यूपी: ध्वनि प्रदूषण रोकने में विफल अफसरों को हाईकोर्ट ने चेताया

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वाहनों के साइलेंसर बदलने, हूटर्स व प्रेशर हॉर्न से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने में विफल अधिकारियों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट की पीठ ने इस पर गहरी नाराज़गी जाहिर की है। साथ ही ठोस कार्रवाई नहीं होने पर अफसरों को तलब करने की चेतावनी भी दी।

कार्रवाई का हलफनामा दाखिल करने का आदेश..

पीठ ने कहा कि इसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। पीठ ने निर्देश दिया कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो गृह एवं परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पेश होना होगा। अदालत ने लोक अभियोजक द्वारा कड़ी कार्रवाई के आश्वासन पर गृह एवं परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों सहित पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई का हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

मॉडिफाइड साइलेंसर के कारण ध्वनि प्रदूषण पर लिया HC ने स्वयं संज्ञान..

न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की खंडपीठ ने यह आदेश स्वयं ‘मॉडिफाइड साइलेंसर के कारण ध्वनि प्रदूषण’ जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए दिया। कार्ट ने आला अफसरों से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा तलब किया है।

कोर्ट ने पहले के दाखिल हलफनामे को बताया बहाना…

दरअसल कोर्ट पूर्व के आदेश पर दाखिल एसीएस होम और डीजीपी के कार्रवाई हलफनामे से संतुष्ट नहीं था। कोर्ट ने हलफनामे पर टिप्पणी करते हुए इन्हे महज़ एक बहाना बताया। वहीं, कोर्ट यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील द्वारा दी गई जानकारी से भी असंतुष्ट था। पीठ ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि उसके हलफनामे में भी ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी ने क्या किया, कोई जिक्र नहीं है। इससे पहले कोर्ट ने वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई के आदेश देते हुए कार्रवाई की रिपोर्ट राज्य सरकार समेत शीर्ष अधिकारियों को तलब की थी। आदेश दिया गया था कि परिवहन एवं गृह विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एवं पुलिस उपायुक्त यातायात, लखनऊ को कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं..

पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने कहा कि मॉडिफाइड साइलेंसर, हूटर और प्रेशर हॉर्न से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। कोर्ट ने मामले में नियुक्त न्याय मित्र अधिवक्ता के सुझावों पर अफसरों को गौर कर जवाब देने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 29 सितंबर को रखी है।


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