कोलकाता पुलिस ने 22 अप्रैल 2020 को एक ट्वीट करके बाबुल सुप्रियो पर झूठ फ़ैलाने का आरोप लगाया है। कोलकाता पुलिस ने लिखा है कि “बाबुल सुप्रियो द्वारा किया गया ये ट्वीट पूरी तरह से गलत और झूठी जानकारी है। कोलकाता पुलिस ने सोमनाथ दास के ख़िलाफ़ कोई केस नहीं दर्ज किया है।”
आपको बता दें कि कोलकाता पुलिस का ये ट्वीट बाबुल सुप्रियो के उस ट्वीट के बाद आया है, जिसमें उन्होंने लिखा था कि “एमआर बांगुर अस्पताल की हालत दिखाने वाले वीडियो को पोस्ट करने वाले सोमनाथ चटर्जी के ख़िलाफ़ कोलकाता पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। वो कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज थे और उनकी जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, जिसके बाद उनको डिस्चार्ज कर दिया गया और फ़िर कोलकाता पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।”
बाबुल सुप्रियो ने वीडियो शेयर कर के पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया था
इसके पहले बाबुल सुप्रियो ने एक वीडियो ट्विटर के माध्यम से पोस्ट किया था। उस वीडियो को बनाने वाला व्यक्ति कह रहा है कि “यहाँ शव पड़े हुए हैं, जिनको अभी हटाया नहीं गया है। एक शव प्लास्टिक की चादर से ढंका है तो दूसरा सिर्फ़ एक कपडे से ढंका पड़ा है। उन शवों के आस-पास रोगी बैठे है। साथ ही अन्य मरीज भी आस-पास ही मौजूद हैं।” बाबुल सुप्रियो ने इस वीडियो पर पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल पूछा था कि “ये वीडियो सभी पब्लिक प्लेटफार्म पर मौजूद है। मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करता हूँ कि इस वीडियो की जाँच की जाए और इसकी सत्यता बताई जाए।” इसके बाद 21 अप्रैल को बाबुल सुप्रियो ने एक ट्वीट किया जिसमें उनका कहना था कि “वीडियो के सुपर वायरल होने के बाद भी अभी तक सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है कि ये फेक वीडियो है या ये बांगुर अस्पताल नहीं है। जिसकी वजह से ये वीडियो सत्य के काफ़ी क़रीब लगता है।”
पार्थ चटर्जी: भाजपा फर्जी वीडियो फ़ैलाने में माहिर है
बाबुल सुप्रियो के द्वारा वीडियो को लेकर सवाल पूछने पर पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ मंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि वीडियो की सत्यता की जांच की ज़रूरत है और यदि वीडियो सही पायी जाती है तो प्रशासन उचित कदम उठाएगा। पार्थ चटर्जी ने ये भी कहा कि, हमें पहले जांचना होगा कि वीडियो सही है या नकली, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भाजपा फर्जी वीडियो फैलाने में माहिर है।
मोबाइल पर प्रतिबंध को भी अस्पताल के वीडियो से जोड़ा
आपको बता दें कि ममता सरकार ने अस्पताल के अंदर मोबाइल फ़ोन ले जाने को मना कर दिया है। सरकार का मानना है कि मोबाइल की वजह से संक्रमण फ़ैल सकता है। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा का कहना है कि डॉक्टरों, मरीजों व् अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के अस्पताल के अंदर मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हम मरीजों के लिए वार्ड में लैंडलाइन और इण्टरकॉम फ़ोन की व्यवस्था करेंगे। बाबुल सुप्रियो ने ट्वीट की गयी वीडियो को सरकार के इस फ़ैसले से जोड़कर भी सवाल किया है।
पहले भी पोस्ट की थी फर्जी फ़ोटो
साल 2017 में बाबुल सुप्रियो ने राजकोट बस अड्डे की फ़र्ज़ी फ़ोटो शेयर की थी। जबकि वो एक संभावित 3D रिप्रजेंटेशन मात्र थीं। हालाँकि उन्होंने बाद में अपनी गलती मान ली थी।