CAB पर UN ने जताई चिंता, कहा-मौलिक रूप से यह कानून भेदभावपूर्ण है!

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नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ असम सहित समूचे पूर्वोत्तर और देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर गृहमंत्री अमित शाह ने भले ही कोई संतोषजनक आश्वासन न दिया हो किन्तु इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार संस्था ने चिंता व्यक्त की है. संयुक्त राष्ट्र (जिनेवा) ने कहा है -“हम चिंतित हैं कि भारत का नया नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण है. हमें उम्मीद है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत के अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ कानून की अनुकूलता पर ध्यान से विचार करेगा.”

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा गया है कि भारत का नया नागरिकता कानून मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण है. सताये गये समूह की रक्षा की बात स्वागत योग्य है किन्तु इस नये कानून में मुस्लिमों को संरक्षण देने की बात नहीं है.

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक जो अब संसद के दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून में तब्दील हो गया है, इसके विरोध में असम सहित पूरा पूर्वोत्तर उबल रहा है.

सरकार ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बल और सेना तैनात कर दी है. असम में अब तक पुलिस की गोली से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. और कई लोग घायल हो गये हैं.  कई हिस्सों में इन्टरनेट सेवा बंद है. यही हाल मेघालय की भी है. त्रिपुरा में भी आन्दोलन हो रहा है किन्तु असम में सबसे उग्र प्रदर्शन हो रहा है, लोग कर्फ्यू तोड़कर बाहर आकर इस कानून का विरोध कर रहे हैं.

इस बीच पुलिस ने क्या कहा? विरोध प्रदर्शनों को संभालने के लिए दिल्ली से असम भेजे गए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है -अगर एक दो गोली लगने से स्थिति सामान्य हो सकती है, तो यह ठीक है ”-जीपी सिंह, आइपीएस !

बता दें कि इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई है. जिनमें इंडियन मुस्लिम लीग पार्टी , टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और असम के कांग्रेस नेताओं की याचिकाएं शामिल हैं.

शुक्रवार को इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते जामिया मिलिया के छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे. जिसमें कई छात्र बुरी तरह ज़ख़्मी हो गये.


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