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सात दिन से जारी किसान आंदोलन ने उन राजनीतिक दलों की नींद उड़ा रखी है जो किसानों के सपोर्ट बेस पर सत्ता तक पहुँचते हैं। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला काफ़ी दबाव में हैं। ख़ासतौर पर जब निर्दलीय विधायक इस मुद्दे पर सरकार का साथ छोड़ रहे हैं। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के दस विधायों के ज़रिये ही हरियाणा में बीजेपी की सरकार चल रही है, वरना वह बहुमत से छह सीट पीछे रह गयी थी।
इधर, जननायक पार्टी के अध्यक्ष और दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला ने कहा है कि जब केंद्र सरकार मानती है कि किसानों को एमएसपी से कम दाम नहीं मिलेंगे तो यह बात लिखकर क्यों नहीं दे सकती। अजय चौटाला के मुताबिक सरकार को इस मसले पर बड़ा सोचना चाहिए और किसानों की मांगों पर कुछ समाधान निकालना चाहिए।
अजय चौटाला का यह बयान किसानों के बढ़ते दबाव का नतीजा माना जा रहा है। हरियाणा की गठबंधन की सरकार से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने इसी मुद्दे पर समर्थन वापस ले लिया है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है और राजस्थान के सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी ऐसी ही धमकी दी है। पंजाब की सरकार तो किसान आंदोलन के साथ है, लेकिन हरियाणा की सरकार ने जिस तरह उनके दिल्ली कूच के रास्ते में रोड़े अटकाये, उससे किसान काफ़ी नाराज़ हैं। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को लग रहा है कि इसका ठीकरा कहीं उनके सर न फूटे, इसलिए पार्टी सतर्क होकर बयान दे रही है। जानकारों का मानना है कि दबाव बढ़ने पर दुष्यंत चौटाला भी सरकार से हट सकते हैं।