देश में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के खिलाफ देशव्यापी विरोध के बीच मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर को मंजूरी दे दी है और इसके लिए 8,754.23 करोड़ रुपए जारी किया है.
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नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत देश के हर नागरिक को अपना नाम इस रजिस्टर में दर्ज कराना अनिवार्य होगा. पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल की सरकार ने इसे लेकर विरोध जताया है. इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे अपने राज्य में इसे लागू नहीं होने देंगे.
Cabinet approves conduct of Census of India 2021 and updation of National Population Register.#NPR pic.twitter.com/TwJF9LxY2Q
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 24, 2019
नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी.
Cabinet has approved expenditure of Rs. 8,754.23 crore for the exercise of Census of India 2021 and Rs. 3,941.35 crore for updation of National Population Register (NPR) https://t.co/9ZAKlJIovx
— ANI (@ANI) December 24, 2019
इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी.नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में NPR पर भी काम शुरू हो रहा है.