झारखंड: सर, मैं क्वारन्टाइन हूँ, भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर मुखिया के दलाल ने मेरी माँ को मारा!

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झारखंड में दुमका ज़िले के संजीव कुमार लेखक हैं। उनकी माँ के साथ जो व्यवहार हुआ, वह बताता है कि ज़मीनी स्तर पर भ्रष्टाचार किस तरह चल रहा है और इसमें अफसरों की किस तरह मिलीभगत है। हम इस पत्र को जस का तस छाप रहे हैं- संपादक।

 

सर,

मेरा नाम संजीव कुमार है, मैं झारखण्ड के दुमका ज़िले से हूँ। मैंने स्फोटवाद बनाम नारीवा पर उपन्यास (जिमी-कन्द) भी लिखा है। मैं हमेशा सरकारों, प्रशासनों की उनींदी पर लिखता आया हूँ। गरीबों, मजबूरों का पक्ष लेकर लड़ता आया हूँ। कहते हैं, कि एक लेखक होने के बाद आदमी की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

इसी को मानते हुए मैंने 2 मई को दुमका के उपायुक्त महोदया को ट्विटर पर टैग करते हुए अपने क्षेत्र रसिकपुर मुनिबाबा कुटिया में पानी की किल्लत की बात बतायी। मैंने यह भी बताया, कि मुखिया के दलाल ने चापाकल से पाइप निकालकर बेच दिया है। उपायुक्त महोदया ने जांच की जिम्मेदारी स्थानीय बीडीओ को दी। बीडीओ साहब ने पंचायत सचिव को उस स्थान पर जाकर जाँच करने को कहा। जाँच करने पहुंचे पंचायत सचिव के सामने मुखिया के दलाल ने मेरी माँ को भद्दी-भद्दी गालियाँ दी और मारा। मारने के दौरान उसने कुर्सी तक उठा ली लेकिन एक अन्य महिला (पड़ोसी) रुक्मिणी देवी ने कुर्सी छीन ली। इस बाबत मैंने सारी जानकारी उपायुक्त महोदया को दी। उन्होंने कहा, कि एफआईआर कराइए और उसकी कॉपी मुझे व्हाटसअप कीजिए। उसके बाद उन्होंने मुझे व्हाटसअप पर ब्लॉक कर दिया।

उस दलाल ने पंचायत सचिव को भी गालियाँ दी थी, जिसके बाद उन्होंने केस (शायद) दर्ज करवा दिया था। उसके बाद पाँच मई को पहुंचे पुलिस वालों ने, जो चार-पाँच की संख्या में थे, जिसे पंचायत सचिव लेकर आये थे, ने उल्टा पंचायत सचिव को ही डांटना शुरू कर दिया। उस दलाल का पुलिस पर इतनी दबदबी है, कि बयान देने पहुँची मेरी मां और पड़ोसी रुक्मणी देवी को उन पुलिस वालों ने धमकाकर कहा, कि ज्यादा लंबा-चौड़ा मत कीजिए। केस करके क्या उखाड़ लीजिएगा? भोला सिंह (मुखिया के दलाल का नाम भोला सिंह है) अच्छा आदमी है। जाओ घर जाओ। माँ घर चली आयी।

सर, मैं कोरेन्टाइन पर हूँ। लेकिन यह पूछना चाहता हूँ, कि क्या जन शिकायत करनी गुनाह है? अगर गुनाह है तो उसकी सज़ा मुझे मिलनी चाहिए थी ना कि मेरी माँ को। वो तो बेचारी कुछ जानती भी नहीं थी। उसने सभी आगन्तुकों को पानी तक पीने को दिया और बदले में मार खायी। मैंने सारी जानकारी उपायुक्त महोदया को टैग करते हुए कहा, एफआईआर की फोटो भी टैग की पर कोई नतीजा नहीं निकला। एसपी श्री अम्बर लकड़ा बेहतरीन एसपी हैं, लेकिन उनका भी नंबर बंद आ रहा है। मैंने उन्हें भी एफआईआर की कॉपी व्हाटसअप की है पर सीन नहीं हो रहा है। मुझे कहीं से कोई मदद नहीं कर रहा है। प्लीज, मेरी माँ को न्याय दिलवाइए।


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