बस विवाद का अंत नहीं: अब राजस्थान सरकार ने सार्वजनिक की, योगी सरकार की चिट्ठी !

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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उत्तर प्रदेश और राजस्थान – भाजपा और कांग्रेस के बीच का बस विवाद ख़त्म होता नहीं, बल्कि हर रोज़ बढ़ता ही जा रहा है। कांग्रेस द्वारा प्रवासी श्रमिकों के लिए राजस्थान से लाई गई, 1000 से अधिक बसों को सीमा पर ही खड़ा रख कर – वापस लौटा देने के बाद इस मामले का अंत नहीं हुआ था। दो दिन से लगातार दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रही थी। इस बीच गुरुवार को यूपी सरकार ने राजस्थान सरकार द्वारा भेजा गया, कोटा से छात्रों को लाने वाली बसों का बिल सार्वजनिक कर दिया। तो अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने यूपी सरकार की एक चिट्ठी सार्वजनिक कर दी है, जिसमें यूपी सरकार ने राजस्थान सरकार के बसों के खर्च का ब्यौरा – भुगतान करने के लिए मांगा था।

पहले यूपी सरकार ने बिल सार्वजनिक किया 

गुरुवार को यूपी सरकार ने राजस्थान सरकार का एक पत्र सार्वजनिक किया, जो दरअसल कोटा से छात्रों को यूपी छोड़ने के लिए गई बसों का बिल था। इसमें 36 लाख, 36 हज़ार, 664 रुपए का बिना देर किए भुगतान कराने का अनुरोध किया गया था। इस चिट्ठी पर गुरुवार से भाजपा के नेताओं ने हंगामा मचाया हुआ था। राजस्थान सरकार पर अमानवीय बर्ताव करने का आरोप लग रहा था।

इस पत्र को भाजपा के तमाम नेताओं ने ट्वीट करना शुरु किया और मीडिया ने भी इस ख़बर को सुर्ख़ी बना लिया। इस पत्र पर 8 मई की तारीख पड़ी हुई थी।

जिसके बाद राजस्थान के परिवहन मंत्री ने अपनी ओर से भी एक चिट्ठी साझा करते हुए ट्वीट कर के, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

राजस्थान सरकार ने यूपी सरकार का ख़त दिखाया है 

और अब इस विवाद में अगली चाल चली है, राजस्थान कांग्रेस ने। राजस्थान सरकार की ओर से एक और पत्र सार्वजनिक किया गया है। इस पत्र को यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक की ओर से राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम के एमडी नवीन जैन को लिखा गया था।

इस पत्र को 27 अप्रैल, 2020 को लिखा गया था और इसमें राजस्थान सरकार से कोटा से छात्रों को लाने वाली बसों के किराए के भुगतान के लिए बिल मांगा गया था। इस यानी कि राजस्थान सरकार का कहना है कि उसने पहले बिल नहीं भेजा, उसको चिट्ठी भेज कर उत्तर प्रदेश सरकार ने किराए के भुगतान के लिए बिल की मांग की थी।

ऐसे में अब बीजेपी इस पत्र का क्या जवाब देगी नहीं पता, लेकिन ये साफ है कि इस मुश्किल वक़्त में भी दोनों ही पक्षों की ओर से, जम कर राजनीति चालू है।


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