ब्राज़ील के लोग घबराए हुए हैं लेकिन 9 मई को ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो, एक झील में जेट स्कीइंग कर रहे थे। बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए, पहले वे मौज मस्ती करते रहे और फिर लोगों के साथ सेल्फी खिंचवाई। जैसा कि ब्रिटिश साइंस जर्नल लैंसेट ने कहा था कि कोरोना काल में ब्राज़ील के लिए सबसे बड़ा ख़तरा उसके राष्ट्रपति हैं। ये जुमला सुन कर आपको डोनाल्ड ट्रम्प की भी याद आ गई होगी, उनके लिए ये ही बात नॉम चोम्स्की ने कही थी। दरअसल बात लगभग है भी एक ही जैसी, डोनाल्ड ट्रम्प की ही तरह, बोलसोनारो भी बड़बोले हैं – जनता की ओर से बेपरवाह और अश्लीलता की हद तक आत्ममुग्ध। मंगलवार को आए नए आंकड़ों में ब्राज़ील में 881 नई मौतें हुई और कोरोना मामलों की संख्या बढ़कर 177,589 पहुंच गई। इस तरह ब्राज़ील, जर्मनी के मामलों को क्रॉस कर के उसके ऊपर पहुंच गया। अब ब्राज़ील, दुनिया के कोरोना संक्रमण और मौतों के मामले में सातवें स्थान पर है – ग्राफ तेज़ी से ऊपर जा रहा है।
सबसे पहले जब ब्राज़ील में, कोरोना के शुरुआती मामले आए – बोलसोनारो ने कोरोना संक्रमण को मामूली बुख़ार बता दिया। वे इतने असंवेदनशील हो गए कि उन्होंने ये कह दिया कि उनकी तरह एथलीट रहे लोगों को वायरस के संक्रमण से कुछ नहीं होगा, अगर किसी की हालत बहुत ख़राब हुई तो उसे मामूली बुख़ार सा महसूस होगा। उस समय भी दुनिया से ब्राज़ील तक के एक्सपर्ट्स उनकी बातों का विरोध कर रहे थे, लेकिन ब्राज़ील में इसको लेकर गंभीरता से काम नहीं शुरु हुआ। स्थितियां बिगड़ती चली गई।
हैरानी की बात नहीं है कि अमेरिका, जहां इस समय सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित हैं और सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं – वहां भी राष्ट्रपति ने शुरुआती दौर में ऐसा ही लापरवाह रवैया दिखाया। ट्रम्प ने भी कहा कि कोरोना से घबराने की ज़रूरत नहीं है। अंततः सरकारी उपेक्षा का नतीजा सामने है। ऐसी ही भाषा बोलसोनारो की भी रही है। हैरानी नहीं होनी चाहिए कि दोनों की आपस में खूब जमती है। लेकिन आख़िरकार ट्रम्प को कहना पड़ा, “मुझे कहने में बुरा लग रहा है लेकिन ब्राज़ील में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है। ग्राफ़ में तेज़ी आई है। ये ग्राफ लगभग वर्टिकल (सीधे ऊपर जाता) है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति मेरे अच्छे मित्र हैं, शानदार आदमी हैं लेकिन वहां लोग काफी मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं।”
लेकिन ब्राज़ीली राष्ट्रपति को इनमें से किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। वो लगातार सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करते रहे। वो सार्वजनिक रूप से दौरे करते रहे, खुले में समर्थकों से मिलते रहे, हाथ मिलाते रहे और समर्थकों के फोन अपने हाथ में लेकर सेल्फ़ी लेते रहे। उनकी आलोचना होती रही, पर उनको फर्क नहीं पड़ा। बीती 19 अप्रैल को राजधानी ब्राज़िलिया में सेना के हेडक्वार्टर के बाहर लॉकडाउन हटाने की मांग को लेकर जो प्रदर्शन हुआ, वे उसमें भी शामिल हो गए और भाषण देते वक्त उनको खांसते देखा गया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।
ऐसा नहीं है कि ब्राज़ील में बोलसोनारो के रवैये को लेकर विरोध नहीं है, साओ पाओलो और रियो डि जेनेरियो के गवर्नर, न केवल बोलसोनारो के आलोचक हैं – बल्कि इन राज्यों में क्वारंटीन के प्रावधान लगातार लागू हैं। पर बोलसोनारो जब-तब इन पर भी हमला बोलते रहते हैं और गवर्नर बोलसोनारो की आलोचना करते हैं। बोलसोनारो, अपनी ही सरकार के लागू किए गए लॉकडाउन का मुखर विरोध करते रहे हैं। अप्रैल में, उनके अपने ही स्वास्थ्य मंत्री लुईज़ हैनरिक मनडेटा ने, उनकी अप्रत्यक्ष आलोचना करते हुए कह दिया था, “इस भयानक संकट के समय में सरकार को एकजुट हो कर मुश्किल से निपटना चाहिए था। हमको हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए।” ये बयान राष्ट्रपति के बयानों के बिल्कुल उलट था और ज़ायर बोलसोनारो ने स्वास्थ्य मंत्री को बर्ख़ास्त कर दिया। नया स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया नेल्सन टीच को, जो कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं और निजी क्लिनिक समूह के सीईओ होने के साथ एक मेडिकल कंसल्टेंसी कंपनी में पार्टनर भी हैं।
ब्राज़ील की जनता, जो अपने राष्ट्रपति को पहचान गई है और सेल्फ क्वारेंटाइन में है – वो मंत्री की बर्खास्तगी के बाद, अपनी बालकनी और दरवाज़ों पर आई और उसने बोलसोनारो का विरोध किया। लेकिन इससे बोलसोनारो को कोई फर्क नहीं पड़ा, वे हाल ही में एक झील में जाकर जेट स्कीईंग का लुत्फ लेने लगे और फिर अपने समर्थकों से मिले और उनके साथ तस्वीरें खिंचाई। दरअसल देश का अमीर वर्ग और पूंजीपति उनके साथ खड़े हैं, क्योंकि उसको लगता है कि लॉकडाउन से सबसे ज़्यादा नुकसान उनके व्यापार और उद्योग को हो रहा है।
ये ख़बर लिखे जाने तक ब्राज़ील में 178,214 कोरोना संक्रमित हो चुके थे, 12,461 लोग अपनी जान गंवा चुके थे, 12 मई को 8,600 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुक थे। इसी समय बोलसोनारो लॉकडाउन की मुख़ालिफ़त कर रहे हैं और कह रहे हैं कि स्कूल-कॉलेज ही नहीं, सलून-पार्लर और रेस्तरां भी खुल जाने चाहिए। ब्राज़ील के लोगों ने बोलसोनारो को ‘ज़रूरी बुराई’ या एसेंशिलय ईविल के तौर पर वोट दिया था। अंततः हमेशा जनता का ऐसा चुनाव, ऐसे ही नतीजे में बदलता है, जहां देश को एक आत्ममुग्ध शासक – तानाशाह बन जाने के सपने के तले रौंद डालता है। बोलसोनारो केवल ब्राज़ील में नहीं, दुनिया के तमाम देशों में है – जहां जनता को लोकतंत्र से उपजी निराशा में ऐसा कोई विदूषक पसंद आ जाता है और फिर हर गंभीर बात, केवल एक मज़ाक भर बन के रह जाती है।