सुप्रीम कोर्ट के एक वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की शिकायत पर भारतीय सेना के बारे में झूठ फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने शहला राशिद के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया है. शहला पर आईपीसी की धाराओं 124-A, 153, 153-A, 504 और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
शहला राशिद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की पूर्व छात्रा और जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) की नेता हैं.
Delhi Police today filed an FIR on criminal complaint by Supreme Court lawyer Alakh Alok Srivastav. The complaint had sought the arrest of activist Shehla Rashid for allegedly spreading fake news against Indian Army. pic.twitter.com/evhf5Bgb9Q
— ANI (@ANI) September 6, 2019
शहला ने 18 अगस्त को सिलसिलेवार ट्वीट्स में आर्मी पर गंभीर आरोप लगाए थे. इन ट्वीट्स में शहला ने लिखा था, ‘रात में फौज जबर्दस्ती लोगों के घरों में घुस रही है, लड़कों को गिरफ्तार कर ले जा रही है, घर में तबाही मचा रही है, जान-बूझ कर राशन को ज़मीन पर फेंक दे रही है, चावल में तेल मिला दे रही है.’ शहला के इन दावों को फौज ने सिरे से ख़ारिज किया था.
Some of the things that people coming from Kashmir say about the situation:
1) Movement within Srinagar and to neighbouring districts is more or less permitted. Local press is restricted.
2) Cooking gas shortage has started to set in. Gas agencies are closed.
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) August 18, 2019
शहला ने अपने आरोपों में बच्चों के भोजन की कमी से लेकर लोकल मीडिया पर पाबंदी जैसी बातें भी कही थीं, हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि अधिकारी अलग-अलग ज़िलों में जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं.
अपने दावों में उन्होंने ये भी लिखा था, ‘कानून-व्यवस्था की स्थिति के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस की कोई भूमिका नहीं है. उसकी ताकत छीन ली गई है.’ उन्होंने ये भी लिखा था कि सारी ताकत पैरामिलिट्री के हाथों में दे दी गई है.
उन्होंने एक सीआरपीएफ जवान की शिकायत पर एक एसएचओ के तबादले का भी आरोप लगाया था. साथ ही ये दावा भी किया था कि पुलिस वालों को डंडे से काम चलाना पड़ रहा है और उनकी बंदूकें छीन ली गई हैं.
भारतीय सेना ने शहला के इस आरोप को नकार दिया था और कहा था कि आपराधिक तत्व झूठी खबरें फैला रहे हैं. सेना की तरफ से कहा गया कि शहला ने जो आरोप लगाए हैं वे आधारहीन है और सेना उन्हें नकारती है. सेना ने कहा कि ऐसी असत्यापित और झूठी खबरें आसामाजिक तत्वों और संगठनों द्वारा अनसुनी आबादी को भड़काने के लिए फैलाई जाती हैं.