असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, दिल्ली समेत देश के तमाम राज्यों में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए हड़ताल ने व्यापक असर डाला। गौरतलब है कि संघ से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ के अलावा, सभी ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। हड़ताल के मुख्य मुद्दे, मोदी सरकार द्वारा श्रम-कानूनों को खत्म करके लाए गए कोड विधेयक/अधिनियम को खत्म करना, सीएए- एनआरसी- एनपीआर जैसे जन विरोधी फैसलों को वापस लेना और तेज़ी से देश भर में हो रहे निजीकरण पर रोक लगाना थे। इन मांगों के अलावा देश मे बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी और साम्प्रदायिक उन्माद पर रोक लगाना आदि मांग प्रमुखता से शामिल रहे।
बंद रहे दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्र, सरकारी कर्मचारियों ने किया अपने विभागों के सामने प्रदर्शन
उत्तरी दिल्ली के वज़ीरपुर, नरेला, बवाना, जहांगीरपुरी, लॉरेंस रोड, जी टी करनाल रोड; दक्षिणी दिल्ली के ओखला फेज 1, फेज 2, पश्चिमी दिल्ली के मायापुरी, नारायणा, कीर्ति नगर; पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज, शाहदरा इत्यादि औद्योगिक इलाके हड़ताल से काफी प्राभावित हुए। कई औद्योगिक क्षेत्रों में मज़दूरों ने रैलियां निकाली और सभाएं की।
दिल्ली परिवहन निगम के मुख्यालय पर ऐक्टू से सम्बद्ध यूनियन – डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर ने अन्य यूनियनों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया। एमसीडी व जल बोर्ड के कर्मचारियों ने भी आज विरोध प्रदर्शन किया। डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सामने ‘आल इंडिया हेल्थ एम्प्लाइज एंड वर्कर्स कॉन्फ़ेडरेशन’ के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया गया।
लगातार होती बारिश के बावजूद भारी संख्या में मज़दूरों ने शहीदी पार्क, आईटीओ से निकाला मार्च
खराब मौसम के बावजूद मज़दूरों ने पूरे उत्साह से शहीदी पार्क, आईटीओ से विशाल मार्च निकाला। मार्च में ऐक्टू समेत अन्य ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय नेता भी शामिल हुए। छात्रों, कलाकारों व नागरिकों ने भी भारी मात्रा में इस रैली में भागीदारी की। कार्यक्रम का समापन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं द्वारा संबोधन से हुआ। राजीव डिमरी, राष्ट्रीय महासचिव, ऐक्टू ने अपने भाषण में कहा, “आज की हड़ताल कई मायनों में अलग है, ये सरकार मज़दूर अधिकार छीनने से भी आगे बढ़ गई है।
हम भारत में फासीवाद का नंगा-नाच देख रहे हैं, सी.ए. ए.- एन.आर.सी.- एन. पी.आर. लाकर भाजपा सरकार देश को अंधकार की तरफ ले जा रही है, ये घनघोर रूप से जन-विरोधी, साम्प्रदायिक और संविधान विरोधी हैं।
इन कदमों से सबसे ज़्यादा असर मज़दूरों पर पड़ेगा।” उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि एक तरफ तो श्रम कानून खत्म करके मज़दूरों को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है, दूसरी तरफ मुनाफाखोर पूंजीपतियों की आमदनी लगातार बढ़ती जा रही है। एक ओर किसान-मज़दूर आत्महत्या कर रहे हैं, दूसरी ओर अमित शाह के इशारे पे कैम्पसों में छात्रों को मारा पीटा जा रहा है; देश की आवाम ये कभी नही सहेगी।
विज्ञप्ति: अभिषेक, महासचिव, ऐक्टू दिल्ली