कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद देश के अलग-अलग राज्यों से अपने-अपने घर लौटने के पीड़ादायक प्रयास में बीते छह दिनों में 25 प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत की ख़बर है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं.
एक तरफ देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या बढ़कर 43 हो गयी, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते रोड एक्सीडेंट्स और मेडिकल इमर्जेंसी से अब तक 25 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. यह संख्या मीडिया में आयी रिपोर्टों पर आधारित है. दूसरे स्रोतों के हिसाब से वास्तविक संख्या 35 तक जा सकती है।
Deaths Due to Lockdown in India: More Than 25 People, Mostly Migrant Workers, Lost Lives Due to Coronavirus Shutdown-Related Reasons, Say Reports #Coronavirus #CoronavirusLockdown #CoronaLockdown #Lockdown https://t.co/UKJdDJMp57
— LatestLY (@latestly) March 30, 2020
मीडियाविजिल ने इन मौतों पर प्रतिक्रिया लेने के लिए सीटू के नेता तपन सेन से बात की. कॉमरेड सेन ने कहा ये सभी मौतें असावधानी और सरकार की लापरवाही का नतीजा है. ज्यादातर मौतें लम्बी दूरी की यात्रा की थकान और एक्सीडेंट की वजह से हुई हैं.
उन्होंने कहा, “आपको ये याद रखना पड़ेगा कि ये मौतें कोरोना से नहीं हुईं बल्कि कोरोना मिसमैनेजमेंट की वजह से हुई हैं. और ये जितनी मौतों की रिपोर्टिंग हुई है ये केवल वो संख्या है, ये संख्या बढ़ भी सकती है”. पुलिस की पिटाई से किसी भी मौत की आशंका से अभी इनकार करते हुए सेन ने कहा कि सरकार ने इनको निकालने के लिए कोई व्यवस्था किये बिना ही देश में तालाबंदी की घोषणा कर दी.
उन्होंने कहा, “मीडिया को इस बात पर फोकस करना चाहिए कि 24 मार्च को गृह मंत्रालय ने एक दिशानिर्देश जारी किया. लेबर मिनिस्ट्री ने एक दिशानिर्देश जारी किया. इसके बाद इन सभी मजदूरों को मालिकों ने काम से निकाल दिया, मकान मालिकों ने घरों से निकाल दिया. हाथ में जो पैसा बचा था वे उसी से गुजारा करते रहे. पैसे खत्म होने लगे तो वे घरों की ओर चल पड़े. पर जाते कैसे? लॉकडाउन के तीसरे-चौथे दिन उनकी हालत खस्ता हो गयी. अब वे कहां जाएंगे? तो गलती कहां हुई? जब तालाबंदी का निर्णय लिया जा रहा था तब प्रवासी मजदूरों के बारे में कुछ भी सोचा नहीं गया था किन्तु उन्हें पता था कि इन मजदूरों के बारे में कुछ करना चाहिए तो बाद में दिशानिर्देश भी जारी किया गया किन्तु तब तक उसे अमल में लाने में देरी हो गयी. यह मामला केवल प्रवासी मजदूरों का नहीं है, अन्य क्षेत्र के कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं”.
एक्टू दिल्ली प्रदेश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के नाम एक पत्र जारी किया है.
LETTER TO CM LG-1लॉकडाउन के ऐलान के बाद से सड़क हादसों के चार अधिक मामले सामने आए हैं. 27 मार्च को हैदराबाद के पेड्डा गोलकोंडा के पास हुए सड़क हादसे में आठ लोगों की मौत हो गयी. मरने वालों में तेलंगाना के प्रवासी मजदूर थे और इनमें दो बच्चे भी शामिल थे. ये लोग कर्नाटक के रायचूर में अपने घरों को वापस जा रहे थे. ये एक खुले ट्रक में यात्रा कर रहे थे. इस ट्रक को पीछे से आ रही एक लॉरी ने टक्कर मार दी. हादसा हैदराबाद के बाहरी मुद्रिका रोड (आउटर रिंग रोड) पर रात 10:30 बजे हुआ. ये सभी हैदराबाद के सूर्यापेट स्थित एक निर्माण कंपनी में मजदूर थे और कंपनी की ओर से 31 प्रवासी मजदूर एक बोलेरो मैक्स खुले ट्रक में यात्रा कर रहे थे.
Hyderabad: Eight migrants returning home killed in road accidenthttps://t.co/0Ogjk7bveF
— The Indian Express (@IndianExpress) March 28, 2020
गुजरात के 6 प्रवासी मजदूरों की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. 28 मार्च को महाराष्ट्र से गुजरात में अपने घरों की ओर वापस लौट रहे चार प्रवासी मजदूरों को तेज़ रफ्तार से आ रहे एक टेंपो ने कुचल दिया. इन चारों लोगों की मौत हो गई. यह सड़क हादसा मुंबई-अहमदाबाद हाइवे पर पारोल गांव के पास हुआ.
उसी दिन, गुजरात के वलसाड ज़िले में दो महिला मजदूरों की भी मौत हो गयी. ये महिलाएं एक रेलवे पुल को पार कर रही थीं, तभी एक मालगाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी.
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, 29 मार्च की सुबह कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर 4 लोगों को एक गाड़ी ने कुचल दिया.
Nuh: 4 dead, 4 injured after being run over by a vehicle on Kundli–Manesar–Palwal (KMP) Expressway early morning today. The eight people were walking on the expressway when the vehicle hit them. #Haryana
— ANI (@ANI) March 29, 2020
इसी ख़बर पर एक दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक इस हादसे में कुल 5 लोगों की मौत हुई है और 3 बुरी तरह ज़ख़्मी हुए हैं.
लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से पैदल मुरैना के बड़फरा गांव के लिए निकले रणवीर नामक 39 साल के व्यक्ति की आगरा के सिकंदरा थाने में मौत हो गयी. मौत से पहले रणवीर 200 किलोमीटर चल चुका था. युवक शुक्रवार की शाम 3 बजे अपने साथियों के साथ निकला था. शाम 6 बजे उसने अंबाह में ब्याही अपनी बहन पिंकी को फोन करके कहा कि मैं फरीदाबाद आ गया हूं और जल्द ही घर पहुंच जाऊंगा.
Migrant worker, 39, collapses after walking 200km from Delhi to Agra, dies https://t.co/ipR8vEWe6d via @TOICitiesNews
— The Times Of India (@timesofindia) March 29, 2020
शनिवार सुबह आगरा पहुंचने के बाद उसके साथी आगे निकल गए और सुबह 6.30 बजे सिकंदरा थाना क्षेत्र में सड़क किनारे ही उसकी मौत हो गयी. दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रणवीर की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. मौत से पहले उसने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा था- मुझे लेने आ सकते हो तो आ जाओ.
देशव्यापी तालाबंदी से पहली मौत 24 मार्च को तमिलनाडु में हुई थी. यहां एक बच्चे सहित 4 लोगों की मौत हो गयी थी. तालाबंदी से परिवहन की कमी के कारण ये सभी मजदूर केरल और तमिलनाडु सीमा के बीच फंसे हुए थे. केरल के एक एस्टेट में काम करते थे. परिवहन न मिलने पर ये सभी पैदल जा रहे थे. बाकी ज्यादातर मजदूर एस्टेट द्वारा व्यवस्थित जीप से गये थे किन्तु ये लोग जंगल में जल कर मर गये.
Two more people died in the forest fire at Rasingapuram in #Theni district on Tuesday night, taking the death toll to four https://t.co/SS0HJ3lbZJ
— The Hindu – Chennai (@THChennai) March 25, 2020
लॉकडाउन की वजह से एक और मौत 26 मार्च को पश्चिम बंगाल में हुई थी. हावड़ा का 32 वर्षीय एक व्यक्ति लाल स्वामी जब दूध लेने के लिए बाहर निकला तो पुलिस ने उसकी बेरहमी से पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गयी.
देशव्यापी तालाबंदी के कारण सड़क दुर्घटनाओं के अलावा भुखमरी से भी मौत की ख़बर है. बिहार के आरा जिले में एक 11 वर्षीय दलित युवक ने भूख के कारण दम तोड़ दिया है.
An 11-year-old Dalit boy died of hunger at Mushahar Tola in Bihar’s Ara district reportedly due to the ongoing nationwide #lockdown to contain the spread of #COVID19.https://t.co/YgSD8jgylv
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) March 29, 2020
मृतक ने बीते एक सप्ताह से कुछ नहीं खाया था. उसने 27 मार्च को भूख से दम तोड़ दिया. इस मौत से इलाके में तनाव पैदा हो गया है. इस मौत ने दो साल पहले झारखण्ड में हुई संतोष कुमारी की याद ताज़ा कर दी है.
कोरोनाबंदी के कारण मजदूरों को काम नहीं मिलने से मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न होने लगी है. एक अपुष्ट ख़बर हरदोई से है जहां फसल खराब होने के चलते पहले से ही परेशान एक किसान भुखमरी के चलते फांसी से झूल कर मर गया।
उत्तर प्रदेश से ही एक और ख़बर है जहां बहर से आये मज़दूरों के ऊपर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
योगी जी मजदूरों को इतना अपमानित ना करें। पहले उनको पैदल चलवाया। उनकी जेबें काट लिया टिकट वसूलकर और अब केमिकल डालकर उनको नहलाया जा रहा है। ऐसे
कोरोना नहीं भागता।
इनकी आंख और मुंह में अगर केमिकल गया तो और ज्यादा समस्या खड़ी होगी। pic.twitter.com/42lhi7XFH5— Prayagraj Congress (@INCPrayagraj_) March 30, 2020
कोरोनाबंदी में हुए हादसों और मारे गये मजदूरों के अद्यतन मामलों पर पत्रकार कृष्णकान्त ने विस्तृत फेसबुक पोस्ट लिखी है जिसे नीचे पढ़ा जा सकता हैः