चंदौली: रक्षामंत्री के गृह ज़िले में हर तरफ़ त्राहिमाम, बिना दवा-इलाज दम तोड़ रहे हैं लोग!

अजय राय अजय राय
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कोरोना के कोहराम के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह चुप हैं, लेकिन उनके गृह ज़िले चंदौली में हर तरफ़ हाहाकार मचा हुआ है। पंचायत चुनाव के बाद कोरोना की उफनाई लहर में गाँव के गाँव डूबे जा रहे हैं। ऑक्सीजन, दवा, बेड, वेंटीलेटर जैसी चीज़ों का अभाव सैकड़ों घरों में मातम की वजह बन गया है। हालत ये है कि सिर्फ़ शाहाबाद ब्लाक के एक गाँव में 15 दिनों में 11 कोविड संक्रमित मरीज़ों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग पंगु नज़र आ रहा है।

चकिया के आदर्श नगर निवासी चन्द्रमणि कुशवाहा को 9 मई को कमलापति जिला अस्पताल, चन्दौली में भर्ती कराया गया था।  उनका आक्सीजन लेवल 40 – 45 था।  तत्काल वेंटिलेटर की जरूरत थी। लेकिन तीन वेंटीलेटर में से कोई भी काम न आया।  नतीजा, चंद्रमणि कुशवाहा की मौत हो गयी।

चन्दौली जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने चन्दौली में कमलापति त्रिपाठी सरकारी अस्पताल व चकिया में चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय में कोविड -2 के मरीजों के लिए 150 बेड की व्यवस्था की है लेकिन गम्भीर मरीजों के लिए कोविड -3 की कोई व्यवस्था नहीं हैं! वेंटिलेटरों की संख्या बहुत कम है। मात्र तीन की जानकारी मिल रही है, वह भी चन्दौली के कमला पति त्रिपाठी जिला अस्पताल में हैं। चकिया के जिला संयुक्त चिकित्सालय में एक भी वेंटीलेटर नहीं हैं! चन्दौली जनपद में कोविड के मात्र 177 बेड हैं जिनमें आइसोलेशन बेड भी शामिल है।

पंचायत चुनाव के बाद कोरोना का प्रभाव शहरों कस्बों के गाँव में बड़ी तेजी से फैल रहा है। कुछ गाँव में तो एक ही परिवार के कई सदस्यों की मौत हो गयी है! चन्दौली जनपद के ही शहाबगंज ब्लॉक के डुमरी गाँव में करीब 15 दिनों के अंदर 11 मरीजों की मौत हो गयी। शुरुआत में नंदलाल मौर्या के पुत्र आनंद मोर्या को तेज बुखार व साँस लेने में दिक्कत हुई। समुचित इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गयी। फिर तो सिलसिला ही शुरू हो गया। देखते देखते रामसेत मौर्या, शकुन्तला देवी, लालजी चौहान, मराछी, रामराज मोर्या, कामदेव पाण्डेय, प्रभु नारायण, बिन्दा चौबै, पुष्पा और कुमार की मौत हो गयी लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने जांच व दवाई वितरण के नाम पर केवल खानापूर्ति की। न तो जांच के लिए पुरे गाँव के लोगों के सैंपल लिये गये और न ही गाँव में साफ सफाई, सेनेटाइज़िं की व्यवस्था की गयी।

वहीं चकिया के सरफुद्दीन खान, साइमा खातुन, महबूब आलम, शिवा पटेल, लल्लन, सहित कई लोगों की आक्सीजन व वेंटिलेटर की अभाव में मौत हो गयी! चकिया ब्लॉक के ही कुशही गाँव में एक ही परिवार के रामसेवक यादव, रामजन्म यादव की मौत हुई। यही हाल सभी ब्लॉक का है जहाँ मरीजों की संख्या की भरमार है। आक्सीजन, दवा-इलाज के अभाव में लोगों की मौतों का सिलसिला बना हुा है।

इस बीच चन्दौली स्वास्थ्य विभाग पुरी तरह से पंगु नज़र आ रहा है। अपने कोविड अस्पताल में वह न कोई व्यवस्था दे पा रहा हैं और न ही निजी अस्पतालों पर अंकुश है। निजी अस्पताल मरीजों को लूट रहें हैं। एक-एक बेड का चार्ज 25 हजार तक लिया जा रहा है। जांच के नाम रेपिड जांच हो रही है और उस जांच में ज्यादा तर निगेटिव रिपोर्ट आ रही है। वहीं मरीजों की PCR (polymerase chain reaction) जांच हो रहा है तो पॉज़िटिव रिपोर्ट आ रही है। तब तक कोविड मरीज की हालत खराब हो जा रही हैं!

परेशानी और भी है। लॉकडाउन लगा हुआ है, लेकिन मरीजों के परिवार वाले को खाने की व्यवस्था जिला प्रशासन नहीं कर रहा है। कम्युनिटी किचन चलाकर गरीबों को भोजन देने की बात दूर की कौड़ी है! गम्भीर कोविड के लक्षण वाले मरीज अस्पताल आने में असमर्थ है और उनके घर जाकर PCR जाँच नहीं हो पा रही है! उदाहरण के रूप में समाजसेवी अजय राय की पत्नी गीता राय जो चकिया कस्बे की निवासी हैं, उनका बहुत कोशिशों के बावजूद घर पर PCR जांच नहीं हो पायी! कोविड -2 में मरीजों का ज़्यादातर इलाज नर्स व वार्ड ब्वाय के सहारे हो रहा है जबकि ओपीडी बंद है। कोविड -2 में गंदगी की भरमार है क्योंकि चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय के सफाई कर्मचारी, जो संविदा पर हैं, उन्होंने हड़ताल कर दिया है। उनका कहना है कि इतने कम वेतन पर वे जान जोखिम में नहीं डालेंगे! जबकि स्थायी सफाई कर्मचारियों की भारी कमी है!

 

इसके अलावा अस्पताल में आक्सीजन की कमी लगातार बनी हुई है जबकि रामनगर व मुगलसराय में छ: आक्सीजन पंलाट निजी हैं। अगर जिला प्रशासन इनका अधिग्रहण कर लेता तो आक्सीजन की किल्लत बनारस व चन्दौली में दूर हो सकती थी। सरकारी आकड़ा यह है कि चन्दौली जनपद में कोविड मरीजों की संख्या 15422 है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 13455 और एक्टिव मरीज की संख्या 1720 है। इस बीच 251मरीज की मौत हुई है। लेकिन यह सरकारी आकड़ा जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चंदौली जिले की जनसंख्या 19.527 लाख है। गंगा किनारे के गाँव से रोजाना लाशें बहती देखी जा रही हैं। उन्हें चील कौए और और कुत्ते नोचकर खा रहे हैं, ऐसी खबरें आ रही हैं। इसका मतलब हैं कि लाशों का श्मशान में हिन्दू रीति रिवाज से क्रिया कर्म नहीं हो रहा है। सरकार के इस आदेश का उत्तर प्रदेश में कोई मतलब नहीं कि श्मशान व कब्रिस्तान में क्रियाकर्म कराने के लिए प्रधान व नगरीय प्रशासन पांच हजार रुपये की व्यवस्था करें! यह कहीं नहीं हो रहा है। गांवों व नगरों में जांच की प्रक्रिया घटा कर सरकार हालात में सुधार की बात कर रही है जबकि बिना जांच कराये ही कोरोना के लक्षण देख कर बड़ी संख्या में लोग घर पर ही इलाज करा रहें हैं!

इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को लेकर सरकार और प्रशासन को चेताया है। आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा है कि ज़िला प्रशासन पूरी तरह पंगु हो चला है। चंदौली में हो रही मौतें इलाज और सुविधाओं के अभाव में हो रही हैं। इसके लिए सीधे सरकार ज़िम्मेदार है।

 

लेखक राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

 

 

 


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