केरल उच्च न्यायालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआइ), 2005 के तहत मांगी गई जानकारी को देने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी ‘अंतर्राज्यीय मामलों से संबंधित सूचना’ के तहत सूचना न देने के आदेश पर असंतोष जताते हुए राज्य की वाम सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने साफ़ कहा कि आरटीआइ कानून को अच्छी तरह जानने के बावजूद भी सरकार जानबूझ कर आवेदक को जानकारी न देने के लिए अधिकारियों को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है.
Kerala HC comes down heavily on state government for anti-RTI order creating an extra-legal exception to deny information#RTI#KeralaHC#transparency https://t.co/OB5oWyLy0K
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) July 3, 2019
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने आरटीआई कार्यकर्ता डीबी बीनू द्वारा केरल सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि -“मुझे यह कहना चाहिए कि मैं यह समझने में विफल रहा कि केरल सरकार यह कैसे आदेश दे सकती है कि ‘अंतरराज्यीय मामलों और दस्तावेजों / सूचनाओं से संबंधित सभी दस्तावेज / जानकारी जो सरकार को निजी लगती है और उसी के प्रकटीकरण से राज्य के हित में बाधा उत्पन्न हो सकती है”.विशेषकर तब, जब सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत, अधिकारियों का एक व्यवस्थित पदानुक्रम है, जिसके मुखिया राज्य सूचना आयोग होते हैं और जिसके स्वायत्त होने की उम्मीद की जाती है.क्योंकि वह किसी भी दवाब से मुक्त होता है.
उच्च न्यायालय ने आगे स्पष्ट किया कि एक आरटीआई आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी को केवल आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8 और 9 के तहत नकारा जा सकता है.
अदालत ने कहा कि इस तरह का कोई भी आदेश जारी करना वे कुछ प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं कराएंगे, चाहे वह आरटीआई अधिनियम का जनादेश ही क्यों न हो, यह अपीलीय अधिकारियों को प्रभावित करने का एक प्रयास प्रतीत होता है. यह अच्छी तरह से जानने के बाद भी कि आरटीआइ अधिनियम के खंड 8 और 9 में उल्लिखित विशिष्ट उदाहरणों के तहत और किसी अन्य में सूचना देने से इंकार नहीं किया जा सकता ऐसे में राज्य सरकार द्वारा अंतरराज्यीय मामलों का बहाना बना कर जानकारी न देना निश्चित रूप से एक बहुत ही खतरनाक प्रस्ताव है.
आदेश यहां पढ़ा जा सकता है :
Kerala-HC_RTIबता दें कि मंगलवार को भी चर्च विवाद से जुड़े मामले में सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने गुस्से में कहा था कि क्या केरल कानून से ऊपर है? जस्टिस अरुण मिश्रा और एम आर शाह की पीठ ने न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाने के लिए केरल के मुख्य सचिव को समन करने के लिए आगाह किया था. कोर्ट ने चर्च के दो धड़ों के बीच विवाद पर 2017 में दिए फैसले के लागू न होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाने साथ ही मुख्य सचिव को सलाखों के पीछे भेजने की चेतावनी दी थी.