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नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली को आज हाउस ऑफ रिप्रेसेन्टेटिव में विश्वास प्रस्ताव पर हार का सामना करना पड़ा। विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 93 वोट पड़े जबकि विरोध में 124 वोट पड़े।
पीएम ओली ने अंतिम कोशिश के तहत आखिरी क्षणों में एकता की अपील की थी और सोशल मीडिया में भी पोस्ट लिखी थी। विश्ववास मत पर मतदान शुरू होने से पहले पीएम ओली ने सदन के सामने अपनी उपलब्धियाँ भी गिनायीं लेकिन विरोधियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देऊबा और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) के पुष्प कमल दहाल ने विश्वास प्रस्ताव के ख़िलाफ भाषण दिया।
समाजवादी पार्टी-नेपाल के नेता महंत ठाकुर और उपेंद्र यादव ने तटस्थ रहने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी माँगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। हालाँकि पहले उन्होंने समर्थन का वादा किया था। कुल 15 सांसद मतदान के दौरान तटस्थ रहे।
चुनाव पूर्व माओवादी और सीपीएन (यूएमएल) का विलय हो गया था। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी अस्तित्व में आयी थी और उसे बहुमत मिला था। लेकिन जल्दी ही ओली और पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड के बीच मतभेद बढ़े और पार्टी टूट का शिकार हो गयी।
ज़ाहिर है, पीएम ओली अब पीएम की कुर्सी पर नहीं रह सकते। सरकार बनाने के नये समीकरण नहीं बनते हैं तो देश में चुनाव अवश्यमभावी हैं।