प्रदेश के कई स्थानों में हुई हिंसा की वीडियो फुटेज और फोटो जारी करने वाली योगी सरकार को 19 दिसम्बर को लखनऊ में हुई हिंसा और आगजनी की घटना की वीडियो फुटेज भी जारी करनी चाहिए। यह इसीलिए भी जरूरी है क्योंकि सदफ जाफ़र की फेसबुक लाइव पर चला वीडियो यह दिखा रहा है कि लखनऊ में 19 दिसम्बर को हुई हिंसा व आगजनी के वक्त पुलिस मूकदर्शक बनी हुई थी और उसने दंगाइयों व अराजक तत्वों के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की।
यह बयान स्वराज अभियान नेता दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी किया। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि पूरे प्रदेश में हुई हिंसा की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित आयोग से न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज डीजीपी ने कहा है कि यदि किसी निर्दोष की गिरफ़्तारी की शिकायत उन्हें या सरकार को प्राप्त होती है तो उसकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और उसे रिहा किया जाएगा। इस संबंध में लोकप्रिय अम्बेडकरवादी मूल्यों के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व आईजी एसआर दारापुरी की राजनीतिक बदले की भावना से की गई गिरफ़्तारी पर जन सुनवाई पोर्टल पर 24 दिसम्बर को ही स्वराज अभियान की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई है।
इसमें कहा गया है कि सरकार की जन विरोधी, लोकतंत्र विरोधी कार्रवाइयों के आलोचक रहे दारापुरी जी सरकार की आँख की किरकीरी बने हुए थे। एक अनुशासित, जिम्मेदार नागरिक के ऊपर पुलिस का फोन द्वारा लोगों को भड़काने का आरोप हास्यास्पद है जबकि दारापुरी जी 19 दिसम्बर को घर में पुलिस अभिरक्षा में थे और वह इस दिन आयोजित मार्च में संलिप्त भी नहीं थे। वह कभी भी जन समूह की अराजक भीड़ कार्रवाइयों का समर्थन नहीं करते थे और आंदोलन के मामले में डॉ. आंबेडकर के सच्चे अनुयायी थे।
शिकायत में निर्दोश दारापुरी की रिहाई की सरकार से मांग की गई थी इसीलिए पुलिस महानिदेशक को निर्दोश दारापुरी जी को तत्काल रिहा करना चाहिए। इस संबंध में शुक्रवार को डीजीपी उत्तर प्रदेश को शिकायत का व्हाट्सप्प मैसेज भेज कर दारापुरी जी को रिहा करने की पुनः मांग की गई।
विज्ञप्ति: स्वराज अभियान द्वारा जारी