करने वाले उत्तर प्रदेश के लाखों परीक्षार्थी, UPTET परीक्षा का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। शिक्षक भर्ती का इंतजार परिक्षार्तियों को पिछले कई महीनों से था क्योंकि भर्ती जल्दी नहीं आती है और जब शिक्षक भर्ती का फॉर्म आया भी तो परीक्षा होने से पहले ही पेपर लीक हो गया, जिससे लाखों परीक्षार्थियों की आकांक्षाएं धूमिल होती नजर आ रही हैं। एक ओर जहां सरकार भर्तियों के संचालन में समय व्यतीत करती है, वहीं दूसरी ओर परीक्षा के बाद की कार्यवाही में बहुत समय लगता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में कई बार फाइनल रिजल्ट और ज्वाइनिंग लेटर आते-आते सालों बीत जाते हैं। ऐसे में पेपर लीक की यह घटना बेहद चिंताजनक है।

इससे भी बड़ी चिंता इस बात की है की आखिर सरकार की नाकामियों का खामियाजा कब तक आम जनता भुगतेगी? सरकार का कहना है कि यह परीक्षा एक महीने के भीतर फिर से आयोजित की जाएगी, लेकिन उम्मीदवार आरोप लगा रहे हैं कि कुछ दिनों में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी और यह परीक्षा दोबारा जल्द नहीं होगी। उम्मीदवार पक्ष सुन यह सवाल भी जायज़ है कि क्या सरकार ने फिर से उम्मीदवारों को संशय में रखा है? और सब से बड़ा सवाल है की जब भी कोई परीक्षा लीक होती है सरकार छोटे-छोटे लोगों को पकड़ कर जेल भेज देती है, लेकिन मुख्य सरगना तक जांच नहीं पहुंच पाती है, क्या इस बार भी यही होगा? यह उम्मीदवारो के मेहनत पर सरकार ऐसे ही पानी फेरती रहेग?


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