आख़िरकार यूपी की योगी सरकार ने इजाज़त नहीं दी और कांग्रेस को अपनी तमाम बसों को वापस करना पड़ा। इसके पहले बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने वीडियो संदेश देकर बसों को इजाज़त देने की अपील की थी। लेकिन सरकार के रुख का आलम यह रहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को देर शाम लखनऊ में फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कल भी गिरफ्तार किया गया था। उन पर बसों के बारे में गलत सूचना देने का आरोप है। इस मामले में प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गिरफ्तारी और संदीप सिंह पर एफआईआर के मामले पर यूपी कांग्रेस के एक ट्वीट को री-ट्वीट करके अपना विरोध जताया है।
यूपी कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा है कि “श्री अजय कुमार लल्लू जी और श्री संदीप सिंह के ख़िलाफ कोरोना महामारी के दौर में फिज़ूल के आरोपों के आधार पर FIR दर्ज करके और श्री अजय कुमार लल्लू जी को गिरफ़्तार करके उप्र सरकार ने अपनी नीयत पूरी तरह से प्रकट कर दी है। इस तरह की राजनीति निंदनीय है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी नेता और कार्यकरता इस कृत्य का पुरजोर विरोध करेंगे। हम इस अत्याचार के खिलाफ लड़ेंगे, अपने साथियों के पक्ष में पूरी पार्टी खड़ी है।“
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी नेता और कार्यकरता इस कृत्य का पुरजोर विरोध करेंगे। हम इस अत्याचार के खिलाफ लड़ेंगे, अपने साथियों के पक्ष में पूरी पार्टी खड़ी है।
— UP Congress (@INCUttarPradesh) May 20, 2020
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के फेसबुक पेज पर वापस लौट रही खाली बसों का लाइव वीडियो पोस्ट किया गया है। इस पोस्ट प्रियंका गांधी ने लिखा कि “कितना दुखद है। दिल भारी है। सारी बसें खाली वापस जा रही हैं। देश को ये भी देखना था। प्रवासी श्रमिक पैदल चल रहे हैं।“
https://www.facebook.com/priyankagandhivadra/videos/665789680639772/
दरअसल पैदल चलते हज़ारों मज़दूरों को घर वापस भेजने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने एक हज़ार बसों का इंतज़ाम करने का ऐलान किया था। यूपी सरकार ने पहले तो अनुमति दे दी, लेकिन फिर कहा कि लिस्ट दीजिए और सभी बसें लेकर लखनऊ आइए। जब लिस्ट दे दी गयी तो कहा गया कि कई बसों के पास कागज़ नहीं हैं। हालांकि 879 बसों को सरकार ने सही माना। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर सक्रिय रही। उसकी ओर से कहा गया कि वह और बसों का इंतज़ाम करेगी और जो भी कागजी कमियां हैं पूरी करेगी। लेकिन सरकार की ओर से सांप-सीढ़ी का खेल खेला जाता रहा।
इसके पहले अंतिम प्रयास करते हुए प्रियंका गाँधी ने बुधवार को एक वीडियो संदेश जारी किया। इसमें उन्होंने योगी सरकार पर जानबूझ कर, कांग्रेस को प्रवासी श्रमिकों की मदद न करने देने का आरोप लगाते हुए – इन बसों को अनुमति देने की अपील की। उन्होंने सरकार को भेजी गई चिट्ठियों और सरकार से आए हुए जवाबों का हवाला देते हुए कहा कि भले ही भाजपा, इन बसों पर अपनी पार्टी के झंडे लगा ले लेकिन इन बसों को चलने दे। इन बसों के ज़रिए 92 हजार लोगों को मदद मिलेगी लेकिन ये बसें अभी भी सीमा पर ही खड़ी हैं और योगी सरकार अनुमति नहीं दे रही है।
बाकी राजनैतिक दलों से भी कांग्रेस के साथ आने की अपील करते हुए प्रियंका ने कहा कि यह कठिन समय है और ऐसे में सभी राजनैतिक पार्टियों को लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। प्रियंकां गांधी ने बताया, “उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने लोगों की मदद के लिए मदद के लिए, हर जिले में वॉलंटियर्स तैनात किए हैं। कांग्रेस की ओर से हाईवे पर टास्क फोर्स बनाए गए हैं। कांग्रेस के लोग जरूरतमंदों को मदद कर रहे हैं, खाना दे रहे हैं और कांग्रेस ने 67 लाख लोगों की मदद की है।”
इस बीच यूपी सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री दिनेश सिंह समेत तमाम बीजेपी नेता बस विवाद में कूद गए हैं। बीजेपी की ओर से लगातार ये दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस ने जिन 1000 से अधिक बसों डिटेल्स उपलब्ध करवाई थी, उनमें कुछ दोपहिया वाहन, कुछ एंबुलेस, कारों और ऑटो रिक्शा के नंबर भी हैं। हालांकि इस पर प्रियंका गांधी ने अपने संदेश में कहा है कि कांग्रेस नई लिस्ट भी सौंपने को तैयार है। इसके अलावा जिन बसों की जानकारी राज्य सरकार को सही लगती है- कम से कम उनको तो चलाए जाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
इससे पहले सुबह साढ़े 10 बजे, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस कर के, यूपी सरकार पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम को प्रवासी श्रमिकों की पीड़ा की कोई चिंता नहीं है। वे कांग्रेस के ऊपर झूठे आरोप लगाने की जगह और बसों की डिटेल्स पर सवाल करने की जगह इन बसों को चलने दें तो बेहतर होगा। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “यह घटिया राजनीति की चरम सीमा है। ‘अजय सिंह बिष्ट’ सरकार गोल-गोल घुमा रही है। इस राजनीति का औचित्य क्या है? हम सरकार के इस रुख की कड़ी निंदा करते हैं। मई की चिलचिलाती गर्मी के बीच और पैर में छाले लेकर श्रमिक चल रहे हैं, लेकिन बसों को रोका जा रहा है और सस्ती राजनीति की जा रही है।”
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