आज जब विश्व तकनीकी/प्रौद्योगिकी के दौर में दिन-ब-दिन आसमान चूमता जा रहा है. स्मार्टफोन ने लोगों के जीवनशैली में एक क्रांति ला दी है. वहीं सोशल मीडिया पर घूमना लोगों के प्रतिदिन का कर्तव्य बन गया है. इसने सभी तरह के क्षेत्रों पर अपना प्रभाव जमाया है. चाहे वह व्यवसाय, पत्रकारिता, शिक्षा हो या राजनीती. इसकी व्यापक पहुँच ने इसे महत्वपुर्ण बना दिया. जिससे इसने न सिर्फ विश्व के समाजों पर बल्कि राजनीति पर भी हाई टेक प्रभाव डाला है.
समाज के सन्दर्भ में सोशल मीडिया पर बेशक आम लोगों का वर्चस्व रहा हो लेकिन राजनीति क्षेत्र में अब तक इससे आम लोग प्रभावित होते रहे हैं, जो राजनीतिक व्यक्ति या पार्टी के वर्चस्व को सिद्ध करता है. उदहारण के तौर पर, 2008 के अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को देख सकते है. जिसे ‘फेसबुक इलेक्शन ऑफ़ 2008’ भी कहा गया. इस चुनाव में बराक ओबामा को जीत मिला था. जो महज़ सालभर पहले तक एक सीनेटर था. राजनीति में जिसका कोई ख़ास पहचान नहीं. उस चुनाव में ओबामा के टीम ने फेसबुक डाटा का खूब उपयोग किया गया था.
एक अन्य उदाहरण पिछले साल हुए आम चुनाव को ले सकते हैं जिसमें फेसबुक की एड लाइब्रेरी रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के फरवरी और मार्च के महीने में भारत से 51,810 राजनीतिक विज्ञापनों पर 10.32 करोड़ रूपये किए गए जिसमें भाजपा सबसे ज्यादा करीब 1100 विज्ञापन पर 36.2 लाख रूपये खर्च किया. यह आंकड़ा साफ तौर पर सोशल मीडिया में राजनीतिक व्यक्तियों व पार्टियाँ की वर्चस्वता को दिखा रहा है और साबित कर रहा है कि इसपर आम जनता का प्रभाव शून्य है अर्थात अभी तक सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक व्यक्तियों व पार्टियाँ को प्रभावित करने में जनता विफल रही हैं/थीं.
लेकिन अब परिस्थिति बदलते नज़र आ रही है. झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इसकी पहल मानी जा सकती है. दरअसल, मुख्यमंत्री सोरेन ने सत्ता में आने के बाद से ही राज्य में किसी भी तरह की समस्याओं पर आए ट्वीट पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिए हैं. वे न सिर्फ प्रतिक्रिया में सहानुभूति व्यक्त करते हैं, अपितु उसके समाधान हेतु उचित कार्रवाई भी करते हैं. पिछले कुछ समय से उनके ट्विट को लगातार फॉलो करता रहा हूँ और पाया हूँ कि हरेक तरह की समस्या पर वे सम्बंधित अधिकारी को टैग कर शीध्र समाधान करने की अपील करते हैं. साथ ही, उसकी रिपोर्ट भी प्रेषित करने का आदेश देते हैं. प्रतिक्रिया में सम्बंधित अधिकारी समाधान कर उन्हें वहीं सूचित करते हैं.
झारखण्ड के एक लोकल अख़बार ने लिखा है कि जिन मामलों में लोगों की चप्पलें सरकारी कार्यालयों और पदाधिकारियों के चक्कर काटते घिस चुकी थीं, उनकी परिक्रमा अब ट्विटर पर पहुंचकर ख़त्म हो रही हैं. लोगों की शिकायतों पर सीएम हेमंत सोरेन हस्तक्षेप कर रहे हैं. सीएम के आदेश पर होने वाले एक्शन के बाद आम लोगों में काफी ख़ुशी हैं.
16 फरवरी के सुबह 10:28 में लातेहार जिला का रहने वाला शख्स एमडी महताब आलम मुख्यमंत्री सोरेन को टैग कर एक विडियो शेयर करते हुए ट्वीट करते हैं- “लातेहार के हेरगंज में 90 दिनों में 7 बच्चों की मौत, हर 15 दिनों में एक बच्चे की मौत, कैसे हो रही है! ये अब तक पता नहीं चल पाया है. कृपया इसे संज्ञान में लेते हुए उसके बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने की कृपा करें.” 10 मिनट बाद इसे रि-ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री सोरेन जिलाधिकारी को टैग कर लिखते हैं- “कृप्या स्पेशल टीम बना ऐसी घटनाओं को रोकने हेतु त्वरित कार्रवाई कर सूचित करें. अगर कुछ और मदद की जरुरत हो तो भी सूचित करे.” उसी शाम राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बन्ना गुप्ता ट्वीट कर मामले की जाँच एवं की गई उचित समाधान रिपोर्ट मुख्यमंत्री सोरेन के साथ साझा करते हैं. हालाँकि जाँच ट्वीट आने से एक दिन पहले ही पूरी की जा चुकी थी.
एक अन्य मामला विधवा पेंशन से सम्बंधित है. बोकारो के विकास महली ने मुख्यमंत्री सोरेन और डीसी बोकारो को ट्वीट किया कि मेरी माता की सेहत हमेशा ख़राब रहता है. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इलाज नहीं करा पाता. मेरे पिताजी मजदूरी करते थे जिनका स्वर्गवास हुए तीन साल बीत गये. मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि अभी तक मेरी माँ को कोई भी सरकारी लाभ नहीं मिला. उसके इस ट्वीट के कुछ ही देर बाद जिला उपायुक्त ने महली को जवाब देते हुए कहा कि सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा को अविलम्ब इस मामले पर संज्ञान लेने हेतु निर्देशित किया गया है. शाम होते-होते महली फिर से ट्वीट कर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि प्रखंड अधिकारियों ने उनके घर पहुँचकर समस्या के समाधान की दिशा में कागजात को आगे बढ़ा दिया है .
पेंशन से ही सम्बंधित एक और मामला बोकारो से है. हालद मुनि नाम की एक आदिवासी महिला, जिनके पति का देहांत एक साल पहले हो चूका है और उनके सर तीन बच्चों को पालने की जिम्मेदारी भी है, ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर इच्छा मृत्यु की बात की. जिसमें लिखा है कि “हेमंत सोरेन मेताय पे पेंशन चालू तिन्या अर बंगखनदो गोय होचो वन्यमा” (मुझे पेंशन नहीं मिलता है. मैं मर जाती तो अच्छा रहता). उनके पत्र सहित अन्य कागजातों को सुनील हेम्ब्रक नामक शख्स ने मुख्यमंत्री और डीसी बोकारो को ट्वीट किया. प्रतिउत्तर में डीसी बोकारो ने तत्काल सहायता के रूप में उसे तुरंत कुछ अनाज उपलब्ध करवा दिया तथा परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी लेते हुए उनकी पेंशन स्वीकृति में विलम्ब के जिम्मेवार पदाधिकारी/कर्मचारी पर समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
इसी तरह, भ्रष्टाचार का एक मामला देवघर का है. 7 फरवरी को एक शख्स, जिसका नाम वीर है, ने ट्वीट कर एक वीडियो शेयर करते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की है. उस वीडियो में बाइक सवार एक शख्स से हेलमेट न होने के कारण एक हवालदार को रिश्वत लेते देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए देवघर उपायुक्त और देवघर पुलिस को मामले की जाँच करने का आदेश दिया. जिसके प्रतिउत्तर में दोनों सम्बंधित विभाग ने ट्वीट कर बताया कि मामले में दोषी पाए गए हवलदार को सस्पेंड कर दिया गया है.
इस तरह के कई शिकायतों का निवारण महज़ एक ट्वीट से होते देखा जा सकता. जिसके कारण अब झारखण्ड के लोग सीधे मुख्यमंत्री को ट्वीट कर अपनी परेशानियों को बताने लगे हैं. उसकी समस्याओं का समाधान भी हो रहा है. जिसमें राशनकार्ड, पेयजल, सड़क, बेहतर इलाज़, पेंशन, जैसी मूलभूत समस्याएं शामिल हैं.