उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के नवनिर्वाचित अध्यक्ष तेजतर्रार युवा नेता शाहनवाज़ आलम ने पद ग्रहण करने के साथ ही एक साथ योगी सरकार और समाजवादी पार्टी पर दोहरा निशाना साधा है। एक तरफ उन्होंने एनआरसी विरोधी आंदोलन में शामिल औरतों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपमानजनक टिप्पणी की कस कर निंदा की है, तो दूसरी ओर हिंदू युवा वाहिनी के अध्यक्ष रह चुके और योगी के साथ “उनके हर मुस्लिम विरोधी कृत्य में सहयोगी रहे सुनील सिंह” के समाजवादी पार्टी में चले जाने पर तंज करते हुए कहा है कि इस कदम ने एक बार फिर पार्टी के मुस्लिम विरोधी चेहरे को बेनकाब किया है।
शाहनवाज आलम ने पदभार ग्रहण करने के बाद दो अहम बयान जारी किए हैं। मंगलवार को जारी पहले बयान में उन्होंने कहा कि सुनील सिंह की अब तक की पूरी सियासी जिन्दगी योगी आदित्यनाथ और आतंकी संगठन हिन्दू युवा वाहिनी के जरिये पूर्वांचल में मुसलमानों के खिलाफ दंगे करवाने, गौकशी के झूठे आरोपो में बेगुनाहों को फंसाने, मोहन मुण्डेरा जैसे जघन्य कांड करवाने, जहां योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में मुसलमानों के 76 घर जला दिये गये थे और “पूर्वांचल में रहना है तो योगी-योगी कहना है” एवं “यूपी अब गुजरात बनेगा-पूर्वांचल अब शुरूआत करेगा”, जैसे नारे लगाते बीता है।
आलम ने कहा कि मुसलमानों के बारे मे सुनील सिंह के विचार सोशल मीडिया पर काफी वायरल रहे हैं जिसमें वह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की योजना पर बोलते हुए कह रहे हैं कि मुसलमानों से उनके वोट देने का अधिकार छीनकर उनकी मस्जिदों पर भगवा झण्डा लगा देने का काम वो करेंगे। आलम ने पूछा है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव जी को बताना चाहिए कि उपरोक्त में से सुनील सिंह का कौन सा मुस्लिम विरोधी काम और नारा उन्हें इतना पसन्द आ गया कि उन्हें अपनी मौजूदगी में समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिला दी?
शाहनवाज आलम ने कहा कि मुस्लिम समाज के प्रियंका गांधी जी और कांग्रेस के प्रति बढ़ते रूझान के कारण सपा मुखिया काफी चिन्तित हैं और मुसलमानों से बदले की भावना के तहत मुस्लिम विरोधी तत्वों को सपा में शामिल कराकर उन्हें डराना चाहते हैं।
दूसरी ओर शाहनवाज आलम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सीएए-एनआरसी विरोधी आन्दोलन में शामिल महिलाओं पर की गई टिप्पणी कि उन्हें आन्दोलन में बैठाकर पुरूष खुद रजाई में बैठे हैं, को आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि इससे योगी की कुंठित मानसिकता का पता चलता है। आलम ने कहा कि मुख्यमंत्री जिस हिन्दुत्व की विचारधारा से आते है वहां आन्दोलनों का इतिहास नहीं है। उनके लोग सिर्फ अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे जिसके लिए अंग्रेजों से पैसे मिलते थे। इसलिए योगी जी रानी लक्ष्मीबाई और बेगम हजरत महल के बलिदानी इतिहास की वारिस इन संघर्षशील महिलाओं की वैचारिक दृढ़ता कोे नहीं समझ सकते। योगी जी को समझना चाहिए कि हर आदमी मुखबिर नहीं हो सकता।
आलम ने कहा कि मुख्यमंत्री आन्दोलकारियों से निजी रंजिश की हद तक उतर आये हैं जो उनकी प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है। आन्दोलन विरोधी और मुखबिरी की परम्परा से आने वाले मुख्यमंत्री जी को स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल महिलाओं का इतिहास पढ़ना चाहिए। उन्हें समझ में आ जायेगा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाली महिलाओं को अंग्रेजों की पुलिस नहीं डिगा पाई तो मुखबिरों की पुलिस क्या डिगा पायेगी।
आलम ने कहा कि योगी जी की यही महिला विरोधी मानसिकता उन्हें बलात्कार केे आरोपी भाजपा विधायक के साथ और पीड़ित महिला के विरूद्ध खड़ा करती है।
लंबे समय बाद कांग्रेस ने एक साथ मुसलमानों के मसले पर भाजपाऔर सपा दोनों को आड़े हाथाें लिया है और दोनों की मिलीभगत को उजागर करने वाला बयान दिया है। देश भर में चल रहे सीएए एनआरसी विराधी आंदोलन पर अकेले कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाते हुए सैद्धांतिक रूप से इन कानूनों का विरोध दर्ज कराया है और यह बात मुसलमानों के बीच पहुंची भी है। माना जा रहा है कि आने वाले चुनावों में मुसलमानों का एक बड़ा तबका, जो अब तक सपा और बसपा का वोटर रहा, वह खिसक कर कांग्रेस के पाले में चला जाएगा।
शाहनवाज़ आलम को कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग का अध्यक्ष बनाने के पीछे अतीत में उनका किया काम बहुत सहायक रहा है जब उन्होंने न केवल योगी आदित्यनाथ की मुस्लिम विरोधी राजनीति को स्वतंत्र मंच से बेनकाब किया था बल्कि मुजफ्फरनगर के दंगे में सपा और भाजपा की मिलीभगत को उजागर करते हुए निमेष आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने की पिछली अखिलेश सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए थे।
अपने पुराने तेवर लेकिन नये कलेवर और ओहदे में आलम के ये बयान यूपी में मुस्लिम राजनीति को एक बार फिर मुख्यधारा में लाने का काम कर रहे हैं जिससे भाजपा और सपा दोनों को परेशानी महसूस हो रही है।
मीडियाविजिल ने स्पेशल कवरेज न्यूज़ के साथ मिलकर अक्टूबर 2018 में शाहनवाज़ आलम और अनिल यादव के साथ एक विशेष बातचीत की थी जब इन दोनों युवा नेताओं ने रिहाई मंच की स्वतंत्र राजनीति को छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था। आज इन दो अहम बयानों के संदर्भ में वह बातचीत एक बार फिर देखी जानी चाहिए। लिंक नीचे हैः