कोरोना का न्यू वैरिएंट ‘म्यू’, WHO ने कहा हो सकती है वैक्सीन बेअसर!

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
Corona Published On :


अब तक कोरोना का डेल्टा वैरिएंट सबसे घातक माना जा रहा था। जिसने भारत समेत कई देशों को अपने भयावह रूप से दहला रखा था। डेल्टा के वैरिएंट टीकाकरण के बाद भी लोगो को संक्रमित कर रहे थे। लेकिन अब इसका स्थान लेने के लिए एक नया वैरिएंट ‘म्यू’ सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वैरिएंट के बारे में बताते हुए चिंता व्यक्त की है। यह भी बताया है की इसका इसका वैज्ञानिक नाम बी.1621 है और यह नया वैरिएंट कई म्यूटेशन का जोड़ है। जिसपर वैक्सीन बेअसर हो सकती है।

‘म्यू’ वैक्सीन से बनी इम्युनिटी से बचने में कारगर..

यह बातें, डब्ल्यूएचओ ने महामारी पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहीं है। साथ ही कहा कि ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत (classified)  किया गया है। संगठन ने बताया की यह वैक्सीन से बनी इम्युनिटी से बचने में कारगर है। इसका सीधा अर्थ यह निकलता है की वैक्सीन लगवाने के बाद भी इसके म्यूटेशन शरीर पर आक्रमण कर सकते हैं। इसके साथ ही संगठन ने यह भी जानकारी दी की यह वैरिएंट अपना रूप बदल रहा है। संगठन इस पर नज़र बनाए हुए है। इसके म्यूटेशन को अच्छे से समझने के लिए आगे अध्ययन की जरूरत है। बता दें की यह  ‘म्यू’ वैरिएंट जनवरी, 2021 में पहली बार कोलंबिया में मिला था।

इन देशों में है यह वैरिएंट..

डब्ल्यूएचओ के बुलेटिन के अनुसार, कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ‘म्यू’ वैरिएंट के वैश्विक प्रचलन में गिरावट आई है। फिलहाल यह 0.1% से भी कम है।  यानी वैश्विक स्तर पर इसके फैलने की रफ्तार उतनी नहीं है। कोलंबिया में 39% और इक्वाडोर में 13% म्यू का प्रसार बढ़ रहा है।  इसका गंभीर प्रभाव यूरोप और दक्षिण अमेरिका में देखा गया है। ब्रिटेन, अमेरिका और हांगकांग में भी ‘म्यू’ के मामले सामने आए हैं। कई अन्य देशों में भी इसके थोड़े बहुत मामले सामने आए हैं।

क्या भारत में यह नया वैरिएंट मिला?

आपको बता दें की भारत में वायरस के 232 से अधिक म्यूटेशन सामने आ चुके हैं। लेकिन खतरनाक और चिंताजनक बताया जा रहा कोरोना का म्यू वैरिएंट अभी तक भारत में नहीं पाया गया है। वहीं म्यूटेशन सी.1.2 वैरिएंट का भी कोई मामला भारत में नहीं आया है। इस साल मार्च के बाद से म्यू पांचवां ऐसा फॉर्म है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी सूची में रखा गया है।  39 देशों में इसका पता चलने के बाद इसे 30 अगस्त को WHO की निगरानी सूची में रखा गया है।  इनमें अल्फा और डेल्टा वेरिएंट शामिल हैं।


Related