पीएम के भाषण के साथ कोरोना टीकाकरण शुरू, RML के डाक्टरों ने कोवैक्सीन लेने से किया इंकार

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भारत में आज दुनिया के सबसे बड़े अभियान के दावे के साथ कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन करते हुए इसे वैज्ञानिकों और डाक्टरों के लिए गर्व का दिन बताया लेकिन दिल्ली के मशहूर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेजीडेंट्स डाक्टर एसोसिएशन ने लिखकर दे दिया है कि वे भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन नहीं लगवायेंगे। सरकार ने कहा है कि जो वैक्सीनी दी जायेगी, वही लगवानी पड़ेगी। लोगों के पास चुनाव का विकल्प नहीं है।

पीएम मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिये कोरोना टीकाकरण की शुरुआत एक भावुक भाषण से की और उन लोगो को याद किया जिन्होने मरीज़ों की सेवा करते हुए अपनी जान गँवा दी। बहरहाल, उन्होंने खुद टीका नहीं लिया जैसा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा या जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने टीवी के सामने लिया था।

सरकार के मुताबित तमाम राज्यों के 3006  केंद्रों पर टीकाकरण शुरु हुआ लेकिन पहले ही दिन भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के ख़िलाफ़ डॉक्टरों ने ही बग़ावत कर दी। दिल्ली के आरएमएल हास्पिटल के डाक्टरों ने लिखकर दिया है कि इस वैक्सीन के ट्रायल को लेकर कई संदेह हैं जिसकी वजह से वे यह वैक्सीन नहीं लेंगे। दरअसल पहले चरण में डाक्टरों और स्वास्थ्य सेवाकर्मियों को टीका लगाने का फ़ैसला हुआ है।

ग़ौरतलब है कि ऑाक्सफोर्ड के सहयोग से पुणे के सीरम इस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड विकसित की है जिस पर सवाल नहीं उठे हैं, लेकिन सरकर ने बिना सारी प्रक्रिया के पूरा हुए रातो रात भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी मंज़ूरी दे दी जिस पर कई सवाल हैं। सरकार यह विकल्प भी नहीं दे रही है कि लोग मनर्मज़ी टीका लगवायें। ऐसे में जिन राज्यों को और जहाँ-जहाँ कोवैक्सीन की सप्लाई होगी वहाँ इसकी ही डोज़ लेनी होगी। आरएमएल के डाक्टरों ने इसका खुला विरोध करके लोगों को शक़ को बढ़ा दिया है।

ग़ौरतलब है कि आरएमएल अस्पताल केंद्र के अधीन आता है और यहाँ सभी को कोवैक्सीन ही लगाने की योजना है। डॉक्टरों की माँग है कि उन्हें भी कोविशील्ड वैक्सीन लगाई जाए। उनका कहना है कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और इसका डाटा भी अभी तक पूरी तरह से सामने नहीं आया है।

 

 

आरएमएल के डाक्टरों के इस रुख से वैक्सीन को लेकर बहस तेज़ हो गयी है। नार्वे में टीका लेने के बाद 23 नागरिकों की मौत ने इस बहस को और तेज़ कर दिया है।


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