विशेष प्रतिनिधि, नई दिल्ली
एक तरफ मोदी सरकार नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में कोशिश कर रही है, वहीं राज्यसभा सचिवालय में इससे ठीक उलटा काम होता नजर आ रहा है। भ्रष्टाचार के आरोप में मोदी सरकार ने सिविल सेवा और राजस्व सेवा के कई अधिकारियों को जहां हाल ही में जबरिया रिटायर किया है, वहीं राज्यसभा सचिवालय में कदाचार का आरोप झेल रहे अधिकारी को रिटायरमेंट के बाद नए पद पर नियुक्त कर दिया गया है।
सूचना सेवा के अधिकारी ए ए राव पर राज्यसभा टीवी में वरिष्ठ एंकर रहीं महिला पत्रकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में यौन उत्पीड़न के आरोप में मुकदमा दर्ज करा रखा है। इसके बावजूद ए ए राव को नई नियुक्ति दे दी गई है। उन्हें एक सितंबर से एक साल की अवधि के लिए राज्यसभा सचिवालय में बतौर अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया है।
सूचना सेवा के अधिकारी रहे ए ए राव 31 अगस्त को रिटायर हो गए। ए ए राव पर राज्यसभा टीवी की जिम्मेदारी थी। इसी दौरान उन पर राज्यसभा टीवी के पत्रकारों से बदसलूकी के आरोप लगे। उप राष्ट्रपति पद पर वेंकैया नायडू के चुने जाने के बाद ए ए राव को राज्यसभा टीवी की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसी दौरान उन पर राज्यसभा टीवी के पत्रकारों के साथ बदसलूकी के आरोप लगे। इस दौरान उनकी राज्यसभा टेलीविजन के पत्रकारों के साथ विवाद भी हुए। जब वेंकैया नायडू शहरी विकास मंत्री थे, तब सूचना सेवा के अधिकारी ए ए राव उनके साथ बतौर सूचना अधिकारी तैनात थे। इसके बाद जब वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति बने तो उन्हें साथ लेते आए।
ए ए राव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में कोयला मंत्री रहे आंध्र प्रदेश के सांसद ए दासारि नारायण राव के भी स्टाफ में कार्यरत रहे। मूलत: आंध्र प्रदेश निवासी राव की आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू का सूचना सलाहकार बनाए जाने की चर्चा थी। सूत्रों का कहना है कि दासारि नारायण राव का कोलगेट कांड में नाम आने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने ए ए राव को अपना सूचना सलाहकार नहीं बनाया था।
राज्यसभा टीवी के प्रभारी रहते हुए ए ए राव पर तरह-तरह के आरोप लगे। इन आरोपों में एक आरोप यौन उत्पीड़न का है। इसके खिलाफ पीड़ित राज्यसभा टीवी की वरिष्ठ एंकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा किया है।
इसी बीच ए ए राव 31 अगस्त को रिटायर हो गए। तब माना जा रहा था कि उन्हें दोबारा कोई नियुक्ति नहीं मिलेगी। लेकिन लगता है कि राज्यसभा सचिवालय ने मोदी सरकार की नीतियों को भी किनारे रख दिया और इस विवादित अधिकारी को फिर से अतिरिक्त सचिव पद पर नियुक्त करके उन्हें राज्यसभा के रिसर्च विंग का प्रभारी बना दिया है। माना जा रहा है कि नौकरशाही में पारदर्शिता लाने और आरोपितों को बाहर की राह दिखाने की परंपरा के खिलाफ यह नियुक्ति है।