अमेरिकन हिस्टोरिकल असोसिएशन (एएचए) ने जेएनयू द्वारा प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर के प्रोफेसर एमिरेटस के पद की समीक्षा करने के कदम पर गहरी चिंता जाहिर की है.
The American Historical Association expressed “deep concern” at JNU's decision to review historian Romila Thapar’s position as professor emerita.https://t.co/6TDsEp9Qpm
— The Telegraph (@ttindia) October 10, 2019
अमेरिकन हिस्टोरिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष जॉन आर. मैकनील ने जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार को पत्र लिख कर उनके इस निर्णय पर असहमति और नाराजगी जाहिर की है. अमरीकी इतिहास संघ का ने कहा है कि रोमिला थापर एक योग्य और समृद्ध इतिहासकार हैं.
मैकनील ने पत्र में लिखा कि एएचए इस फैसले पर अपनी चिंता जाहिर करता है. “प्रोफेसर थापर एक प्रख्यात विद्वान हैं और देश विदेश के इतिहासकार उनका बहुत सम्मान करते हैं. उनके अद्वितीय शोध कार्यों को देखते हुए, एसोसिएशन का मानना है कि उनके प्रोफेसर एमिरेटस के पद की समीक्षा की कोई आवश्कता नहीं है.”
Thapar Letter-Letterhead
संघ का मानना है कि उनकी विद्वानता और इतिहास के क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए उनके भूतपूर्व प्रोफेसर के पद की पुनरवलोकन की कोई आवश्यकता नहीं है. रोमिला थापर को भारत के सबसे प्रतिष्ठित इतिहासकारों में से एक के रूप में मान्यता देने के लिए एसोसिएशन 2009 में उन्हें संघ में विदेशी मानद सदस्य के रूप में मनोनीत किया था.
12,000 से अधिक सदस्यों के साथ, एएचए दुनिया में पेशेवर इतिहासकारों का सबसे बड़ा संघ है.
बता दें कि, गत वर्ष जेएनयू ने अवकाशप्राप्त प्राध्यापकों से संबंधित अपनी पूर्व नीतियों में संशोधन किया है. पहले वे नीतियां भविष्यलक्षी रूप में आजीवन प्रभावी थीं. लेकिन अब उनको प्रभावी बनाए रखने के लिए पचहत्तर पार कर चुके अवकाशप्राप्त प्राध्यापकों के लिए उन नीतियों की पुनरीक्षा का प्रावधान कर दिया गया है.
इस साल जुलाई में एक उप-समिति द्वारा थापर सहित 12 प्रोफेसरों को अपना सीवी जमा करने के लिए कहा गया था, जो जांच के बाद सुझाव देगा कि सम्मान जारी रहना चाहिए या नहीं.
जेएनयू शिक्षक संघ ने कहा है कि पिछले साल कार्यकारी परिषद में ले जाने से पहले संकाय सदस्यों के साथ नियम में बदलाव पर चर्चा नहीं की गई थी. शिक्षक संघ ने आगे कहा है कि परिवर्तित नियम पूर्वव्यापी तरीके से लागू नहीं हो सकते.
दरअसल प्रोफ़ेसर एमिरेटस का पद मानद होता है, जिसमें न कोई वेतन या भत्ता मिलता न ही नियमित पढ़ाना होता है. यह सिर्फ़ सम्मान के लिए होता है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय में इस पद की कोई निश्चित संख्या या सीट नहीं होती है कि एक को हटा कर दूसरे को मौका दिया जाए. विश्वविद्यालय किसी भी तादाद में इस पद पर लोगों को नियुक्त कर सकता है.
इस सोमवार को एएचए ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को सम्मानित विदेशी सदस्य के तौर पर नामित किया था.
We are pleased to announce that @Ram_Guha has been made an Honorary Foreign Member of the American Historical Association. Many congratulations to Ramachandra Guha, author of the classic India After Gandhi!@AHAhistorians https://t.co/8HbGQAcYTy pic.twitter.com/FTjuUJxIq6
— Pan Macmillan India (@PanMacIndia) October 8, 2019