झारखंड के गुमला जिला के सिसई थाना क्षेत्र के नगर सिसकारी गांव मे तीन परिवार के चार लोगों की डायन-बिसाही के आरोप में लाठी डंडे से पीटकर निर्मम हत्या कर दी गई. मारे गए लोगों में एक दंपती समेत दो पुरुष व दो महिलाएं शामिल हैं. मृतकों की पहचान चापा भगत (65 वर्ष), पत्नी पीरी देवी (62 वर्ष), सुना उरांव (65 वर्ष), फगनी देवी (60 वर्ष) के रूप में की गई है. घटना रविवार,21 जुलाई भोर लगभग तीन बजे की है. गुमला के एसपी अंजनी कुमार ने कहा, ‘पहली नज़र में ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ित जादू टोना में शामिल थे. अंधविश्वासों के कारण उनकी हत्या हुई है. जांच चल रही है.
Jharkhand: 4 persons killed allegedly by 10-12 unidentified miscreants in Gumla. Anjani Kumar Jha, SP Gumla, says, “Prima facie, it appears the victims were involved in witchcraft. Crime seems to have happened because of superstitious beliefs. Investigation underway.” (20.07.19) pic.twitter.com/L5RyrwWIkH
— ANI (@ANI) July 21, 2019
अपराधियों ने चारों को घर से निकाला और गांव के आखाड़ा,आंगनबाड़ी केंद्र के पास ले गए और उनकी हत्या कर दी. घटना की जानकारी के बाद समाजसेवी दामोदर सिंह ने सिसई थाना को पांच बजे सुबह सूचना दी.
ख़बरों के अनुसार, करीब 12 नकाबपोश लोगों ने गांव में तीन घरों को घेरकर हमला किया. सभी को घर से उठाकर गांव से बाहर ले गए. इसके बाद हमलावरों ने लाठी और डंडों से उनकी पिटाई की. इस पिटाई नें चार लोगों की मौत हो गई.
इस घटना में कौन लोग शामिल है फिलहाल स्पष्ट नहीं है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
गौरतलब है कि बीते महीने झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का राज्यसभा में जवाब देते हुए दुःख जताते हुए कहा था कि मॉब लिंचिंग के लिए समूचे झारखंड को कठघरे में खड़ा करना सही नहीं.उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने राज्यसभा में झारखंड को लिंचिंग का हब कहा था. क्या यह सही है? वे एक प्रदेश का अपमान क्यों कर रहे हैं. एक मॉब लिंचिंग की घटना के बाद पूरे झारखंड को बदनाम करने का अधिकार हमारे पास नहीं है. दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.’
कड़वी हक़ीक़त यह है कि झारखंड की मौजूदा भाजपा सरकार के कार्यकाल में यहां मॉब लिंचिंग की कम से कम दस घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में 18 लोग मारे गए. इनमें से 11 मुसलमान थे. इन मामलों के स्पीडी ट्रायल के बावजूद सिर्फ़र अब तक दो मामलों में ही सज़ा सुनायी जा सकी है. कुल 19 लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा हुई. इनमें से अधिकतर के संबंध भाजपा या दूसरे दक्षिणपंथी संगठनों से हैं. इनमें से कुछ लोगों को ज़मानत मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही पिछली सरकार के मंत्री जयंत सिन्हा ने उन अभियुक्तों को माला पहनाकर स्वागत किया था.
भाजपा के ही एक और सांसद निशिकांत दुबे (गोड्डा लोकसभा क्षेत्र) ने भी मॉब लिंचिंग की एक घटना के अभियुक्तों को आर्थिक मदद देने की सार्वजनिक घोषणा की थी. वे इस बार फिर से चुनाव जीत कर तीसरी बार लोकसभा पहुंच चुके हैं.
पिछले महीने ही चोरी के शक में तबरेज अंसारी नामक एक युवक की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था.
झारखंड में मॉब लिंचिंग की पहली घटना 18 मार्च 2016 को लातेहार ज़िले में हुई थी. यहां के बालूमाथ थाना क्षेत्र के झाबर गांव में भीड़ ने एक पशु व्यापारी मजलूम अंसारी और उनके 12 साल के सहयोगी इम्तेयाज ख़ान की पीटकर हत्या कर दी थी.इसके बाद उनकी लाशों को बरगद के एक पेड़ से फांसी से लटका दिया, ताकि लोगों के बीच दहशत पैदा की जा सके.